Wednesday, April 30, 2025
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बीसीए के चुनाव अधिकारी की नियुक्ति असंवैधानिक, न्यायालय में संजीव मिश्र देंगे चुनौती

by Khel Dhaba
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पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के पूर्व प्रवक्ता, बीसीए के माननीय लोकपाल के पूर्व रिटेनर तथा पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने कहा है कि कल रविवार (28 अगस्त, 2022) को पटना में आयोजित बीसीए की आमसभा में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा सत्र 2022-25 के चुनाव के लिए एजीएमयू कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी एवं गोवा सरकार के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉक्टर. एम. मोदस्सीर को बीसीए का इलेक्ट्रोल ऑफिसर बना कर बीसीए के संविधान के खिलाफ कार्य किया गया है।

उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का संविधान यह मान्यता देता है कि चुनाव आयोग, बिहार सरकार का ही कोई पूर्व सदस्य जोकि बीसीए का इलेक्ट्रोल ऑफिसर बन सकता है लेकिन डॉक्टर. एम. मोदस्सीर को बीसीए ने चुनाव अधिकारी बना कर अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ा दी है। इस निर्णय के बाद से बीसीए और बिहार क्रिकेट जगत में भूचाल आ गया है।

श्री मिश्र ने कहा कि बीसीए से जुड़े जिला संघों को नये इलेक्ट्रोल ऑफिसर की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल को दबाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिये जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीसीए के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी अपना सिंहासन बचाने के लिए शतरंज की हर चाल चल रहे हैं और शह और मात का खेल के बीच भद्रजनों का खेल क्रिकेट बिहार में बीसीए के संविधान के साथ गुल्ली-डंडा खेलते नजर आ रहा है।

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोल ऑफिसर की नियुक्ति में पूरी तरह से मनमानी की गई है और तरह-तरह से बीसीए के संविधान को नोंच-नोंच कर रख दिया गया है। बीसीए के स्वयंभू अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी जिस तरह से अपने कई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाते आ रहे हैं उसी तरह से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना कर रख दिये हैं। बीसीए में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है और संविधान लगता है कि आईसीयू में चला गया है।

उन्होंने कहा कि बीसीए द्वारा नियुक्त किये गए नव नियुक्त इलेक्ट्रोल ऑफिसर डॉक्टर. एम. मोदस्सीर खुद किसी राज्य के चुनाव आयुक्त रह चुके हैं और वे इस तरह की गलती नहीं कर सकते हैं। लगता है बीसीए का संविधान को न तो उनको भेजा गया है और न ही तो वे बीसीए के संविधान को पढ़ पाये हैं।

श्री मिश्र ने कहा कि बीसीए में इलेक्ट्रोल ऑफिसर की अवैध नियुक्ति को तत्काल रद्द किया जाए। अन्यथा मजबूरन बीसीए के संविधान की रक्षा एवं बिहार के लाखों क्रिकेटरों के भविष्य एवं खेल प्रेमियों की भावनाओं व क्रिकेट हित को ध्यान में रखते हुए माननीय न्यायालय का रास्ता तय करना पड़ेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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