पटना, 7 अगस्त। पूर्व रणजी क्रिकेटर, अंपायर, बीसीसीआई पिच क्यूरेटर और बिहार अंडर-16 बालक वर्ग टीम के कोच राजू वाल्श अब हमलोगों के बीच नहीं रहे। उन्होंने बुधवार की रात पटना के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। पिछले दिनों उनका ब्रेन हेमरेज हुआ था उसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया जहां वे जिंदगी की जंग हार गये और इस तरह बिहार क्रिकेट जगत ने अपना एक सच्चा सिपाही खो दिया।
2 जनवरी, 1968 को पटना में जन्मे राजू वाल्श ने त्रिपुरा की ओर से रणजी ट्रॉफी और लिस्ट ए के मुकाबले खेले हैं। उन्होंने 15 फर्स्ट क्लास मैचों की 30 पारियों में कुल 347 रन बनाये है जिसमें उच्चतम स्कोर 40 रन रहा है। 11 लिस्ट मैचों में 239 रन बनाये हैं जिसमें उत्तम स्कोर 60 रन है। इसमें दो अर्धशतक भी है। गेंदबाजी में फर्स्ट क्लास में उन्होंने 10 और लिस्ट ए में नौ विकेट चटकाये हैं।
राजू वाल्श ने पटना समेत बिहार का घरेलू टूर्नामेंट भी खेला। उन्होंने बिहार अंडर-19 टीम का भी प्रतिनिधित्व किया।
खिलाड़ी के रूप संन्यास लेने के बाद राजू वाल्श हमेशा क्रिकेट से जुड़े रहे। वे एनसीए बीसीसीआई स्तर का क्रिकेट कोच,बीसीसीआई क्यूरेटर और राज्य पैनल थे। पिच क्यूरेटर के रूप में बिहार में कई मैदानों को उन्होंने सजाया संवारा। बिहार में क्रिकेट का माहौल लौटा तो मोइनुल हक स्टेडियम की पिच को संवारने की जिम्मेवारी राजू वाल्श के कंधे पर आई जिसका उन्होंने पूरी तरह निर्वहन किया। लगभग तीन-चार साल तक पिच क्यूरेटर के रूप में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े रहे। पिच क्यूरेटर से हटने के बाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्होंने बिहार अंडर-16 टीम बालक वर्ग टीम के कोच की जिम्मेवारी सौंपी। पिछले वर्ष उनकी कोचिंग में बिहार टीम प्लेट से इलीट ग्रुप में पहुंची।
अंपायर के रूप में राजू वाल्श ने पटना जिला क्रिकेट लीग, बिहार के घरेलू टूर्नामेंट समेत बाहर जाकर कई मैचों का सफल संचालन किया। उन्होंने पटना और बिहार के लिए सेलेक्टर की भूमिका अदा की है और पटना जिला क्रिकेट संघ की कार्यकारिणी भी
राजू वाल्श काफी मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्ति थे। राजू वाल्श के छोटे भाई सुनील वाल्श बिहार सीनियर टीम के कप्तान रह चुके हैं और उनका क्रिकेट कैरियर भी काफी शानदार है।
राजू वाल्श की निधन की खबर फैलते ही बिहार क्रिकेट जगत सदमे में डूब गया है। राजू वाल्श के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए अस्पताल से लेकर श्मशान घाट तक लोग पहुंचे। गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार राजधानी के गुलबी घाट पर किया गया जहां उनके छोटे भाई सुनील कुमार ने मुखाग्नि दी। गुलबी घाट पर पटना समेत बिहार खेल जगत की कई जानीमानी हस्तियां मौजूद थीं और सबके मुख से बस एक ही आवाज निकल रही थी बिहार खेल जगत ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया।