पटना। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अपनी साख बचाने के लिए इस घड़ी में जो समझौता कराया उसे पहले इस पर क्यों नहीं नींद खुली। इतने दिनों से बिहार के क्रिकेटरों का हक मार कर बैठी बीसीसीआई के पदाधकारियों को इसका जवाब देना होगा। ये बातें क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने कही।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य याचिका कर्ता सह सीएबी के सचिव के नाते में आज यह घोषणा करता हूं कि अगामी 20 जनवरी को माननीय सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई बनाम सीएबी केस के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के 18.08.18 के दिए गए आदेश का जिस प्रकार उपहास उड़ाने का काम किया जा रहा है उसे अपने वकील के माध्यम से विरोध करूंगा।
उन्होंने कहा कि मैं बिहार क्रिकेट का एक सच्चा समर्थक होने के नाते बीसीसीआई से पूछना चाहता हूं कि जब से सौरभ गॉगुली, जय शाह की अगुवाई में 23 अक्टूबर,2019 को बीसीसीआई की नई कमिटी बनी। इस कमेटी किस कारण से बिहार क्रिकेट संघ को एक भी पैसा नहीं दिया इसका जवाब बीसीए के अध्यक्ष व निष्कासित सचिव को बिहार के क्रिकेटरों एवं खेल प्रेमीयों को देना होगा।
उन्होंने कहा कि सही मायनों में पूछा जाए तो कल की मौर्या होटल में जो घटना घटी (यानी मिलन समारोह) से यह साबित हो गया कि बीसीसीआई एक सोची समझी चाल के तहत पटना अपने कमिटी को भेज कर बिहार क्रिकेट संघ के निकाले गए सचिव को मुर्ख बना कर दो चुने गए टीम से एक टीम पर साइन करा दिया।
सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि टीम लिस्ट पर सभी पक्षों या पदाधिकारीयों ने अपने अपने पद के साथ अपना साइन कराया है लेकिन सचिव के पद पर कोइ साइन नहीं है। बीसीसीआई एवं बीसीए के अध्यक्ष यह बात जानते है कि पटना हाई कोर्ट ने अगर अपने आदेश में सचिव के निष्कासन को सही करार दे दिया तो वह हाईकोर्ट के आदेश को मानने पर विवश हो जाएगें।
उन्होंने कहा कि एक बात मैं और क्लियर कर देना चाहता हूँ कि वर्ष 2002 से बिहार क्रिकेट का लड़ाई लड़ कर बिहार क्रिकेट का वजूद छिन कर जो राज्य विभाजन के बाद नए राज्य झारखंड को दे दिया गया था, 2018 मे उसे वापस लाने का काम किया था।
उन्होंने कहा कि एक बार पुनः समय आ गया है कि बीसीसीआई को यह बता दिया जाए कि बिहार क्रिकेट के विकास का पैसा यह कमिटी क्यों रोक कर रखा है, एक ओर तो अपनी साख बचाने के लिए कि कहीं बिहार से दो टीम मुश्ताक अली टी 20 के लिए चेन्नई नही चली जाए आनन-फानन में अपनी टीम भेज कर सचिव को बेवकूफ बना कर एक टीम पर सहमति ले कर चला गया। मै बिहार क्रिकेट को दुबारा गर्त मे नही जाने दूंगा। आगामी 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के समर्थन में कोर्ट मे बहस करूगॉ ।
बीसीसीआई को यह अच्छी तरह पता है कि बिहार क्रिकेट संघ के पदाधिकारीयों को वह अपने फायदे के लिए मूर्ख बना सकता है लेकिन मुख्य याचिका कर्ता सीएबी को दरकिनार नही कर सकता है।