बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) द्वारा बुधवार की रात अपने ऑफिसियल वेबसाइट पर बीसीसीआई द्वारा आयोजित होने वाली वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-19 मेंस क्रिकेट के कैंप के लिए कुल 124 खिलाड़ियों की सूची जारी की गई है जिसमें राज्य के कुल 38 जिलों में 37 जिलों के खिलाड़ियों के नाम शामिल हैं लेकिन नालंदा जिला से एक भी खिलाड़ियों का नाम शामिल नहीं किये जाने एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है।
बिहार क्रिकेट जगत के लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर नालंदा जिला अंडर-19 के कोई भी इस लायक नहीं कि स्टेट कैंप में जगह बना पाए। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के इस निर्णय के बाद नालंदा जिला में मातम छा गया है। नालंदा जिला के क्रिकेटर अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं और अपने जिला संघ के पदाधिकारियों से लगातार सवाल पूछ रहे हैं, आखिर ऐसा क्यूं हुआ कि हम में से किसी भी खिलाड़ी को चयन क्यों नहीं हुआ। नालंदा जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी खिलाड़ियों के सवाल का उत्तर देने में अपने आपको सक्षम नहीं पा रहे हैं।
चर्चा जोरों पर है कि बीसीए के चल रहे चुनाव के कारण खिलाड़ियों को नतीजे भुगतने पड़ रहे हैं। बीसीए-2022 के चुनाव के लिए कुल छह पदों में से अध्यक्ष पद के लिए तीन नामांकन हुए थे जिसमें बीसीए के निवर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, नालंदा जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्षा श्रीमती हेमा कुमारी सिन्हा और सारण जिला क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि अमरनाथ दूबे उक्त पद के लिए नामांकन दर्ज किया था। मंगलवार को बीसीए में अध्यक्ष पद के लिए श्रीमती हेमा कुमारी सिन्हा का नामांकन करने के बाद बीसीए में भूचाल आ गया था और कईयों के जमीन हिलने लगे थे। यों तो बीसीए के इलेक्ट्रोल ऑफिसर ने श्रीमती हेमा कुमारी सिन्हा और अमरनाथ दूबे का नामांकन रद्द कर दिया गया है।
बिहार अंडर-19 मेंस क्रिकेट कैंप के लिए प्लेयरों की लिस्ट जारी
नालंदा के क्रिकेट जगत में यह चर्चा जोरों पर चल रही है कि श्रीमती हेमा कुमारी सिन्हा का बीसीए के अध्यक्ष पद पर कहीं नामांकन करने से तो नहीं नालंदा के क्रिकेटरों का भविष्य अधर में जाता दिख रहा है जिसका ताजा उदाहरण वीनू मांकड़ ट्रॉफी के स्टेट कैंप के लिए घोषित यह लिस्ट है। क्रिकेट जगत के लोगों का कहना है कि जो भी हो बीसीए में जिसको भी चुनाव लड़ना हो, पदाधिकारी बनना हो इन सभी चीजों को खिलाड़ियों के खेल से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। ऐसी घटनाओं से खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है और रात दिन पसीना बहाने वाले खिलाड़ियों को राजनीति के चक्कर में अपना उज्ज्वल भविष्य अधंकारमय होता दिख रहा है। बीसीए के चयनकर्ताओं को कहीं से पार्टी नहीं बनना चाहिए नहीं तो वो दिन दूर जब पंच परमेश्वर की परिभाषा तार-तार होकर रह जायेगी।
नालंदा जिला के लोग कह रहे हैं कि इस जिला का बेटा बिहार को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहा है। नालंदा जिला से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर देश के मुख्यमंत्रियों की सूची में अव्वल स्तर पर अपना नाम दर्ज करा चुका है। क्रिकेट के लोग कह रहे हैं कि लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के न्याय के साथ विकास रूपी सरकार चल रही है वहीं नालंदा जिला के क्रिकेटरों के भविष्य पर ग्रहण लगा कर उनके विकास के रथ के पहिया को रोकने का प्रयास किया जा रहा है जो जिला और बिहार राज्य के लिए सुखद संदेश नहीं है।