आदेश के बाद लोकपाल और तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले कटघरे में ?
पटना जिला क्रिकेट संघ के कार्यकारिणी के चुनाव पर बिहार क्रिकेट संघ के लोकपाल के द्वारा दिए गए आदेश पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद लोकपाल और लोकपाल के आदेश के आलोक में गठित तीन सदस्यीय कमेटी के फैसले पर प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा हो गया है।
मालूम हो कि बिहार क्रिकेट संघ के द्वारा बनाए गए लोकपाल राघवेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने पिछले दिनों पटना जिला क्रिकेट संघ के चुनाव को अवैध करार दिया था। उक्त आदेश के विरुद्ध निर्वाचित सचिव सुनील कुमार उर्फ सुनील रोहित ने बिहार क्रिकेट संघ को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था। हाई कोर्ट ने सी डब्ल्यू जे सी 11252 /22 में सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया है कि पीडीसीए के चुनाव के मामले को लेकर लोकपाल के आदेश मान्य नहीं होंगे। फिलहाल पूर्ववत स्थिति बरकरार रहेगा।
बहरहाल पटना हाई कोर्ट के इस आदेश के पश्चात यह स्पष्ट हो गया है कि जिन जिलों में तीन सदस्यीय कमेटी के द्वारा तदर्थ समिति गठित कर दी गई है वहां कोई नया फैसला आए बगैर कमेटी का गठन अथवा चुनाव कराना पटना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना अथवा अवमानना मानी जाएगी।
यहां उल्लेखनीय है कि लोकपाल के आदेश के आलोक में गठित तीन सदस्यीय कमेटी के द्वारा बिहार क्रिकेट संघ से पंजीकृत दर्जनाधिक जिलों में लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए तदर्थ समिति का गठन किया गया था। इनमें से कई जिलों में आनन-फानन में नई कार्यकारिणी के गठन को चुनाव की घोषणा कर दी गई थी, लेकिन पटना हाई कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के पश्चात इन सभी जिलों में पूर्व की स्थिति को बहाल रखना बीसीए की मजबूरी होगी।