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Friday, March 29, 2024

एशिया का अघोषित शतरंज मास्टर– मीर सुल्तान खान

अरविंद कुमार सिन्हा,फिडे मास्टर
इस चर्चा के विषय में विश्व के महान शतरंज खिलाड़ियों, विशेषतया विश्व विजेताओं से मिलने की बात है,तो फिर क्यों न हम इसकी शुरूआत भारत की आजादी से पूर्व के उस महान खिलाड़ी से मिलकर करें जो भले ही न तो विश्व विजेता न बन पाया और न उसे शतरंज मास्टर का कोई खिताब ही मिला|पर बहुतों को शायद मालूम हो कि विश्व के लगभग सारे शतरंज खिलाड़ियों के बीच मीर सुल्तान खान का नाम बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है और उन्हें निर्विवाद रूप से एशिया का अघोषित ग्रैण्डमास्टर माना जाता है|

आजादी से पूर्व के अविभाजित भारतवर्ष (अब पंजाब,पाकिस्तान) के सगोढ़ा जिले के मिट्ठा गाँव में जन्मे, अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी इस शतरंज खिलाड़ी को वैसे तो आधिकारिक रूप से शतरंज के ग्रैंडमास्टर का खिताब नहीं मिला, पर उसकी कद्र एक समय के विश्व के श्रेष्ठ दस खिलाड़ियों में होने लगी थी, वह भी तब, जब पूरे एशिया महाद्वीप में एक भी ग्रैंडमास्टर नहीं था| प्रसंगवश,एशिया के पहले ग्रैंडमास्टर होने का गौरव फिलीपिन्स के यूजिन टोरे के नाम है जिन्हें यह खिताब 1974 में तब मिला जब उन्होंने फ्रांस के शतरंज ओलंपियाड में खेलते हुये अपनी टीम को कांस्य पदक दिलाय |

मीर सुल्तान खान (दायें ) उमर हयात खान (बाएँ ) के साथ फोटो साभार : chess.com

मीर सुल्तान खान अपनी किशोरावस्था से ही अपने मालिक कर्नल नवाब मलिक सर उमर हयात खान के घरेलू कामकाज देखते थे, (ब्रिटिश ग्रैंडमास्टर डैनियल किंग के अनुसार, नौकर थे) | उमर हयात खान को ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठावान  होने के ईनाम स्वरूप ‘सर’ की उपाधि मिली थी और साथ ही ब्रिटिश सरकार की भारतीय सलाहकार समिति की सदस्यता भी, सो लगभग प्रतिवर्ष उनका इंग्लैंड जाना होता था| शतरंज खेलने के शौकीन भी थे, सो लंदन जाकर शतरंज में ज़ोर-आजमाईश भी करते, पर अक्सर हारते| इधर नवाब साहब के महल में भी शतरंजकी बिसात बिछती जिसमें पंजाब प्रांत के धुरंधरों की जुटान होती, बाजी लगती, मैच होते और ईनाम भी दिये जाते| मीर सुल्तान खान, जाहिर है,  नवाब साहब की तीमारदारी में वहीं खड़े रहते और खेल देखते| एक दिन जब उनकी बताई चाल पर नवाब साहब अपनी हारी बाजी जीत गए तो उनके खुश होने पर खेल में शरीक होने, चाल बताने और कभी-कभार खेलने की इजाजत भी मिल गई| फिर क्या था,इधर दिन-ब-दिन मीर सुल्तान खान का खेल निखरता गया और उस दौर में सुल्तान खान के टक्कर का कोई खिलाड़ी पूरे इलाके में न रह गया था| शायद 21 की वय में उनकी प्रतिभा के कायल होकर उमर हयात खान ने उन्हें अपने संरक्षण में लेकर आधुनिक शतरंज के खेल-नियमों से रू-ब-रू कराया, जिसकी लय में बंधने में सुल्तान खान को समय तो लगा, पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के साथ खेल के माहिर खिलाड़ियों से खेल पाना मुश्किल था| देशी और आधुनिक शतरंज में वैसे तो मोटे तौर पर कुछेक चालों में अंतर भर दिखाता है, पर इससे पूरे खेल का का न सिर्फ स्वरूप बदल जाता है बल्कि खेल के अंदर इतने सूक्ष्म, पर गतिशील बदलाव होते रहते हैं और आक्रमण की जानी-परखी विधियों की धार इतनी तीक्ष्णहोती जाती है कि उसके सामने देशी शतरंज के खिलाड़ियों का टिक पाना असंभव सा हो जाता है|

कहते हैं कि तब सुल्तान खान ने अखिल भारतीय स्तर की शतरंज की प्रतियोगिता 8.5 अंक के साथ जीत कर अपना लोहा मनवा दिया था| अब क्या था, लंदन में अक्सर हार जाने वाले नवाब उमर हयात खान को अब ऐसा मोहरा मिल गया था जिसके बल पर अब वे उन अंग्रेजो पर अपनी धाक जमा सकते थे| इस प्रकार, मीर सुल्तान खान को 1929 में अपने मालिक के साथ इंग्लैण्ड जाने का मौका मिला|शुरूआत में सदैव बर्फ सा सफेद पगडी/ साफा बांधे, जो उमर हयात के नौकरो का लिबास था,सुल्तान खान का सामना पहली बार उन धुरंधरों से हो रहा था जो अंतर्राष्ट्रीय नियमों की नई तकनीक पर आधारित ओपनिंग की नई-नई शोध के सहारे शुरू में ही लाभ की स्थिति में आ जाते | थोड़ी तकलीफ तो हुई पर सुल्तान खान ने अपनी कुशाग्र बुद्धि से मध्य और अंत खेल में प्रतिद्वद्वियों को नाकों चने चबवा दिये |

उस काले-लम्बे और दुबले-पतले, गले में मफ़लर लपेटे उस नए खिलाड़ी के प्रति वहाँ के खेल प्रेमियों की उत्सुकता तो थी पर पहले चक्र की हार से उसे वैसा मामूली खिलाड़ी मान बैठे जो उन नामी खिलाड़ियों की भीड़ में ज्यादा से ज्यादा बीच वाले बोर्ड पर पहुँचने की उम्मीद कर सकता था | पर हुआ ऐसा उल्टा कि उसने बड़े बड़ों को धूल चटा दी औरपुरस्कार पाने वालों में शामिल होकर सबको अचंभित कर दिया |वहाँ के शुभेच्छुओं की भलमनसहत देखिये कि विलियम विंटरऔर फ़्रेड येट्स, जो इंग्लैंड के शतरंज मास्टर थे और उस सीधे सच्चे खिलाड़ी की प्रतिभा के कायल हो चुके थे ,सुल्तान खान को उन ओपनिंग तकनीकों से वाकिफ कराने को आगे आए |पर मीर के लिए अङ्ग्रेज़ी लिखना तो दूर,समझना और बोलना तक मुश्किल था |यहाँ तक कि उन्हें चेस का नोटेशन तक लिखना नहीं आता था और वे अपनी चालें भी हिन्दुस्तानी में लिखते | बहरहाल,दुभाषिये की मदद से किसी प्रकार उनका शिक्षण चला और वे आधुनिक शतरंज की बारीकियों से रू-ब-रू होते चले गए | आपको आश्चर्य होगा कि सुल्तान खान ने अपने इंग्लैण्ड प्रवास (1929-1933 ) के दौरान तीन बार 1929, 1932 और 1933 में ब्रिटिश चैंपियनशिप जीती जो एक रिकॉर्ड है |

कुछ अंतर्राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं में खेलने के अतिरिक्त उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य की टीम से शतरंज ओलंपियाड में 1930, 1931 और 1933 में खेलने का मौका मिला, जिसमें तीनों बार वे पहली बिसात पर ही खेले|हैम्बर्ग की विश्व टीम चैम्पियनशिप तो हद हो गई जब आस्ट्रियन चैंपियन हैन्स मॉक खेल के बीच जब-जब उन्हें ड्रॉ ऑफर करते, अङ्ग्रेज़ी भाषा नहीं बोल पाने के कारण,खान जवाब में सिर्फ ‘चेस’ बोलकर और चुप हो जाते और थोडी देर बाद अगली चाल दे देते | उत्तेजित मॉक ने चिढ़ कर प्रतियोगिता निदेशक से शिकायत तक कर डाली , पर मात्र अगली चार चालों में मिली मात ने मॉक को मौन कर दिया |वैसे साल दो साल बीतते बीतते मीर ठीक-ठाक अंग्रेजी बोलने लगे थे |बेल्जियम के लीग शहर में हुई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता 1930 में उन्हें दूसरा, नॉर्थ आइलैंड के हेस्टिंग्स शहर (1930-31 ) और लंदन (1932) की प्रतियोगिता 1930-31 में तीसरा स्थान मिला |

अलग से आयोजित 5 मैचों के सीरीज में सुल्तान खान ने वैसीली टारटाकोवर को (5-3) से हराया जबकि सोलोमन फ्लोर से (3-2) से हारे |उनकी अन्य प्रमुख उपलबद्धियों में पोलिस ग्रैण्ड मास्टर रूबेन्स्टीन और कैपाब्लांका से मिली जीत और अलेखिन, ग्रूनफेल्ड, मैक्स एयुवे और बोगोलियोबोव से ड्रा को गिना जाता है |आपको यह जान कर सुखद आश्चर्य होगा कि 1933 में जब उनकी उपलबद्धियों की आधुनिक पैमाने में माप की गई तो पाया गया कि उस दौर में सुल्तान खान का विश्व में छठा स्थान था और उनसे ऊपर विश्व के जाने-माने पाँच नाम ही थे जिनमें रूस के तत्कालीन विश्व विजेता अलेक्ज़ेंडर अलेखिन, वी आइसक कासदान,सलोवन मिखाएलोविच फ्लोर,क्यूबा के जोस राउल कैपाब्लांका और नीदरलैंड के मैक्स इयूवे ही ठहरे |आज की रेटिंग मापन पद्धति से सुल्तान का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2530 रेटिंग देखा गया है, जो उस दौर के ग्रैंडमास्टर के मुक़ाबले का है |आपको मालूम हो कि उपरोक्त सभी संसार के श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं जिनमें कासदान और फ्लोर को छोड कर बाकी सभी विश्व विजेता रहे हैं |

यूरोप का सर्द मौसम भी सुल्तान खान के जन्म से मिली शारीरिक संरचना के प्रतिकूल रहा,यही वजह रही कि सदैव गले में मफ़लर लपेटे रहने के बावजूद वे सर्दी, खांसी और जुकाम से हमेशा पीड़ित रहते|दूसरी बड़ी अडचन रही अङ्ग्रेज़ी भाषा की अज्ञानता जिसके कारण वे शतरंज के आधुनिक सिद्धांतों का अध्ययन करने और उन बारीकियों को अपनाने से चूक गए |खराब सेहत के इन जाहिरन वजहों से सुल्तान खान उनकी सच्ची काबिलियत उजाले में आ नहीं पायी |इतने पर भी शतरंज की अपनी मौलिक समझ और बुद्धिमत्ता के बल पर देखते देखते दुनियाँ के शीर्ष खिलाड़ियों को परास्त करने की क्षमता का प्रदर्शन उन्हें विश्व के श्रेष्ठतम शतरंज खिलाड़ियों में ला खड़ा करती है |बताते हैं कि लंदन के बड़े-बड़े शतरंज उत्सवों में अपने नौकर सुल्तान खान को बड़ी हस्तियों द्वारा अक्सर सम्मानित भी किया जाने लगा, फिर भला उमर हयात को कोई क्यों पूछता | शायद हीन भावना के अहसास ने नवाब उमर हयात खान को देश लौटने पर मजबूर कर दिया और 1933 में वे मीर सुल्तान को वापस हिंदोस्तान ले आए |

वैसे तो फ़िडे (विश्व शतरंज महासंघ) ने कई उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल से रिटायर होने या मरणोपरांत अंतर्राष्ट्रीय मास्टर या ग्रैंडमास्टर का खिताब दिया है, पर यह अफसोस की बाद है कि मीर सुल्तान खान का नाम अस्वीकृत/ या हटा दिया गया |

लंदन में सुल्तान खान द्वारा खेली गई आखिरी प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद जब  अमेरिका के  प्रख्यात ग्रैंडमास्टर रियुबन फ़ाइन जब अपने अमेरिकन ओलंपियाड टीम के साथियों के साथ नवाब की अनुमति लेकर उनके लंदन स्थित आवास पर मीर सुल्तान खान से मिलने गए तो नवाब ने उनका स्वागत कराते हुये कहा “मुझे  खुशी है कि आपलोग यहाँ पधारे, सामान्यतया मैं अपने शिकारी कुत्तों से ही बात करता हूँ |” फाइन लिखते हैं कि मुसलमान होने के बावजूद वे बेइंतिहा शराब पीते थे क्योंकि महाराजाओं को वहाँ शराब मंगाने की अनुमति थी | शतरंज टीम के सदस्य जब सुल्तान खान को नहीं देखा और जब उमर हयात खान से सुल्तान खान से मिलने की इच्छा जताई तो नवाब ने अन्य नौकरों के साथ खानसामे की लिबास में खाना परोसते सुल्तान खान को आवाज देकर बुलाया और चार पृष्ठों की अपनी जीवनी छापने के लिए थमा दी | सारे शतरंज खिलाड़ी इस महान खिलाड़ी की ऐसी अपमानजनक दुर्दशा और उसके साथ असंवेदनशील व्यवहार देख सन्न रह गए|क्षुब्ध फाइन ने अपने संस्मरण में लिखा है कि उमरहयात खान की सिर्फ इतनी योग्यता थी कि वह नवाब खानदान में पैदा हुये थे | विंटर ने अपने संसमरण में सुल्तान खान के बारे बताया है “ पता नहीं वह महान खिलाडी जीवित भी है, अथवा नहीं । पर यदि ऐसा होता तो यह खबर जरूर निकल कर आती ।मैं आज भी उसे किसी पेड़ के नीचे शतरंज खेलता देखता हूँ |”

कहते हैं कि भारत वापसी पर सुल्तान खान को ऐसा लगा जैसे वे जेल में कैद से रिहा हुए हों |यहाँ का गर्म मौसमउनके स्वास्थ्य के अनुकूल था | 1935 में यहाँ के विख्यात खिलाड़ी वी खाडिलकर से 10 मैचों की शृंखला भी खेली जिसमें मात्र एक मैच ड्रा रहा, बाकी सारे मैच मीर सुल्तान खान ने जीते |पर बाद में मीर का मन शतरंज से पूरी तरह उचट गया और शतरंज से उनका नाता बिलकुल टूट गया | शायद यही वजह थी कि उन्होंने शतरंज की विरासत अपने बच्चों को बिलकुल नहीं दी और जीवन जीने के लिए कोई और जरिया अपनाने को कहा |यह जानना सुखद होगा किउनके पुत्र अतहर सुल्तान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक होकर बाद में पाकिस्तान सरकार के इंस्पेक्टर जेनरल ऑफ पुलिस बने |

उमरहयात खान वैसे तो 1944 में चल बसे और उनसे मिली थोड़ी सी जायदाद ही सुल्तान खान के जीने का जरिया बना रहा| बाद में टी बी (उस समय की असाध्य बीमारी) के कारण एशिया के इस सर्वाधिक चर्चित प्रतिभा और अघोषित ग्रैण्डमास्टर का मात्र 60 वर्ष की आयु में निधन हो गया |

आइये अब अंत में, हम शतरंज के उस महान बाजीगर के कुछ खेलों का अवलोकन करें :-

1MirSultanKhan vs JoseRaulCapablancaHastings,1930-31 ENG, rd 3, Dec-31
1.Nf3Nf62.d4b63.c4Bb74.Nc3e65.a3d56.cxd5exd57.Bg5Be78.e3OO9.Bd3Ne410.Bf4Nd711.Qc2f512.Nb5Bd613.Nxd6cxd614.h4Rc815.Qb3Qe716.Nd2Ndf617.Nxe4fxe418.Be2Rc619.g4Rfc820.g5Ne821.Bg4Rc1+22.Kd2R8c2+23.Qxc2Rxc2+24.Kxc2Qc7+25.Kd2Qc426.Be2Qb327.Rab1Kf728.Rhc1Ke729.Rc3Qa430.b4Qd731.Rbc1a632.Rg1Qa433.Rgc1Qd734.h5Kd835.R1c2Qh336.Kc1Qh437.Kb2Qh338.Rc1Qh439.R3c2Qh340.a4Qh441.Ka3Qh342.Bg3Qf543.Bh4g644.h6Qd745.b5a546.Bg3Qf547.Bf4Qh348.Kb2Qg249.Kb1Qh350.Ka1Qg251.Kb2Qh352.Rg1Bc853.Rc6Qh454.Rgc1Bg455.Bf1Qh556.Re1Qh157.Rec1Qh558.Kc3Qh459.Bg3Qxg560.Kd2Qh561.Rxb6Ke762.Rb7+Ke663.b6Nf664.Bb5Qh365.Rb81-0

2.AlexanderAlekhine vs MirSultanKhan
“IndianDefense” Prague Olympiad (1931), Qeen’s Indian Defense: Fianchetto Traditional (E15)  ·  1/2-1/2
1.Nf3-Nf62.c4-e63.d4-b64.g3-Bb75.Bg2-d56.Ne5-Nbd77.Qa4-c58.cxd5-Nxd59.dxc5-Bxc510.OOa611.Qxd7+Qxd712.Nxd7Kxd713.Nd2Rhd814.Nb3Rac815.Nxc5+Rxc516.e4Nf617.Be3Rb518.Rfd1+Ke819.Rxd8+Kxd820.Bd4Nxe421.Bxg7Nd622.a4Rf523.Bd4b524.Bf1Kd725.axb5axb526.Be3h527.f4Be428.Ra7+Ke829.Kf2Rd530.Be2Bd331.Bf3Be432.Be2Bd31/2-1/2

3.MirSultanKhan vs AkibaRubinstein
PragueOlympiad(1931),PragueCSR,rd2,Jul-12
Queen Pawn Game: Krause Variation (D02)  ·  1-0
1.d4d52.Nf3c53.e3e64.Ne5Nf65.Nd2Nbd76.f4Bd67.c3b68.Bd3Bb79.Qf3h510.Qg3Kf811.O-Oh412.Qh3Rc813.Ndf3Ne414.Bd2Nxd215.Nxd2Nf616.Ndf3Rc717.Ng5Bc818.Rf3Rh619.Raf1Kg820.R3f2Qf821.Qf3cxd422.cxd4g623.g4hxg324.hxg3Nh725.Ng4Nxg526.Nxh6+Qxh627.fxg5Qxg528.Kg2e529.Qf6Qxf630.Rxf6e431.Bb1Be632.R6f2Rc833.a3Kg734.Rc2Rd835.Ba2Kh636.Bb3Kg737.Rc6Kf838.Bd1Ke739.Rh1Bd740.Rc1Be641.Be2Kf642.Rh7Kg543.Kf2Kf644.Bf1g545.Be2g446.Kg2Rg847.Ba6Rb848.a4Ke749.Rch1Rd850.Rh8Rd751.Rc1Bb452.Kf2Kf653.Re8Kg754.Rc6Kf655.Rg8Rd656.Rxd6Bxd657.Ra81-0

4. Mir Sultan Khan vs Frank James MarshallLiege (1930), Liege BEL, rd 4, Aug-22
Center Game: Berger Variation (C22)  ·  1-0
1.e4e52.d4exd43.Qxd4Nc64.Qe3Nf65.Nc3Be76.Bd2d57.exd5Nxd58.Nxd5Qxd59.Ne2Bg410.Nf4Qd711.f3O-O-O 12.OORhe813.fxg4Bb414.Qf2Bc515.Qf3Re316.Qd5Qe717.Qf5+Kb818.Nd3Rdxd319.Bxd3Nd420.Qxh7a621.Bxe3Qxe3+22.Kb1Nc623.Qe4Qh624.c3Bd625.h4Ne526.Bc2Qe61-0

5.MaxEuwe vs MirSultanKhan
Berne(1932),rd8,Jul-23Neo-Grünfeld Defense: Non- or Delayed Fianchetto (D70)1/2-1/2
1.d4Nf62.Nf3d53.c4g64.cxd5Nxd55.e4Nb66.Nc3Bg77.Be3O-O8.h3N8d79.Be2e510.d5c611.dxc6bxc612.O-OQe713.Rc1Qb414.Qd2Re815.a3Qe716.Qc2Bb717.Na4Bf818.Nc5Nxc519.Bxc5Qxc520.Qxc5Bxc521.Rxc5f622.Nd2Red823.Nb3Na424.Ra5Nb625.Rc1Rd626.Kf1Bc827.Ke1Bd728.Nc5Be829.Ba6Rb830.b4Bf731.Bb7Rbd832.Rxa7Nc433.Ba6Nxa334.Nb7R6d735.Nxd8Rxa736.Rxc6Be837.Rxf6Nc2+38.Kd2Nxb439.Bc4+Kg740.Rd6Rd741.Ne6+Kh642.Rxd7Bxd743.Nc5Be844.Kc3Nc645.Bb5Kg546.Nd3Kf647.Kc4Bf7+48.Kc5Nd449.f4Ne6+50.Kd6exf451.e5+Kg752.Bd7Ng553.Nxf4Ne4+54.Ke7Bc455.e6Nf656.g4g557.Nh5+Nxh558.gxh5h659.Kd6Bxe660.Kxe6Kh81/2-1/2

इस लिंक को क्लिक कर देखें उनके गेम को : http://chessgames.com/player/mir_sultan_khan.html

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