नईदिल्ली, 17 सितंबर। किसी भी मां के लिए बच्चे को जन्म देने के बाद काम पर लौटना एक कठिन काम होता है पर उस काम से लगाव समेत अन्य चीजें मां को अपने काम पर खींच लाती हैं। कुछ मां अपने जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए काम पर लौटती हैं तो किसी का उस काम के प्रति पैशन को लेकर लौटता पड़ता है। कुछ ऐसा ही होता है खेल में जो पैशन सुपर मॉम को अपने खेल के प्रति खींच लाई है और बड़ी संख्या में भारतीय महिला खिलाड़ी अब प्रतिस्पर्धा जारी रखकर रूढ़िवादिता को तोड़ रही हैं।
भारत में मां बनने के बाद खेल जारी रखने वाली सबसे प्रसिद्ध ‘सुपर मॉम’ शायद दिग्गज मुक्केबाज मेरीकोम और छह बार की ग्रैंड स्लैम विजेता सानिया मिर्जा हैं।
हम आपको आज यहां बताने जा रहे हैं 23 सितंबर से शुरू होने वाले हांगझोउ एशियाई खेलों में उन सुपर मॉम के बारे में जो अपने देश के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी और पदक जीत नाम रौशन करेंगी।
दीपिका पल्लीकल (स्क्वैश)
भारतीय स्क्वाश की ‘पोस्टर गर्ल’ दीपिका पल्लीकल (Deepika Pallikal (squash)) देश के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने जोशना चिनप्पा के साथ मिलकर 2014 में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में स्क्वैश में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता। उनकी अन्य उपलब्धियों में विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला बनने के अलावा विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में कई पदक जीतना भी शामिल है।
अक्टूबर 2021 में उनके और उनके पति भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक के घर जुड़वां लड़कों कबीर और जियान का जन्म हुआ। इसके कुछ महीने बाद दीपिका ने स्क्वैश कोर्ट पर वापसी की और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में मिश्रित युगल में कांस्य पदक जीता। आशा है कि हांगझोउ एशियाई खेलों (asian games hangzhou 2022) में दीपिका मिश्रित युगल स्पर्धा में भाग लेंगी और संभवत: यह उनके अंतिम एशियाई खेल होंगे।
कोनेरू हंपी (शतरंज)
यह ग्रैंडमास्टर भारत की बेहतरीन शतरंज खिलाड़ियों में से एक है। वह 2002 में 15 साल, एक महीने, 27 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं और 2600 ईएलओ रेटिंग अंक को पार करने वाली दूसरी महिला बनीं। हंपी (Koneru Hampi (chess)) ने 2017 में अपनी बेटी अहाना को जन्म दिया जिसके बाद उन्होंने मातृत्व ब्रेक लिया। वह दो साल बाद वापसी करते हुए 2019 में महिला विश्व रैपिड चैंपियन बनीं और फिडे महिला ग्रां प्री 2019-21 सत्र में उपविजेता रहीं। यह 36 वर्षीय खिलाड़ी हांगझोउ में एकल के साथ-साथ टीम स्पर्धा में भी भाग लेगी।
हरिका द्रोणावल्ली (शतरंज)
यह भारतीय ग्रैंडमास्टर विश्व चैंपियनशिप की तीन बार की पदक विजेता है। यह 32 वर्षीय खिलाड़ी दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। हरिका (Harika Dronavalli (chess)) पिछले साल गर्भावस्था के नौवें महीने में बेहद दबाव वाले टूर्नामेंट शतरंज ओलंपियाड में खेली थीं। एशियाई खेलों की तैयारी के लिए वह तैयारी शिविरों के दौरान अपने साथियों के साथ ऑनलाइन जुड़ेगी।
हंपी, आर वैशाली, तानिया सचदेव और भक्ति कुलकर्णी के साथ हरिका ने शतरंज ओलंपियाड में महिला टीम स्पर्धा का कांस्य पदक जीता जो महिला वर्ग में भारत का पहला पदक था। इसके कुछ दिनों बाद उनके यहां बेटी हनविका ने जन्म लिया। वह 2010 के ग्वांग्झू खेलों के व्यक्तिगत कांस्य पदक में एशियाई खेलों का एक और पदक जोड़ना चाहेंगी।

मनप्रीत कौर (गोला फेंक)
मनप्रीत कौर महिलाओं की गोला फेंक स्पर्धा में भाग लेंगी। राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक मनप्रीत (Manpreet Kaur (shot put)) ने 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। फिर उन्होंने अपनी शादी और बेटी जसनूर के जन्म के लिए तीन साल का ब्रेक लिया। वह 2016 में प्रतिस्पर्धी प्रतियोगितओं में लौटीं और अपने खेल में रियो 2016 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय महिला बनीं।
मनप्रीत पर जुलाई 2017 में चार साल का डोपिंग प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन उन्होंने पिछले साल मजबूत वापसी करते हुए गोले को 18.06 मीटर की दूरी तक फेंककर न केवल अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया बल्कि गोला फेंक में 18 मीटर की दूरी को पार करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बन गईं।

