Monday, October 20, 2025
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जो अपनों के साथ-साथ हमेशा दूसरों का भी रखता है पूरा ख्याल

by Khel Dhaba
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शैलेंद्र कुमार
पटना।
समाज में आपने बहुत लोगों को दूसरों की मदद करते देखा और सुना होगा। ऐसे ही कुछ लोग खेल के क्षेत्र में भी मददगार है जो खेल एवं खिलाड़ियों के मसीहा बने। वैसे खेलकूद के इतिहास में बहुत कम लोग हुए जिन्होंने अधिकांश खेलों के खिलाडिय़ों एवं आयोजन को सफल बनाने में आर्थिक मदद के साथ-साथ मनोबल बढ़ाने का काम किया है। स्व. मोइनुल हक साहब, स्व. श्याम नन्दन प्रसाद अपने जीवनकाल में अनेक तरीके से खिलाडिय़ों एवं आयोजकों को मदद किया करते थे। इसी कड़ी में वर्तमान समय में एक नाम है रामा शंकर प्रसाद। बिहार तलवारबाजी संघ के सचिव रामा शंकर प्रसाद भी अपने खेल के अलावा राज्य के अधिकांश खिलाड़ियों और खेल आयोजकों को मदद किया है और कर रहे है।

सभी तसवीरें पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित राष्ट्रीय तलवारबाजी चैंपियनशिप की

पटनासिटी (आलमगंज) निवासी रामाशंकर प्रसाद का खेल से बहुत हीं पुराना रिश्ता रहा है। बिहार टेबुल टेनिस संघ के कोषाध्यक्ष के रूप में रामाशंकर प्रसाद ने अपने खेल जीवन की शुरूआत की। परिवार में खेलकूद का माहौल नहीं होने के कारण ये खिलाड़ी नहीं बन सकें। लेकिन युवा होते हीं रामा शंकर प्रसाद के दिमाग में खेल प्रेम हिचकोले मारने लगा। अपने पिता स्व. लाल बाबू प्रसाद के डर से छुप-छुपा के खिलाडिय़ों एवं खेल आयोजकों को मदद करने लगे। धीरे-धीरे मदद करने का बुखार ऐसा चढ़ा कि यह एक जुनून बन गया। इसी जुनून ने रामा शंकर प्रसाद को खेलकूद के मददगारों की फेहरिस्त में शीर्ष पर स्थापित कर दिया।

बेबाकी से बात करने के कारण रामा शंकर प्रसाद से बहुत लोग घबराते है। लेकिन एक बार उनसे बात करने वाले लोग बस यही कहते है, कि दिल का साफ-स्वच्छ आदमी है। वास्तव में रामा शंकर प्रसाद के दिल व दिमाग में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है। वे किसी भी मुद्दे को फर्राटा किंग की तरह सुलझाने में विश्वास करते है। बस यही शैली उनको दूसर लोगों से जुदा करती है।

बिहार टेबुल टेनिस संघ के कोषाध्यक्ष रहे रामा शंकर प्रसाद को अच्छा खेल प्रशासक बनने का गूढ़ मंत्र पूर्व विधान पार्षद विजय शंकर मिश्रा ने दिया। बिहार यंग मेंस इंस्टीच्यूट के भवन का नया रूप प्रदान करने हेतु इन्होंने कई प्रयास किए। लेकिन वैचारिक रूप से वहां के माहौल में अपने-आपको फिट नहीं होता देख अपने आपको अलग कर लिया।

तेजी के साथ काम करने में विश्वास करने वाले रामा शंकर प्रसाद को स्व. आई.एस. ठाकुर ने बिहार तलवार बाजी संघ का सचिव बनाया। 1996 में विधिवत रूप से बिहार तलवार बाजी संघ का गठन हुआ था। सचिव बनते हीं रामा शंकर प्रसाद ने संघ की गतिविधियों को तेज करना शुरू कर दिया।

बिहार के खिलाडिय़ों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 1996 में हीं प्रेमचंद रंगशाला में उस समय के वरीय खिलाडिय़ों क्रमश: संजीव कुमार गुप्ता एवं शिव शंकर साहनी की देखरेख में हुआ था। बिहार के तलवार बाजों की नई फौज तैयार होने लगी।

बिहार में इस खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए पहली बार राष्ट्रीय तलवार बाजी चैम्पियनशिप का आयोजन रामा शंकर प्रसाद ने गांधी मैदान स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कराया। गर्मी के महीने में आयोजित इस राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के सभी प्रतिभागी एस.के. मेमोरियल हॉल में ए.सी. का मजा लेते रहने हेतु बैठे रहते थे। एक हजार की संख्या में भाग लेने यहां पहुंचे देश भर के खिलाडिय़ों एवं अधिकारियों को ठहराने की बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन जूझारू रामा शंकर प्रसाद ने इसकी व्यवस्था पलक झपकते हीं खगौल के बाल्मी परिसर स्थित विभिन्न आवासो में किया। राजधानी में ऐसी भी जगह का पता चला है कि जहां एक कैम्पस में हजारों खिलाड़ी ठहर सकते है। इसका श्रेय रामा शंकर प्रसाद को जाता है। उन्होंने हीं वर्षों से बंद पड़े बाल्मी के छात्रावासों का खुलवाया था। कड़ी मेहनत व मशक्कत से पूरे परिसर को साफ-सफाई कराके खिलाडिय़ों को ठहराया गया था। खिलाडिय़ों को लाने और पहुंचाने के लिए पुलिस सुरक्षा व्यवस्था के बीच बस से आयोजन स्थल से वाल्मी के लिए किया था।

इस आयोजन में आए सभी प्रतिभागियों को यादगार स्वरूप एक-एक टी-शर्ट और मोमेन्टो भी दिया गया था। उस समय के केन्द्रीय मंत्री स्व. राम लखन सिंह यादव ने इस राष्ट्रीय चैम्पियनशिप को सफल बनाने में बहुत बड़ा सहयोग दिया था। इस चैम्पियनशिप का सफल बनाने हेतु आयोजन सचिव के पद पर अजय नारायण शर्मा को रामा शंकर प्रसाद ने बैठा दिया था। राज्य के चर्चित खेल प्रेमी आई.पी.एस. अधिकारी आलोक राज भी आयोजन से जुड़े थे।

बिहार में अच्छे तलवार बाज बनाने के लिए रामा शंकर प्रसाद ने अपने पैसे से तलवार, वायर फेस मास्क, बॉडी वायर जैकेट, फेंसिंग सूट खरीदकर खिलाडिय़ों को उपलब्ध कराया। खिलाडिय़ों का स्तर ऊंचा उठाने के लिए इन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रशिक्षकों को भी आमंत्रित किया। 1997 में बेंगलुरू में 45 दिवसीय कोचिंग कैम्प का आयोजन यूक्रेन के ब्लादीमीर ड्रेकों और मणिपुर के आमालु सिंह की देखरेख में हुआ था। रामा शंकर प्रसाद ने अपने दम पर संजन कुमार शरण, सुनील कुमार तिवारी, रूपेश कुमार सिंह और राकेश कुमार को उस कैम्प में प्रशिक्षण हेतु भेजा था। इसका परिणाम हुआ कि बिहार की ये चारो वरीय खिलाड़ी इंडियन ओलम्पिक सर्टिफिकेट होल्डर कोच बन गए। 1997 में हीं रूपेश कुमार सिंह को देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिलाया। 1997 में बेंगलुरु में हुए राष्ट्रीय खेल में बिहार की टीम ने पहली बार हिस्सा लिया था। बिहार की महिला टीम ने कांस्य पदक प्राप्त कर बिहार का नाम रौशन किया था।

इसके बाद रामा शंकर प्रसाद ने 1998 में हरियाणा के कोच मोहित अश्विनी को आमंत्रित कर यहां 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित कराया था। सन् 2001 में राकेश कुमार एन.आई.एस. पटियाला से फेन्सिंग कोच में डिप्लोमा करन वाले पहले बिहारी बने। प्रियंका कुमारी ने भी डिप्लोमा प्राप्त किया। राकेश कुमार ने अपनी मेहनत व लगन से सर्विसेज में कोचिंग देने लगे। बाद में बांग्लादेश टीम को भी राकेश ने प्रशिक्षित किया। राकेश को उंचाई पर पहुंचाने में रामा शंकर प्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

2004 में रामा शंकर प्रसाद ने मोइनुल हक स्टेडियम में यूक्रेन के ओलम्पियन एफ.आई.ई. कोच इरतेवान मार्टिन से बिहार के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कर इतिहास रचा था। इस शिविर के लिए रामा शंकर प्रसाद ने दस लाख से भी ज्यादा की खेल सामग्री बिना किसी के सहयोग से खरीदा था। इन सामानों को हीं देखने हेतु दर्शक रोज प्रशिक्षण सत्र के दौरान पधारते थे। मार्टीन से राकेश कुमार ने भी कोचिंग देने के कई मंत्र सिखे थे।

रामा शंकर प्रसाद की हीं देन है, कि आज 10 कोच बिहार के पास है। कई खिलाडिय़ों (तलवार बाजों) को सरकारी नौकरी मिली है। साथ देने वालों को दरकिनार करने में रामा शंकर प्रसाद विश्वास नहीं रखते। इसका प्रमाण है, कि इन्होंने अपने अध्यक्ष आई.एस. ठाकुर को नहीं हटाया। पिछले माह में आई.एस. ठाकुर का निधन उनके गृह राज्य पंजाब में हो गया है। जहां पर विचार नहीं मिला वे अपने आपको किनारे कर लिया।

रामा शंकर प्रसाद ने राज्य में आयोजित हुई प्रत्येक खेल की राष्ट्रीय प्रतियोगिता को सफल बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। राज्य खेल जगत के अधिकांश लोग उनके बेबाक अंदाज और सहयोग भावना के कद्रदान है। तभी तो इन्हें लोग दिल के अमीर कहते है।
रामा शंकर प्रसाद खेल के साथ-साथ व्यवसाय क्षेत्र में भी अच्छा नाम कमाया है। आज बबुआगंज में इनका होटल कम रिसार्ट है। गोपालगंज में सोनासती आर्गेनिक प्रा.लि. के नाम से एक इथनॉल उत्पादन का कारखाना है।

राज्य में वत्र्तमान खेलकूद स्थिति से रामा शंकर प्रसाद खिन्न नजर आते है। बहुत कुछ करने की चाहत है। लेकिन यहां के हालात से नाराज नजर आने वाले रामा शंकर प्रसाद तेजी से बदलाव लाना चाहते है। देखिए कब इनकी मंशा पूरी होती है।

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