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शान-ए-बिहार : बिहार फुटबॉल में बहुत दिनों तक चली इस फुटबॉलर की चौधराहट

by Khel Dhaba
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नवीन चंद्र
पटना।
खेल समाचारों का वेबपोर्टल आपका अपना खेलढाबा.कॉम ने शान-ए-बिहार के नाम से एक वीडियो शृंखला चला रहा है। इस वीडियो शृंखला में आपको बिहार की वैसी खेल हस्ती के बारे में हम बताते हैं जिन्होंने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल जगत की क्षितिज पर अपने गांव, जिला, राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के स्टार फुटबॉलर हेमंत कुमार चौधरी की। तो आइए जानते हैं हेमंत कुमार चौधरी के बारे में ढेर सारी बातें इस वीडियो के माध्यम से-

हेमंत कुमार चौधरी का गांव समस्तीपुर जिला के मुसरीधरारी है। इनके घर में खेल से किसी भी व्यक्ति का कोई खास नाता नहीं था पर गांव में खेल का माहौल था। हेमंत कुमार चौधरी इस माहौल में ढल गए और फुटबॉल को खेलने लगे। पिता स्व. रामेश्वर चौधरी उनके खेल के प्रति लगाव के खिलाफ थे पर भाई जयंत कुमार चौधरी ने उनका हौसला बढ़ाया। चंद ही दिनों में उन्होंने अपने खेल की बदौलत जिला की जूनियर टीम में जगह बना ली और उसके अगले साल ये सीनियर टीम में शामिल हो गए। वर्ष 1991 में उन्होंने मुंगेर में आयोजित बिहार अंतर जिला फुटबॉल टूर्नामेंट फॉर मोइनुल हक कप में हिस्सा लिया और खूब सुर्खियां बटोरीं। इस टूर्नामेंट में किये गए प्रदर्शन से बिहार पुलिस का उच्च पदाधिकारी काफी खुश हुए और उन्हें घर से बुला कर नौकरी दी। अगले साल उन्होंने समस्तीपुर जिला का प्रतिनिधित्व किया और अपनी टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाया। इसी साल उन्होंने बिहार टीम में जगह बनाई और अगले छह साल तक संतोष ट्रॉफी फुटबॉल टूर्नामेंट में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया। नौकरी हो जाने के बाद वे बिहार पुलिस की ओर से पटना लीग और अन्य टूर्नामेंट खेलने लगे। उन्होंने बिहार पुलिस और पटना टीम को राज्यस्तरीय से लेकर अन्य टूर्नामेंटों में चैंपियन बनाया। इंजुरी हो जाने के बाद उन्होंने खेलना छोड़ दिया और प्रशिक्षक बन गए। बिहार पुलिस व पटना टीम के प्रशिक्षक के तौर पर इनका जलवा जारी रहा और कई खिताब जीते।

हेमंत कुमार चौधरी फिलहाल सोनपुर जीआरपी में अवर निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं पर फुटबॉल से नाता नहीं टूटा है। प्रतिदिन अभ्यास करना और दूसरों को कुछ सीखाना उनकी दिनचर्या है। वे कहते हैं कि फुटबॉल ने हमारी अलग पहचान दी है। अपने राज्य में फुटबॉल के विकास के लिए मुझसे जो बन पड़ेगा वह मैं करता रहूंगा।  

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