बेंगलुरु, 27 अगस्त। भारतीय क्रिकेट का नया घरेलू सत्र गुरुवार से दलीप ट्रॉफी 2025 के साथ शुरू हो रहा है। इस बार टूर्नामेंट का आयोजन अपने पुराने और पारंपरिक क्षेत्रीय प्रारूप में किया जा रहा है जिसे लेकर खिलाड़ियों और क्रिकेट विशेषज्ञों में खासा उत्साह है। बीते कुछ वर्षों में इसे ‘इंडिया ए, बी, सी और डी’ जैसी टीमों के रूप में खेला गया था, लेकिन उससे इसकी पहचान और प्रतिस्पर्धा में कमी आई थी। अब फिर से क्षेत्रीय टीमों की वापसी हुई है और खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का सुनहरा मौका मिलेगा।
छह क्षेत्रीय टीमें मैदान में
इस बार दलीप ट्रॉफी में कुल छह क्षेत्रीय टीमें हिस्सा ले रही हैं – उत्तर क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र, पूर्व क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र।
पश्चिम क्षेत्र – कप्तान शारदुल ठाकुर, साथ में श्रेयस अय्यर, यशस्वी जायसवाल और सरफराज खान जैसे सितारे।
दक्षिण क्षेत्र – तिलक वर्मा नेतृत्व करेंगे, देवदत्त पडिक्कल चोट से उबरकर वापसी कर रहे हैं।
पूर्व क्षेत्र – अनुभवी सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन की कप्तानी में उतरेगी।
उत्तर क्षेत्र – शुभमन गिल उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में अंकित कुमार पर कप्तानी का दारोमदार रहेगा।
मध्य क्षेत्र – ध्रुव जुरेल और रजत पाटीदार प्रमुख आकर्षण होंगे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र – यहां युवा खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का बेहतरीन अवसर मिलेगा।
चयनकर्ताओं की नजरें
बीसीसीआई की चयन समिति ने यह संकेत दे दिया है कि टीम इंडिया का दरवाज़ा अब केवल आईपीएल से नहीं खुलेगा। टेस्ट और वनडे टीम में जगह बनाने के लिए घरेलू क्रिकेट, खासकर लाल गेंद के क्रिकेट में प्रदर्शन बेहद जरूरी है। तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी लंबे समय बाद घरेलू क्रिकेट में उतरेंगे और अपनी फिटनेस के साथ लय दिखाने की कोशिश करेंगे। श्रेयस अय्यर और सरफराज खान राष्ट्रीय टीम में वापसी की उम्मीद में मैदान पर उतरेंगे। युवा बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल और देवदत्त पडिक्कल अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित करना चाहेंगे।
टीम इस प्रकार हैं:
दक्षिण क्षेत्र: तिलक वर्मा, मोहम्मद अजहरुद्दीन, तन्मय अग्रवाल, देवदत्त पडिक्कल, मोहित काले, सलमान निजार, नारायण जगदीशन, त्रिपुराना विजय, आर साई किशोर, तन्य त्यागराजन, विजयकुमार विशाक, निधीश एमडी, रिकी भुई, बासिल एनपी, गुरजपनीत सिंह और स्नेहल कौथंकर।
पूर्व क्षेत्र: अभिमन्यु ईश्वरन, संदीप पटनायक, विराट सिंह, डेनिश दास, श्रीदम पॉल, शरणदीप सिंह, कुमार कुशाग्र, रियान पराग, उत्कर्ष सिंह, मनीषी, सूरज सिंधू जायसवाल, मुकेश कुमार और मोहम्मद शमी।
पश्चिम क्षेत्र: शारदुल ठाकुर, यशस्वी जायसवाल, आर्या देसाई, हार्विक देसाई, श्रेयस अय्यर, सरफराज खान, रुतुराज गायकवाड़, जयमीत पटेल, मनन हिंगराजिया, सौरभ नवाले, शम्स मुलानी, तनुष कोटियन, धर्मंद्रसिंह जडेजा, तुषार देशपांडे और अर्जन नागवासवाला।
उत्तर क्षेत्र: शुभम खजूरिया, अंकित कुमार, आयुष बडोनी, यश धुल, अंकित कलसी, निशांत संधू, साहिल लोत्रा, मयंक डागर, युद्धवीर सिंह चरक, अर्शदीप सिंह, हर्षित राणा, अंशुल कंबोज, आकिब नबी और कन्हैया वधावन।
मध्य क्षेत्र: ध्रुव जुरेल, रजत पाटीदार, आर्यन जुयाल, दानिश मालेवार, संजीत देसाई, कुलदीप यादव, आदित्य ठाकरे, दीपक चाहर, सारांश जैन, आयुष पांडे, शुभम शर्मा, यश राठौड़, हर्ष दुबे, मानव सुतार और खलील अहमद।
पूर्वोत्तर क्षेत्र: जोनाथन रोंगसेन, आकाश कुमार चौधरी, तेची डोरिया, युमनुम कर्णजीत, सेडेझाली रूपेरो, आशीष थापा, हेम बहादुर छेत्री, जेहू एंडरसन, अर्पित सुभाष भटेवरा, फिरोजम जोतिन सिंह, पालजोर तमांग, अंकुर मलिक, बिश्वोरजीत सिंह कोंथौजम, आर्यन बोरा और लामाबम अजय सिंह।
दलीप ट्रॉफी का महत्व
दलीप ट्रॉफी की शुरुआत 1961-62 में हुई थी और यह टूर्नामेंट लंबे समय तक भारतीय क्रिकेटरों की परीक्षा की कसौटी रहा। कई दिग्गज खिलाड़ी इसी प्रतियोगिता से राष्ट्रीय टीम तक पहुंचे। इसका पारंपरिक प्रारूप घरेलू क्रिकेट की मजबूती और प्रतिस्पर्धा का आधार रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब जब चयनकर्ताओं ने साफ कर दिया है कि केवल आईपीएल नहीं बल्कि घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जाएगी, तो दलीप ट्रॉफी खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय टीम तक पहुंचने का अहम रास्ता है।