Home Slider जिनके हौंसलों और इरादों के सामने बाधाओं ने भी टेक दिये घुटने

जिनके हौंसलों और इरादों के सामने बाधाओं ने भी टेक दिये घुटने

by Khel Dhaba
0 comment

मधु शर्मा
पटना। कहते हैं कि यदि आपके इरादे पक्के हैं और हौसले बुलंद, तो मुश्किलें भी आपके लिये राहें बना देती है। ऐसा ही कुछ हुआ इस जांबाज खिलाड़ी के साथ। खेल के दौरान आंख में चोट लगी और उस आंख की रौशनी भी चली गई, पर इस शख्स ने हार नहीं मानी और अपने खेल की बदौलत अपना और अपने टीम का नाम रौशन करता रहा। आज भी पूरी तरह क्रिकेट के प्रति समर्पित इस दिग्गज का नाम है आशीष घोषाल। तो आईए जानते हैं पटना के इस दायें हाथ के तेज गेंदबाज के खेल कैरियर के बारे में।

राजधानी पटना के गर्दनीबाग इलाके में रहने वाले आशीष घोषाल का क्रिकेट प्रति लगाव बचपन से ही था। उन्होंने पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से शुरू की और बाद में मिलर हाईस्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के उपरांत पटना कॉलेज में नामांकन करा लिया।

वर्ष 1974 में लगभग 16 वर्ष की उम्र में पटना जिला के बी डिवीजन क्रिकेट लीग से क्रिकेट कैरियर शुरू करने वाले आशीष घोषाल अपने डेव्यू साल में शानदार खेल दिखाया और फिर उनका सेलेक्शन पटना कॉलेज टीम में हो गया। इस साल उन्होंने कुल 15 लीग मैच खेले और 60 विकेट चटकाए। जो उस दौर का एक रिकॉर्ड था।

वर्ष 1976 में आशीष घोषाल का पटना यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम में चयन किया गया। वर्ष 1976 में पटना जिला की ओर से हेमन ट्रॉफी अंतर जिला क्रिकेट टूर्नामेंट में पदार्पण किया। इसी साल उनके साथ नाइंसाफी हुई जैसा वो कहते हैं। वर्ष 1976 में सी. के. नायडू के ट्रायल में अप्रत्याशित रूप से मुझे नहीं चुना गया। इन्होंने जब पीडीसीए से इस संबंध में सवाल किया तो हमें तो कई जवाब नहीं मिला पर मीडिया को बताया गया कि इन्हें अनुशासनहीनता की वजह से बाहर किया गया है। इस सियासत की खेल की वजह से अगले 2 साल तके इन्हें कंपीटिटिव क्रिकेट से भी बाहर कर दिया।

पुनः 2 साल बाद 1979-80 में आशीष घोषाल की वापसी पटना यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम में हुई। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सम्पन्न ईस्ट जोन क्रिकेट में पटना यूनिवर्सिटी पहली बार पटना से बाहर चैंपियन बनी। इस चैंपियनशिप के फाइनल में पटना विश्वविद्यालय ने मेजबान बीएचयू को प्रतिकूल परिस्थितयों में हराया जिसमें आशीष घोषाल ने चोटिल होने के बाद भी सात विकेट चटकाए।
1980-81 में ये मेकॉन की ओर से खेलने चले गए और रांची जिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए पटना को हरा अंतर जिला क्रिकेट टूर्नामेंट की चैंपियन बनी।

वर्ष 1982-83 में वे पटना विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम के कप्तान बनाये गए और इस वर्ष यह टीम ऑल इंडिया में तीसरा रैंक हासिल की । यह गौरव पटना यूनिवर्सटी क्रिकट टीम ने गुजरात को हरा कर हासिल किया तथा इस मैच में इन्होंने सात विकेट चटकाये थे। यूनिवर्सिटी क्रिकेट में आखिरी मैच इन्होंने पटना यूनिवर्सिटी क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में खेला।

इसके बाद इन्हें कोलकाता लीग खेलने का ऑफर मिला और वह वहां चले गए। खेल के दौरान उनकी आंख में चोट लगी और अंतत: एक आंख की रोशनी चली गई। इसके बाद भी आशीष घोषाल ने हार नहीं मानी और खेलते रहे। वर्ष 1989 में हेमन ट्रॉफी क्रिकेट में अपनी कप्तानी में समस्तीपुर को मात दी और सात विकेट चटकाये।

स्व.बी.एन. घोषाल और स्व. मनोरमा घोषाल के पुत्र आशीष घोषाल ने वर्ष 1982 में बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी की और वर्ष 2018 में उपसचिव के पद से सेवानिवृत हुए। उन्होंने अपने कार्यालय की ओर से बहुत सारे मैच खेलते हुए बेहतरीन प्रर्दशन किया। आशीष घोषाल पटना टीम के चयनकर्ता और बिहार टीम के मैनेजर भी रहे हैं।

उनकी पत्नी कस्तूरी घोषाल नामी ब्रांड्स जैसे रेवलॉन, लैक्मे, पी एंड जी में एग्यूक्यूटिव और मैनेजर के रूप में वर्ष 2013 तक काम किया। उनकी बेटी आयुषी मुंबई की एक लॉ फर्म में काम करने के बाद अपनी कैरियर की दिशा बदल दी और अपने पैशन के लिए फ्रीलांसर स्क्रीनराइटर बनी और बड़ी प्रोडक्शन हाउसेस जैसे एकता कपूर, सोनाली बेंद्रे बहल और बालाजी फिल्म्स के लिए काम करती हैं। उसकी कई किताबें छप चुकी है और कई स्टेज शोज में बतौर कवि, उसने परफॉर्म भी किया है। आशीष घोषाल आज भी क्रिकेट के लिए जीते हैं और क्रिकेट के विकास के लिए हमेशा आगे रहते हैं।

You may also like

Leave a Comment

खेलढाबा.कॉम

खेलढाबा.कॉम, खेल पत्रकार की सोच और बहुत सारे खेल प्रेमियों के सुझाव व साथ का परिणाम है। बड़े निवेश की खेल वेबसाइट्स की भीड़ में खेलढाबा.कॉम के अलग होने की यह भी एक बड़ी वजह है। तो, जिले-कस्बों से बड़े आयोजनों तक की कवरेज के लिए जुड़े रहें खेलढाबा.कॉम से।

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

Laest News

@2025 – All Right Reserved.

Verified by MonsterInsights