मोहम्मद अफरोज उद्दीन
पटना। राजेंद्रनगर स्थित बिजली ऑफिस के मैदान पर अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेला करता था साथ ही फिजिकल फिटनेस के लिए मोइनुल हक स्टेडियम भी जाया करता था यह शख्स। वहां बास्केटबॉल कोर्ट पर होने वाले प्रैक्टिस इसे देखने में अच्छी लगती और इसे बड़ी गौर से निहारा करता था। उस समय इस कोर्ट पर बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले कोच नंदन सिंह नागर कोटी की निगाहें इन पर पड़ी और इनलोगों से कहा कि क्यों नहीं तुमलोग भी इस खेल में हाथ आजमा लेते हो। बस क्या था दोस्तों के साथ इस शख्स ने इस गेम को खेलना शुरू कर दिया। कुछ ने तो बीच में छोड़ दिया पर यह डटा रहा। एक खिलाड़ी के रूप में ज्यादा आगे तक नहीं जा पाया पर बाद में अपनी कोचिंग की बदौलत कई खिलाड़ियों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया। आज तो बिहार बास्केटबॉल इनके बिना अधूरा है वो है देवाशीष बनर्जी, जिन्हें लोग देवा दा के नाम से बुलाते हैं। वर्तमान समय में इस शख्स को शाम में मोइनुल हक स्टेडियम स्थित बास्केटबॉल कोर्ट पर ट्रेनिंग देते इस शख्स को पा जायेंगे। तो आइए जानते हैं बास्केटबॉल कोच देवाशीष बनर्जी के बारे में-
देवाशीष बनर्जी के परिवार में खेल का माहौल पहले से नहीं था। वह अपने दोस्तों संजय चक्रवर्ती, रोहित राज, प्रेम, मनी प्रकाश, भोला सिंह आदि दोस्तों के साथ क्रिकेट का प्रैक्टिस किया करते थे। मोइनुल हक स्टेडियम आना-जाना लगा रहता था। नंदन सिंह नागर कोटी के कहने पर बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। जूनियर लेवल पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। एसजीएफआई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया। सीनियर टीम में जगह बनाने में सफलता हासिल नहीं हुई। इसी दौरान मोइनुल हक स्टेडियम में एक टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा था। इंट्री के लिए आर्य कन्या विद्यालय में जाना हुआ तब वहां की प्राचार्या ने कहा कि क्या आप मेरे स्कूल में बास्केटबॉल की ट्रेनिंग देंगे और इसके बाद शुरू हो गया एक कोच के रूप में कैरियर।बिना कोई प्रोफेशनल कोचिंग डिग्री के अपने खेल अनुभव से आर्य कन्या विद्यालय में ट्रेनिंग देना शुरू किया और कई प्रतियोगिताओं और पटना जिला बास्केटबॉल चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर टीम को चैंपियन बनाया। धीरे-धीरे इनका सफर आगे बढ़ता गया। झारखंड बंटवारे के कुछ वर्षों बाद एक बार फिर बिहार में बास्केटबॉल का माहौल लौटा तो इनसे ट्रेनिंग प्राप्त खिलाड़ी भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लगे।
इस कोर्ट पर फिल्म अभिनेत्री नीतू चंद्रा से लेकर कई दिग्गज हस्तियों ने बास्केटबॉल की ट्रेनिंग इनसे हासिल की है। देवा जी के अनुसार स्वर्ण प्रभा, स्वर्ण प्रिया, पूजा कुमारी, राखी गुप्ता, नूपुर शर्मा, पिंकी कुमारी, प्रीति कुमारी, दीपक कुमार, प्रकाश रंजन, राकेश पांडे, शुभाशीष बनर्जी, रंजीत कुमार, अजीत कुमार, विवेक कुमार, संजय कुमार, ज्योत्सना, शुचिता कुमारी, गुंजन कुमारी, मनीषा कुमारी, कृतिका कुमारी, मनाली कुमारी, प्राची गुप्ता, अभिजीत यादव, त्रिलोकी पाठक, धीरज रंजन, दीपक कुमार, अंकुश कुमार, तान्या कुमारी, ग्राष्मी, हर्षिता कुमारी, जागृति कुमारी, राहुल कुमार, अक्षरा सिंह, रंजीत कुमारी, धर्मेंद्र कुमार, शिवानी कुमारी, मुस्कान, मनीषा, अंजमा कुमारी, प्रतिभा, निशा, मनाली, अनुष्का, सौरभ कुमार, शहाबुद्दीन, मयंक कुमार, शशांक कुमार, ध्रुव कुमार, रोहित कुमार, सत्यम कुमार, प्रतीक कुमार, शौर्या कुमार, संभव कुमार, अभिनव कुमार, सुधांशु कुमार, शीद्यार्थी बागची, आर्यन कुमार, असीम बनर्जी, विष्णु कुमार समेत कई नाम शामिल हैं।
ओपन माइंड बिरला स्कूल कंकड़बाग में शारीरिक शिक्षक के पद पर कार्यरत देवाशीष बनर्जी के भाई शुभाशीष बनर्जी इनकी राह पर चलते हुए बास्केटबॉल खेला और आज वे खेल कोटे पर हुई नौकरी से पटना डीएम ऑफिस में कार्यरत हैं। इनका भतीजा रॉबिन इंडिया जूनियर टीम का सदस्य रहा है। वह यूपी की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेता है। वह एनबीए में ट्रेनिंग ले चुका है। देवाशीष बनर्जी की कोचिंग स्टाइल के बारे में लोगों का कहना है कि वे खिलाड़ियों पर बहुत मेहनत करते हैं। इनमें एक खामियां है कि अपने कोचिंग या मैच के दौरान थोड़े ऐसे बोल बोलते हैं जो थोड़े कड़वे लगते हैं। ये शायद इसलिए भी होता है क्योंकि पुरे मनोयोग से खेल और खिलाड़ियों के साथ रहते हैं और कोई गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते। इस बात को देवाशीष बनर्जी भी स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि एक बार हमें इसके लिए पूर्व खेल मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी ने समझाया था। वे कहते हैं कि मैं धीरे-धीरे इसे सुधारने का प्रयास कर रहा हूं।
उनकी खेल उपलब्धियों के लिए बिहार सरकार द्वारा खेल सम्मान समारोह समेत कई अन्य सम्मान और पुरस्कार से इन्हें नवाजा जा चुका है। देवाशीष बनर्जी कहते हैं कि जबतक मेरा शरीर काम कर रहा है मैं ट्रेनिंग देता रहूंगा और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाता रहूंगा।