Tuesday, September 2, 2025
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BCA Office में घुस कर क्रिकेटरों ने जीएम क्रिकेट ऑपरेशन पर फेंकी स्याही

by Khel Dhaba
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बिहार में क्रिकेट का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है सचिव-अध्यक्ष गुट के बीच जहां कुर्सी की लड़ाई जारी है वहीं खिलाड़ियों के चयन में धांधली का आरोप—प्रत्यारोप। इन विवादों की वजह से क्रिकेट ग्राउंड पर न होकर सालों भर कोर्ट-कचहरी और सोशल मीडिया पर खेला जा रहा है जिसका नुकसान कहीं न कहीं से क्रिकेटरों को उठाना पड़ रहा है। इन विवादों का सीधा असर शनिवार को देखने को मिला। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के कार्यालय में सूबे के क्रिकेटरों ने जमकर बवाल काटा।

उग्र क्रिकेटरों ने क्रिकेट में व्याप्त धांधली को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कार्यालय पहुंच अपना रोष जताया। इतना ही नहीं उनसे बात कर उन्हें समझाने पहुंचे जीएम क्रिकेटर ऑपरेशन सुनील सिंह के मुख पर कालिख पोती। साथ ही चेतावनी दी की ये लोकतंत्र है और विरोध करना हमारा अधिकार।

पूर्व खिलाड़ी और समाजसेवी अमित कुमार यादव ने एक बयान जारी करते कहा है कि बिहार क्रिकेट के सभी भ्रष्टाचारियों के मुंह पर कालिख पोतूंगा। बिहार क्रिकेट के एक अधिकारी ने जब यह बयान दिया कि जिसका बल्ला बोलेगा वही क्रिकेट खेलेगा तो यह महसूस हुआ कि खिलाड़ियों के अच्छे दिन आने वाले है लेकिन यहां तो गंगा उल्टी बहने लगी,जिसका बल्ला बोला वो आत्महत्या करने की बात करने की बात करने लगा। अब यह नहीं चलेगा। मैं बनूंगा खिलाड़ियों की आवाज। मुझे और अब तो जिसका बल्ला बोलेगा वही क्रिकेट खेलेगा चाहे जो हो जाए।

अमित यादव ने बयान में कहा कि सभी चयनकर्ता अच्छे समझ लें। यदि किसी गलत चयन सूची पर हस्ताक्षर किया तो उनका मुंह भी काला किया जाएगा। साथ ही बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी को भी चेताया और कहा कि तुम भी नहीं बचोगे और तुमको तो बीजेपी कार्यालय के सामने कालिख पोतूंगा। सारा बिहार जानता है कि बीसीए में सबसे भ्रष्ट और खिलाड़ियों के सबसे बड़े दुश्मन राकेश तिवारी है। अगला टारगेट कौशल तिवारी है।

वहीं इस घटना की पूर्व क्रिकेटरों व अधिकारियों ने निंदा की है। साथ ही कई लोगों ने इसे अलोकतांत्रिक कहा है। इसके उलट कुछ क्रिकेटरों ने कहा कि हम जो कर रहे हैं वह अलोकतांत्रिक हो गया और बीसीए या जिला यूनिट में बैठे लोग जो कर रहे हैं वह क्या लोकतांत्रिक हो गया। स्टेट खेले प्लेयरों को साजिश के तहत बाहर का रास्ता दिखाना, कोई मैच नहीं कराना, क्रिकेट से दूर-दूर का नाता नहीं होना क्या यह लोकतांत्रिक है। यह तो अब तय है कि बिहार क्रिकेट में अब एक आंदोलन का स्वरुप लेगा।

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