रांची। घरेलू क्रिकेट में बाएं हाथ के स्पिनर शाहबाज नदीम का सफर काफी शानदार रहा है। उन्होंने कुल 424 विकेट चटकाये हैं और उन्हें आखिरकार टीम इंडिया में मौका मिला। उन्होंने 30 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। नदीम को चाइनामैन कुलदीप यादव के कंधे की चोट के कारण बाहर होने से भारतीय टेस्ट टीम में शामिल किया गया।
शाहबाज नदीम ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची के जेएससीए इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले जा रहे तीसरे और आखिरी टेस्ट मैच में टेस्ट कैरियर शुरू करने का मौका मिला। इससे पहले साल 2018 में नदीम को वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टी20 सीरीज के लिए भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें मैच में नहीं खिलाया गया था।
नदीम झारखंड और भारत ए के लिए कई बार शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने झारखंड के लिए लगातार सत्र में 50 से ज्यादा विकेट हासिल किया है। तीस साल के इस बाएं हाथ के स्पिनर ने 110 प्रथम श्रेणी मैचों में 424 विकेट चटकाए हैं, जिसमें 19 बार वह पांच विकेट और पांच बार 10 विकेट हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा शाहबाज नदीम ने 106 लिस्ट ए मैचों में 145 विकेट अपने नाम किए हैं, जबकि उन्होंने 117 टी20 मैचों में 98 विकेट झटके हैं।
शाहबाज एक दिन पहले तक टीम इंडिया का हिस्सा नहीं थे, लेकिन कुलदीप के चोटिल होने के बाद उन्हें टीम में शामिल किया गया और डेब्यू का मौक मिल गया।
टीम में शामिल किए जाने से पहले शाहबाज विजय हजारे ट्रॉफी के मौजूदा सत्र में झारखंड के लिए खेल रहे थे और टीम में शामिल होने की सूचना उन्हें तब मिली जब वह कोलकाता में थे। चूंकि यह सूचना उन्हें रात में मिली इसलिए वे कार से ही कोलकाता से रांची पहुंचे।
शाहबाज नदीम का पैतृक घर बिहार के मुजफ्फरपुर में है। उनके भारतीय टीम का हिस्सा बनने पर परिवार में खुशी का माहौल है। आस-पास के लोग उनके घर पहुंच बधाई दे रहे हैं। स्पेशल ब्रांच के डीएसपी पद से सेवानिवृत्त नदीम के पिता जावेद महमूद बेटे की इस उपलब्धि से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए खेलने का जो वादा नदीम ने किया था उसे आज पूरा कर दिया।
वे बताते हैं कि बेटे ने जब पहली बार बल्ला पकड़ा था, तब वे बहुत नाराज हुए थे। उसके बल्ले को जला दिया था। तब उसने वादा किया था कि वह भारत के लिए खेलकर दिखाएगा। उसके जुनून को देखकर बाद में उसे प्रोत्साहित किया। आज उसने मेरा सपना पूरा कर दिया।
मुजफ्फरपुर के बिंदेश्वरी कंपाउंड मोहल्ला निवासी नदीम की मां हुस्न आरा भी बेटे की उपलब्धि पर खुश हैं। वह कहती हैं कि मेरे दोनों बेटे क्रिकेट खेलते हैं। बड़े बेटे अशहद इकबाल ने खेल छोड़ दिया। भारत के लिए खेलने के नदीम के जुनून ने ही उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनको अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व है।