पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएश (बीसीए) का विवादों से रिश्ता छूटने का नाम नहीं ले रहा है। एक तो बिहार की टीमें न जाने क्यों लगभग देर रात को घोषित होती हैं और कभी भी किसी आयु वर्ग की टीमों के चयन से संबंधित चयनकर्ताओं की मीटिंग की तसवीरें बिहार की जनता देखने को नहीं मिलती है जबकि बीसीसीआई में ऐसी बातें देखने को मिलती है।
बिहार अपनी छवि को सुधारने में अबतक नाकाम रहा है। न जानें ऐसे विवाद से कब छुटकारा मिलेगा।
मंगलवार की देर रात को बीसीसीआई द्वारा आयोजित होने वाले मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 के लिए घोषित हुई बिहार की टीम को पढ़ कर ही सवाल खड़े शुरू हो गए हैं। टीम घोषित होते ही मानो भूचाल सा आ गया है। एक ओर से रणजी ट्रॉफी में फर्स्ट क्लास क्रिकेट का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले क्रिकेटर को उपकप्तान बना कर बीसीए द्वारा नवाजा गया जो राज्य क्रिकेट की प्रगति के लिए बेहद ही सराहनीय कदम है। इसके साथ ही घोषित इस टीम में कई जिलों के नए खिलाड़ी को मौका दिया गया यह भी खिलाड़ियों के हित के लिए बेहतर कदम है।
लेकिन पूर्व के बिहार रणजी टीम के तारणहार रहे अनुभवी क्रिकेटरों और पिछले सीजन में अंडर25 प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले क्रिकेटरों को सुरक्षित की श्रेणी लाकर खड़ा कर दिया है। इससे भी सीनियर ग्रुप के सेलेक्टरों का मन नहीं भरा तो प्रदर्शन करने वालों को न जाने क्यों बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बिहार के क्रिकेट प्रशंसक टीम घोषित होने के बाद लगातार यह कह रहे हैं कि आखिर किसके दवाब में चयनकर्ता ऐसे फैसले लेने के लिए मजबूर हुए। जो भी हो राष्ट्रीय स्तर पर चयन को लेकर बिहार की बदनामी शुरू हो गई है। सवाल तो यहां तक हो रहे हैं कि चयन समिति में कौन-कौन लोग हैं लेकिन इस मामले पर कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। खिलाड़ियों को केवल अपना परफॉरमेंस होता है उसे बाकी बातों से ज्यादा कुछ दरकार नहीं रहता है।
वर्तमान सीनियर बिहार क्रिकेट टीम के आधारस्तंभ रहे क्रिकेटर जिनका परफॉरमेंस मुश्ताक अली ट्रॉफी , विजय हजारे ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी में बेहतरीन रहा है और उनको रिजर्व में रख कर कहीं न कहीं बिहार की टीम को कमजोर करने का काम किया गया है। एक प्लेयर को बिहार की ओर से आईपीएल में खेलना भी परफॉरमेंस का सफरनामा तय करने में मदद नहीं कर सका जिससे भद्रजनों का खेल क्रिकेट इन सब कारणों से बिहार में लज्जित महसूस कर रहा है।
अंडर25 सीके नायडू, जूनियर आयु वर्ग से लेकर जिलास्तरीय हेमन ट्रॉफी व ट्रायल मैचों में बेहतरीन खेल दिखाने वाले खिलाड़ियों को भी टीम के चयन में नजरअंदाज करना कहीं से भी बिहार के लिए शुभ संकेत नहीं है। लोगों का कहना है कि बीसीए में नए चुनाव के बाद लगा था कि तकनीकी रूप से कई स्तरों पर सुधार होंगे लेकिन कई स्तर के टीमों के चयन के बाद जो आउटपुट निकल कर आ रहे हैं उससे यही लगता है कि खिलाड़ियों के लिए अच्छे दिन आखिर कब आयेंगे।