
मो अफरोज उद्दीन
पटना। एक दशक के अधिक अपने क्रिकेट कैरियर में इस शख्स ने शुरुआती दिनों में धीरे-धीरे अपने खेल से साथियों के बीच विश्वास जमाया और फिर टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गये। अपने बल्ले के धमाकों से विपक्षी टीम को कई बार हतोत्साहित किया। अब वही शख्स क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों को कुछ बता रहा है जिसे वे अपने एक्टिव कैरियर में सीखा था। अपने साथियों के बीच ‘निखि’ के रूप में मशहूर निखिलेश रंजन बिना शोर-शराबे के ऐसा काम कर देते हैं जिसे करने के लिए दूसरों को कई बार सोचना व सहयोग लेना पड़ता है।


निखिलेश रंजन का पैतृक गांव औरंगाबाद जिले में पड़ता है। जन्म गया में हुआ और बचपन से वे पटना में रह रहे हैं। पिता स्व. अवधेश कुमार बरियार पटना में ही नौकरी करते थे। लाल बहादुर शास्त्री हाईस्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास करने वाले निखिलेश रंजन का क्रिकेट का प्रति प्रेम बचपन से था। उन्होंने क्रिकेट की ट्रेनिंग संजय गांधी स्टेडियम में देवकी नंदन दास की दिशा-निर्देशन में चलने वाले कोचिंग कैंप आईसेड में ली और पटना क्रिकेट लीग में पहली बार कमला नेहरू क्रिकेट क्लब की ओर खेला। निखिलेश को तराशने में कोच रंजीत भट्टाचार्या का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
स्टार ओपनर के रूप में जाने-जाने वाले निखिलेश ने वर्ष 1990-91 में बिहार अंडर-19 क्रिकेट टीम में शामिल हुए और ओड़िशा के खिलाफ पदार्पण मैच खेला। धीरे-धीरे घरेलू से लेकर बीसीसीआई के मैचों में उनका ग्राफ बढ़ता चला गया और वर्ष 1994-95 में उनका रणजी ट्रॉफी में डेब्यू हुआ। मेजबान असम के खिलाफ हैलाकांडी में 16 जनवरी, 1995 से हुए मैच निखिलेश रंजन ने डेब्यू किया। पहले सीजन में उन्होंने तीन मैच खेले और कुल 86 रन बनाये। इसके बाद धीरे-धीरे वे प्रगति के पथ पर अग्रसर होते चले गए। 1998-99 रणजी सीजन में उन्होंने अपना पहला शतक जमाया। इस सीजन में एक शतक और चार अर्धशतक की मदद से कुल 429 रन बनाये। वर्ष 2000-2001 सीजन में उन्होंने दो शतक जमाये। नाबाद 126 रनों की पारी इसी सत्र में खेली। वनडे में निखिलेश रंजन ने 23 मैच खेले हैं। इसमें दो शतक जमाये हैं। नाबाद 141 रन का उच्च स्कोर इनके नाम है।


फस्र्ट क्लास मैचों में उन्होंने 37 मैच खेल कर कुल 22 विकेट चटकाये हैं जबकि वनडे में उन्होंने कुल चार विकेट अपने खाते में डाले हैं।
इन्होंने अपना अंतिम फस्र्ट क्लास मैच हिमाचल प्रदेश के खिलाल सत्र 2004-05 में खेला। जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम स्टेडियम में खेले गए इस मैच में हिमाचल प्रदेश की टीम विजयी हुई। इस मैच की दोनो पारियों में निखिलेश रंजन खाता नहीं खुल पाया है जिसका अफसोस इन्हें है। सत्र 1998-99 में इन्होंने दलीप ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी खेली।



पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले निखिलेश रंजन बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में वर्ष 1991 से कार्यरत है। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय टीम का भी प्रतिनिधित्व किया। पटना जिला की टीम से खेलते हुए घरेलू टूर्नामेंट में शानदार पारियां खेलीं जो यादगार हैं। निखिलेश रंजन को मूवी देखना और संगीत सुनना अच्छा लगता है। वे बिहार टीम के चयनकर्ता और कोच रह चुके हैं। वे कहते हैं कि आज जो भी हूं क्रिकेट की वजह से हूं और क्रिकेट की सेवा करता रहना मेरा कर्तव्य है।