कुंदन श्रीवास्तव, प्रमुख संवाददाता
33 ओवर, 20 मेडेन, 30 रन,10 विकेट यही तो था वो मैजिकल स्पेल, जिसकी चर्चा पूरी क्रिकेटिंग फर्टिनिटी में आज भी हो रही है। क्रिकेट के स्टैटिस्टियन्स भी बिहार के युवा बॉलर सुमन कुमार के इस तिलस्मी बॉलिंग तर्ज़िये को अपने रिकार्ड बुक में जगह दे चुके होंगे। बेशक़ ये सबकुछ डोमेस्टिक क्रिकेट में हुआ वो भी पटना के मोइनुल हक़ स्टेडियम में कूच बिहार ट्रॉफी के सिलसिले में बिहार और राजस्थान की टीमों के दरमियान खेले गए मैच में। वो भी बैटिंग के लिए साज़गार विकेट पर।
इस तरह के बैटिंग सपोर्टिंग विकेट पर, किसी एक बॉलर के द्वारा पूरे के पूरे 10 विकेट चटकाना,अविस्मरणीय, अकल्पनीय,अतुलनीय के सिवा कुछ भी नहीं हो सकता है। इतना तो क्रेडिट और सम्मान, ऐसे कारनामें को अंजाम देने वाले उस खिलाड़ी को मिलना भी चाहिए। ख़ुशनसीब सुमन को ये सब मिल भी रहा है। उसके चेहरे पर सरग़ोशियां करती ख़ुशियाँ ही इस बात की तस्दीक़ के लिए काफ़ी हैं।
महज् 18 साल की उम्र में लेफ्ट ऑर्मर स्पिनर बॉलर सुमन कुमार के ऐसे ऐतिहासिक कारनामें ने तो लोगों की उम्मीदों को कहीं और अधिक बढ़ा कर रख दिया है। कूच बिहार ट्रॉफी में बिहार की नुमांइदगी करते हुए राजस्थान की मज़बूत बैटिंग लाइन अप को पहली इनिंग में पूरी तरह ध्वंस करने वाले सुमन को दूसरी इनिंग में विकेट न मिलने का , क्रिकेट प्रेमियों को बेशक़ मलाल रहा हो ,पर इस खिलाड़ी को तो, माज़ी की बातों में अब कोई दिलचस्पी ही नहीं, उसकी नज़र तो औरंगाबाद के मरक़ज में महाराष्ट्र के खिलाफ़ खेले जाने वाले कूच बिहार ट्रॉफी के अहम मैच पर है।… और सुमन इस मैच को खेलने के लिए जब औरंगाबाद लैंड करेंगे तब निश्चित रूप से वहां के क्रिकेट शौक़ीनों की निगाहें उनपर लगी हुई होंगी तो इस बॉलर के तिलस्मी बॉलिंग स्पेल का ख़ौफ़ महाराष्ट्र के खिलाड़ियों पर।
मिडिल क्लास फैमिली में पैदा लिए इस बंदे सुमन को जबसे इतना बड़ा एजाज हाथ लगा है, पैर उसके आसमान में नहीं बल्कि ज़मीं पर ही दिखाई दे रहे हैं जो एक बेहतर साइन है। ख़ुदा का शुक्र है कि, किसी बुरी अत्याचारी आत्मा की निग़ाहें अब तक सुमन पर नहीं पड़ी हैं। उन पर तो उनके कोच ब्रजेश झा और भाई समान अनुकूल राय की नज़र है।
सुमन को जब ऐसे कोचेज की निग़ेहबानी हासिल है तो फ़िर बूरी बलाएं उन तक पहुंच भी कैसे सकती है? पूरी तरह महफ़ूज़ है सुमन का क्रिकेटिंग कैरियर इन गुणवान कोचेज के हाथों में।ऐसा उन्हें भी लगता है। पर ऊंची उड़ान के लिए तो मज़बूत हौंसले भी तो चाहिए। आईये हमसब मिल कर सुमन के बेहतर मुस्तक़बिल के लिए ऊपर वाले से दुआ करते हैं।