नईदिल्ली, 3 सितंबर। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की सितंबर के अंत में होने वाली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में कुछ शीर्ष पद दांव पर लगे होंगे जिसमें बोर्ड अध्यक्ष और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) चेयरमैन का पद शामिल है।
आईपीएल के मौजूदा अध्यक्ष अरुण धूमल के छह साल पूरे होने के बाद तीन साल के अनिवार्य (कूलिंग ऑफ) ब्रेक पर जाने की पूरी संभावना है। उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में कई नामों पर चर्चा हो रही है।
फिलहाल देवजीत सैकिया अपने पद पर बने रहेंगे जिन्होंने संयुक्त सचिव (दो साल और तीन महीने) और सचिव (नौ महीने) के तौर पर कुल मिलाकर तीन साल पूरे कर लिए हैं। संयुक्त सचिव रोहन गौंस देसाई और प्रभतेज भाटिया भी अपने पद पर बने रहेंगे जिनका पदाधिकारी के रूप में यह पहला साल है।
आईपीएल अध्यक्ष पद के लिए मुंबई क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव संजय नाइक और वर्तमान बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के नाम चर्चा में हैं हालांकि अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
अगर कांग्रेस नेता शुक्ला एक बार फिर आईपीएल अध्यक्ष बनते हैं तो बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और राज्य के भाजपा नेता राकेश तिवारी बीसीसीआई उपाध्यक्ष पद के दावेदार बन सकते हैं।
एजीएम सितंबर के आखिरी हफ्ते में होने की उम्मीद है। सिर्फ कुछ पद ही दाव पर होंगे और इस साल के चुनाव बीसीसीआई के अपने नियमों के अनुसार होंगे। राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम लागू होने में अभी कुछ समय लग सकता है जिससे बीसीसीआई इतना लंबा इंतजार नहीं करेगा।
जुलाई में अपना 70वां जन्मदिन पूरा कर चुके रोजर बिन्नी वर्तमान संविधान के अनुसार दोबारा नहीं चुने जा सकते।
सबसे दिलचस्प चुनाव बीसीसीआई अध्यक्ष का होगा क्योंकि हितधारक बिन्नी की जगह किसी बड़े भारतीय खिलाड़ी को चाहते हैं।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि महत्वपूर्ण हितधारकों के बीच यह धारणा है कि एक प्रतिष्ठित क्रिकेटर को हमेशा अध्यक्ष चुना जाना चाहिए। सौरभ गांगुली एक सम्मानित भारतीय कप्तान थे और रोजर बिन्नी भारत के पहले विश्व कप विजेता नायक थे। हालांकि कितने प्रतिष्ठित क्रिकेटर इस शीर्ष पद काबिज होने में दिलचस्पी लेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
शुक्ला का मामला भी दिलचस्प है। उपाध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल 2020 में शुरू हुआ था और लोढ़ा संविधान के अनुसार उनके पास अभी एक साल बाकी है। लेकिन इसमें एक पेच है। अगर राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2026 में अगली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) से पहले लागू हो जाता है तो राज्यसभा सांसद को अनिवार्य रूप से (कूलिंग ऑफ) ब्रेक लेने की जरूरत नहीं होगी।