Friday, August 8, 2025
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जिसने अपनी जिंदगी क्रिकेट को समर्पित कर दी, जानें इनके क्रिकेटर टू पिच क्यूरेटर बनने तक के सफर के बारे में

by Khel Dhaba
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शैलेंद्र कुमार
पटना।
इस शख्स के लिए क्रिकेट ही सब कुछ है। अबतक की पूरी लाइफ क्रिकेट को समर्पित कर दी। बात भी सही है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए उसके के प्रति दीवानगी होने जरूरी है। जब खेलते थे तब मनोयोग से। खेलना छोड़ा और क्रिकेट से जुड़े अन्य क्षेत्रों जैसे कोचिंग, अंपायरिंग और पिच क्यूरेटर में कदम रखा तो उसमें भी वही लगन दिखाई और इसी की बदौलत वे आज बुलंदियों पर हैं।

अपने नाम को लेकर वे जाने जाते हैं। बचपन में नाम था राज कुमार पर एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सुनील वाल्सन के फैन होने के कारण इन्होंने अपना नाम को चेंज करा लिया। इतने से आप तो समझ गए होंगे हम किसी की बात कर रहे हैं। नहीं समझे तो चलिए हम बता देते हैं ये हैं अपने बिहार के पूर्व रणजी प्लेयर राजू वाल्श जो कि एक सफल कोच व अंपायर भी रहे हैं। वर्तमान समय में बीसीसीआई से अप्रूव पिच क्यूरेटर हैं और बल्लेबाजों को चौके-छक्के जड़ने और गेंदबाजों को गिल्लियां उड़ाने के लिए स्टैंडर्ड पिच का निर्माण करते हैं। तो आइए जानते हैं राजू वाल्श के कैरियर से जुड़ी ढेर सारी बातें-

राजू वाल्श ने अपने क्रिकेट की एबीसीडी क्रिकेट कोच स्व. आईएस ठाकुर से सीखी। पटना के विभिन्न क्लबों से खेलते हुए राज्य टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया। वर्ष 1983 से 1985 तक पटना की ओर से श्यामल सिन्हा क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। 1986 से 1991 तक पटना जिला सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए हेमन ट्रॉफी खेला। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित टूर्नामेंट में बिहार टीम की ओर खेला। उन्होंने बिहार की ओर से अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी, अंडर-19 सीके नायडू ट्रॉफी, एसजीएफआई सीके नायडू ट्रॉफी अंडर-19 टूर्नामेंट खेला। अपने बेहतर खेल की बदौलत इन्होंने ईस्ट जोन की टीम में जगह बनाई और अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी में 1986 से लेकर 1988 तक खेला। राजू वाल्श ने 15 फर्स्ट क्लास मैच और लिस्ट ए के 11 मैच त्रिपुरा की ओर से खेले।

खेल छोड़ने के बाद राजू वाल्श ने क्रिकेट कोचिंग और अंपायरिंग में कदम रखा। वे बिहार अंडर-19 टीम, बिहार अंडर-16 टीम के कोच रह चुके हैं। एसजीएफआई में भाग लेने वाली बिहार टीम के कोच राजू वाल्श रह चुके हैं। न केवल बिहार बल्कि अरुणाचल प्रदेश की अंडर-16, अंडर-19  टीम के वर्ष 2013 से 2016 के कोच रहे। उन्होंने वर्ष 2004 और 2005 में पूर्व क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लेने वाली पटना विश्वविद्यालय को ट्रेनिंग दी। उन्होंने श्यामल सिन्हा और हेमन ट्रॉफी में भाग लेने वाली पटना जिला टीम को भी ट्रेनिंग दी है।

अंपायरिंग में राजू वाल्श सफल रहे हैं। उन्होंने पटना क्रिकेट लीग समेत कई नामी क्रिकेट टूर्नामेंट में अंपायरिंग की और अपने फैसले पर किसी को उंगुली उठाने का मौका नहीं दिया। वे राज्य अंपायरिंग की परीक्षा पास कर रखी है। साथ में वे एनसीए लेवन ए क्रिकेट प्रशिक्षक की पास कर ली है।

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क्रिकेट कोचिंग और अंपायरिंग के बाद राजू वाल्श ने पिच क्यूरेटर के काम में कदम रखा। इसकी बारिकियां उन्होंने मोइनुल हक स्टेडियम के पिच स्टाफ से सीखी थी। पिच क्यूरेटर बनने की लालसा राजू वाल्श को खेल के दौरान से ही थी। वर्ष 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मोहाली में हुए टेस्ट मैच में बीसीसीआई और पंजाब क्रिकेट संघ के मुख्य पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह के साथ काम किया और वहीं से काफी तकनीकी जानकारियां हासिल कीं। यह मैच महेंद्र सिंह धौनी का कप्तान के रूप में पहला टेस्ट मैच था। राजू वाल्श ने पिच क्यूरेटर की विशेष जानकारी दलजीत सिंह से एक महीने तक मोहाली में रह कर ली। इसके बाद राज्य में कहीं पिच निर्माण की बात होती तो राजू वाल्श को बुलाया जाता। उन्होंने पटना के सायंस कालेज में क्रिकेट पिच का निर्माण किया पूर्व क्षेत्र अन्तर विश्वविधालय क्रिकेट प्रतियोगिता के लिये और इसी पिच पर फिर पटना जिला क्रिकेट लीग का मैच खेला गया। मोइनुल हक स्टेडियम में होने वाले कई मैचों में वर्ष 2017 तक पिच क्यूरेटर का काम किया। वर्ष 2009 में बिहार क्रिकेट संघ की ओर बीसीसीआई द्वारा चेन्नई में आयोजित दो दिवसीय पिच क्यूरेटर सेमिनार में हिस्सा लिया

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 वर्ष 2013 में बीसीसीआई द्वारा आयोजित पिच क्यूरेटर के लिए आयोजित सेमिनार में हिस्सा लिया। इसी दौरान ली गई परीक्षा को पास कर राजू वाल्श बीसीसीआई के ऑफिसियल पिच क्यूरेटर बन गए। इस परीक्षा को पास करने वाले पहले बिहारी थे। राजू वाल्श कहते हैं कि पूर्व क्षेत्र व उत्तर-पूर्व क्षेत्र राज्य के एकमात्र प्रथम श्रेणी क्रिकेट खिलाड़ी होने के साथ-साथ बीसीसीआई पास पिच क्यूरेटर हूं। साथ ही बिहार में बीसीसीआई पास एक मात्र पिच क्यूरेटर हूं। बिहार में क्रिकेट लौटा तो एक बार फिर राजू वाल्श को मोइनुल हक स्टेडियम में पिच निर्माण की जिम्मेवारी सौंपी गई। उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा सत्र 2018-19 में बिहार क्रिकेट संघ के लिए पिच क्यूरेटर नियुक्त किया गया। राजू वाल्श ने अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाई। अंडर-19 से लेकर रणजी ट्रॉफी के मैच इस पिच पर खेले गए जिसकी तारीफ बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने की। इस दौरान राजू वाल्श न केवल अपनी ड्यूटी निभाई बल्कि अपनी जमा पूंजी भी खर्च की। राजू वाल्श कहते हैं कि मुझे जिस काम में लगाया जाता है वहां अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाता हूं और आगे भी निभाता रहूंगा। वे कहते हैं कि मेरी जिंदगी क्रिकेट को समर्पित रही है।

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