Home Slider शान-ए-बिहार : चाहत थी बड़ा क्रिकेटर बनने की पर बन गए स्टार फुटबॉल गोलकीपर, जानें उनके बारे में

शान-ए-बिहार : चाहत थी बड़ा क्रिकेटर बनने की पर बन गए स्टार फुटबॉल गोलकीपर, जानें उनके बारे में

by Khel Dhaba
0 comment

नवीन चंद्र
पटना। खेल समाचारों का वेबपोर्टल आपका अपना खेलढाबा.कॉम ने शान-ए-बिहार के नाम से एक वीडियो शृंखला चला रहा है। इस वीडियो शृंखला में आपको बिहार की वैसी खेल हस्ती के बारे में हम बताते हैं जिन्होंने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल जगत की क्षितिज पर अपने गांव, जिला, राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के स्टार फुटबॉल गोलकीपर सुदीप्तो कुमार मजूमदार की। तो आइए जानते हैं सुदीप्तो कुमार मजूमदार के बारे में ढेर सारी बातें इस वीडियो के माध्यम से-

सुदीप्तो कुमार मजूमदार संयुक्त बिहार के जमशेदपुर (अब झारखंड) के रहने वाले हैं। पिता दिलीप कुमार मजूमदार रेलवे में नौकरी करते थे। सुदीप्तो को स्कूल में क्रिकेट से बहुत प्रेम था और वह बड़ा क्रिकेटर बनना चाहता थे। एकदिन सुदीप्तो के कॉलोनी (एग्रिको कॉलोनी) में इंटरनल फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। गोलकीपर की खोज होने लगी। एक दोस्त ने कहा कि तुम भी गोलकीपर बन जाओ। सुदीप्तो ने दोस्त की बात मान कर गोलकीपिंग करना स्वीकार कर लिया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया। इसी टूर्नामेंट में किये गए प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन एग्रिको क्लब में हो गया।

इंट्रा क्लब लीग का आयोजन हुआ। इस टूर्नामेंट के शुरुआती मैचों में सुदीप्तो को मौका नहीं मिला। लगातार चार मैचों में रेग्यूलर गोलकीपर फेल हुए तो सुदीप्तो को गोलकीपिंग की जिम्मेवारी सौंपी गई। इन्होंने शानदार खेल दिखाया और टीम फाइनल तक पहुंचा। फाइनल मुकाबला उदीयमान क्लब जिसमें सुदीप्तो ने अपने खेल से सब का मन मोह लिया।

अगले साल उदीयमान क्लब के कोच कुणाल सोम और उदीयमान क्लब के सचिव गुहा मामा ने सुदीप्तो को उदीयमान की ओर से खेलने का ऑफर दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और इसके बाद इनका फुटबॉल कैरियर आगे बढ़ता चला गया। जमशेदपुर जिला फुटबॉल टीम में सेलेक्शन हुआ और स्टेट टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया। इनका चयन स्टेट टीम में हो गया। शिलांग में आयोजित जूनियर नेशनल टूर्नामेंट में इन्होंने शानदार खेल दिखाया और जूनियर इंडिया कैंप का टिकट पा लिया जहां उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। इस दौरान सुदीप्तो ने टीएफए के गैर आवासीय ट्रेनिंग कैंप को ज्वाइन कर लिया।

जूनियर इंडिया कैंप और टीएफए की ट्रेनिंग से सुदीप्तो के खेल में निखार आता चला गया। सीनियर स्टेट व स्नातक की परीक्षा के कारण इन्होंने जूनियर इंडिया कैंप के चौथे फेज को छोड़ दिया और 1990 में पहली बार मोइनुल हक फुटबॉल अंतर जिला फुटबॉल टूर्नामेंट में जमशेदपुर जिला का प्रतिनिधित्व किया। पहली ही बार में अपने खेल की बदौलत सीनियर स्टेट टीम में जगह पक्की कर ली। त्रिपुरा में आयोजित संतोष ट्रॉफी फुटबॉल टूर्नामेंट में बिहार टीम ने शानदार खेल दिखाया और उपविजेता बनी। साथ ही गोवा में हुए फाइनल राउंड का टिकट भी पा लिया। गोवा में हुए फाइनल राउंड में बिहार टीम ने शानदार खेल दिखाया। केरल से हार का सबक लेते हुए गोवा से 0-0 ड्रॉ खेला जबकि महाराष्ट्र व पंजाब टीम को मात दी। गोवा से मैच के दौरान सुदीप्तो के खेल से गोवा के खेल मंत्री इतने खुश हुए कि उन्हें नकद पुरस्कार दिया।

इस टूर्नामेंट के आधार पर सुदीप्तो का चयन इंडिया कैंप में हो गया। इसके बाद सुदीप्तो को ढेर सारे नौकरी का ऑफर आने लगे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से भी नौकरी का ऑफर गया। इसका मैसेंजर उनके घर पर गया पर सुदीप्तो को पटना आने की इच्छा नहीं थी पर पिता दिलीप कुमार मजूमदार और फुटबॉलर मुरुगन देवगन के कहने पर उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के फुटबॉल टीम को ज्वाइन कर लिया और वे पटना चले आ गए।

सुदीप्तो ने छह बार संतोष ट्रॉफी टूर्नामेंट में बिहार का प्रतिनिधत्व किया। चोटों ने भी सुदीप्तो के फुटबॉल कैरियर में ब्रेक लगाया पर वे हारे नहीं और आगे बढ़ते चले गए। अब भी पटना लीग में सुदीप्तो मजूमदार उसी चुस्ती के साथ गेंद पर पकड़ बनाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वे अपने फिजिकल फिटनेस पर हमेशा ध्यान देते हैं।

सुदीप्तो ने राज मिल्क की ओर गेस्ट प्लेयर की हैसियत से आईलीग फुटबॉल टूर्नामेंट खेला। वर्ष 2001 में एसबीआई से छुटटी लेकर मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब की ओर खेलने के लिए बंगाल चले गए। परिवार और ऑफिस का दवाब बढ़ा तो पटना लौट आये। एसबीआई के इंटरनल टूर्नामेंट में इनका दबदबा रहता है और कई बार बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड जीत चुके हैं।

वर्ष 2004 के बाद सुदीप्तो प्रशिक्षक की भूमिका में आ गए। वे सबजूनियर बिहार टीम के कोच बने और टीम को फाइनल तक पहुंचाया। अगले साल जूनियर टीम के कोच बने और टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया। पिछले तीन-चार सालों से वे बिहार सीनियर टीम के गोलकीपर कोच सह सहायक कोच की भूमिका निभा रहे हैं।

वे डी लाइसेंस डिग्रीधारी कोच हैं। साथ ही उन्होंने एएफसी सी लाइसेंस की भी डिग्री भी ले रखी है। वर्तमान समय में बिहार में इस डिग्री को धारन करने वाले एक मात्र खिलाड़ी हैं। उन्होंने लॉकडाउन में फुटबॉल सायकोलॉजी की डिग्री भी ले ली है।

सुदीप्तो बिहार से इंडिया खेलने वाले गोलकीपर के साथ बेहतर फुटबॉलर निकालने में जुटे हैं। वे पाटलिपुत्रा फुटबॉल एकेडमी के अंतर्गत इसके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा हैं। समय-समय पर गोलकीपरों की विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करते रहते हैं।

सुदीप्तो की पत्नी पायल टीचर हैं। बेटी सोहा व आरसी बैडमिंटन खेलती हैं। सुदीप्तो के पिता दिलीप कुमार मजूमदार व मां गीता मजूमदार ने अपने बेटे के खेल कैरियर में कभी कोई कमी नहीं आने दी और हमेशा हौसला बढ़ाया।

You may also like

Leave a Comment

खेलढाबा.कॉम

खेलढाबा.कॉम, खेल पत्रकार की सोच और बहुत सारे खेल प्रेमियों के सुझाव व साथ का परिणाम है। बड़े निवेश की खेल वेबसाइट्स की भीड़ में खेलढाबा.कॉम के अलग होने की यह भी एक बड़ी वजह है। तो, जिले-कस्बों से बड़े आयोजनों तक की कवरेज के लिए जुड़े रहें खेलढाबा.कॉम से।

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!

Laest News

@2021 – All Right Reserved. Designed and Developed by PenciDesign

error: Content is protected !!
Verified by MonsterInsights