पटना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार के जिन कुछ खिलाड़ियों पर हमेशा नजर टिकी होतीं हैं उसमें पटना में पैदा हुए 28 साल के पैरा एथलीट शरद कुमार भी एक हैं। एशियन पैरा गेम्स में उन्हें स्वर्ण पदक जीतने का गौरव हासिल है। पैरा ओलंपिक में अभी तक उनको पदक जीतने का मौका नहीं मिला है। लेकिन 2021 में होने वाले पैरा ओलंपिक में उनको भरोसा है कि वे पदक जीत लेंगे। इसके लिए शरद लगातार विदेश में रहकर तैयारी में व्यस्त हैं। लेकिन जिस तरह से कोरोना वायरस के कारण पूरा खेल जगत थम गया है, उससे शरद का चिंतित होना लाजिमी है। क्योंकि अब उन्हें नये सिरे से इसके लिए तैयार होना होगा।

पिछले तीन साल से उक्रेन में पैरालंपिक की तैयारी कर रहे ऊंची कूद के पैरा एथलीट खिलाड़ी शरद कुमार पैरालंपिक खेल एक साल के लिए टलने के बाद अब चतित हैं कि उन्हें नये सिरे से शुरुआत करनी होगी। कुमार 2017 से उक्रेन में तैयारी कर रहे थे। कोरोना महामारी के कारण टोक्यो खेल अब 2021 में होंगे।
एशियाई पैरा खेलों में दो बार ऊंची कूद के चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता कुमार ने कहा कि एक साल और इंतजार से वह बेचैनी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने उक्रेन से कहा, ‘मैंने काफी सोच समझकर अभ्यास किया था और पैरालंपिक में पदक जीतने के लिए तीन साल से कड़ी मेहनत कर रहा हूं। अभी कोई अभ्यास नहीं हो रहा है। इस साल कोई स्पर्धाएं नहीं है और अब नये सिरे से शुरुआत करनी होगी।’

उन्होंने कहा, ‘मैं निराश हूं लेकिन क्या कर सकता हूं। पूरी दुनिया संकट में है। इस समय खेल महत्वपूर्ण नहीं है । खिलाड़ी भी इंसान है। मेरा पूरा ध्यान इस समय कोरोना संकट पर है।’ कुमार उक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में है जो राजधानी कीव से 500 किलोमीटर दूर है। वह निकितन येवहेन के साथ अभ्यास कर रहे हैं जो पहले भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच थे। उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि घर जाने को बेताब हूं क्योंकि मैं तीन साल से यही हूं। लेकिन खेलों के स्थगित होने से काफी निराशा है।’
पीएम केयर्स फंड में एक लाख रुपये दान देने वाले कुमार सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना का हिस्सा होने के साथ साई के कोच भी हैं । उन्हें गोस्पोट्र्स फाउंडेशन से भी मदद मिलती है। 28 साल के शरद कम उम्र में पोलियो की गलत दवा लेने के कारण पोलियो ग्रस्त हो गये थे। उन्होंने दार्जिलिंग और दिल्ली में पढाई की।
साभार : राष्ट्रीय सहारा (पटना)