
शैलेंद्र कुमार
पटना। बिहार की आर्थिक रूप से मजबूत खेल संगठन पटना जिला क्रिकेट संघ छह माह बाद 50 वर्ष का हो जाएगा। लेकिन इस संघ के वर्तमान कर्ताधर्ता संघ की स्वर्णजयंती वर्ष को यादगार बनाने और वर्ष 2008 में हुए चुनाव के बाद नए पदाधिकारियों को चुने जाने का मार्ग प्रशस्त करने को इच्छुक नहीं दिख रहे हैं।
पटना जिला क्रिकेट संघ का जन्म वर्ष 1972 में सीनियर डिवीजन क्रिकेट लीग के एक मैच में उत्पन्न विवाद के कारण हुआ था। इसलिए इस संघ का विवादों से पुराना याराना है। इसके गठन से पूर्व राजधानी में क्रिकेट क्रियाकलापों का संचालन पीएए करती थी। वर्तमान समय में पीडीसीए के संस्थापक रहे अधिकांश सदस्य स्वर्गीय हो चुके है। जो लोग बचे है, उन्हें दरकिनार कर दिया गया है।
पीडीसीए संविधान के अनुसार प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल के बाद चुनाव कराने की व्यवस्था थी। इसके अनुसार अब तक छह चुनाव हो जाने चाहिए थी। लेकिन नहीं हुआ। संघ ने वर्ष 2018 में चुनाव के कार्यकाल को एक वर्ष बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया। पिछले कुछ सालों से हालात यह है कि पीडीसीए न खेल करा पा रहा है और नहीं राजनीति हो पा रही है।
वर्ष 2008 में भी चुनाव काफी लंबे अंतराल के बाद हुआ था। उस समय सचिव स्व. अजितेश्वर प्रसाद जित्तू हुआ करते थे। वे लंबे समय तक जब इस पद पर रहे तो आज कुर्सी पर कायम लोग ही कहा करते थे जित्तू जी कब कुर्सी छोड़ेंगे पर जब अपनी बारी आई तो कुर्सी छोड़ने का नाम ही ले रहे हैं।
वर्ष 2008 के चुनाव में डॉ. अमरनाथ सिंह (अध्यक्ष), अजय नारायण शर्मा (सचिव) और सुनील रोहित (कोषाध्यक्ष) के पद पर चुने गए थे। वर्ष 2011 में सुनील रोहित ने कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2011 में ही पीके प्रणवीर को कोऑप्ट कर कोषाध्यक्ष बना दिया गया। लोढ़ा कमेटी को वर्ष 2017 में पीडीसीए ने अपनाया और प्रवीण कुमार प्राणवीर अध्यक्ष बनये गए। अजय नारायण शर्मा सचिव बन गए। बीच में चुनाव की पहल शुरू हुई। चुनावी प्रक्रिया भी शुरू हुई लेकिन कई क्लबों का नाम वोटरलिस्ट से हटाये जाने के बाद मामला कोर्ट में चला गया और फिर मामला उलझता ही चला गया। मामले अब भी कोर्ट में दायर हैं। बेगूसराय प्रकरण के बाद तो पटना क्रिकेट की हालत और खराब हो गई जो इस वर्ष थोड़ी पटरी पर लौटती नजर आई।
ऐसे चुनाव को लेकर वर्तमान में पीडीसीए के अध्यक्ष प्रवीण कुमार प्राणवीर और सचिव अजय नारायण शर्मा अपने-अपने बहाने गिना रहे हैं। सचिव अजय नारायण शर्मा कहते हैं कि कोर्ट में मुकदमा लंबित है फैसला आने के बाद ही चुनाव होगा। खेलकूद गतिविधि कोरोना के कारण रुका हुआ है। अगले वर्ष संघ के स्वर्ण जयंती वर्ष को यादगार बनायेंगे। वे कहते हैं कि वर्ष 1972 में मैं स्वयं एक जूनियर खिलाड़ी था। आज मैं जो भी हूं क्रिकेट की देन है।
अध्यक्ष प्रवीण कुमार प्राणवीर कहते हैं कि संविधान संशोधन के बाद इस वर्ष चुनाव कराने को हम इच्छुक हैं। लीग कराने के लिए हमने बीसीए के माध्यम से तीन माह के लिए मोइनुल हक स्टेडियम आवंटन कराया था। लीग शुरू भी हो चुका था पर कोरोना काल के कारण बंद कर देना पड़ा।
पटना के क्रिकेट जानकारों का कहना है कि कोर्ट में मामला क्या वर्ष 2010, वर्ष 2012, वर्ष 2014, वर्ष 2016 से लंबित है। कोर्ट में मामला वर्ष 2016 या वर्ष 2017 में पहुंचा है। आखिर कोर्ट में मामला पहुंचने के पहले कई टर्म पूरा हुए उसमें सचिव अजय नारायण शर्मा ने कभी चुनाव कराने की बात क्यों नहीं की।
पटना जिला क्रिकेट संघ से अबतक बड़ी हस्तियों का जुड़ाव रहा है। इनमें स्व. कुमार तारानन्द, स्व. डा. अजय भगत, स्व. डा. प्रेम कुमार, स्व. डा. एस एन सिन्हा, स्व. जी एम सहाय के अलावा स्व. जय नारायण शर्मा, स्व. एपी जित्तू महत्वपूर्ण है। साथ ही जीएस कंग (पूर्व आईएएस, प्रो. डॉ. अखौरी वी. प्रसाद, अधिकारी एम एम प्रसाद, एलपी वर्मा का भी योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
आपसी रंजीश व मुकदमेबाजी के कारण पटना जिला के क्रिकेट पर ग्रहण लग गया। न केवल खेल पर ग्रहण लगा बल्कि राजनीति पर भी। बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव में अपना दबदबा रखने वाला पटना जिला क्रिकेट संघ वर्तमान समय में राज्य क्रिकेट की राजनीति में कहीं भी नहीं है।