
प्रभाकर नंदन प्रसाद
पटना। कभी लंबी दूरी के धावक थे। स्टेट लेवल पर मेडल ही नहीं गोल्ड मेडल भी जीता। पढ़ाई-लिखाई खत्म करने के बाद टेलीफोन डिपार्टमेंट में नौकरी लगी । खेलों से लगाव रहने के कारण डिपार्टमेंटल टूर्नामेंट में हिस्सा लेते रहे। उन्ही दिनों इन्हें तैराकी से भी लगाव हो गया और जब बिहार में तैराकी खेल के संगठन की स्थापना हुई तो वे इससे जुड़ गए और आजतक जुड़े हुए हैं। वर्तमान में वे बिहार तैराकी संघ के सचिव है और राज्य तैराकी व तैराकों को ऊचाईयों पर ले जाने के लिए हमेशा प्रत्यनशील रहते है। अब तो आप जान ही गए होंगे हम बाबा की बात कर रहे हैं। जी हां, राम विलास पांडेय जी की। तो आइए जानते हैं उनके बारे में-

बिहार तैराकी को गौरव प्रदान करने वाले बिहार तैराकी संघ के सचिव राम विलास पांडेय का जन्म कैमूर जिला के अमाव गांव में वर्ष 1944 में हुई। खेल कूद का बचपन से शौक था। उनकी लंबी दूरी के धावक के रूप में पहचान थी। वर्ष 1969 से 1974 तक लगातार सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने 20 किलो पैदल चाल स्पर्धा में बिहार राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वर्ष 1969 में टेलीफोन व डाक विभाग में उनकी नौकरी हो गई। विभागीय खेलों में भाग लेना शुरू किया। वे बिहार तैराकी संघ की स्थापना काल वर्ष 1977 से ही जुड़े। 1982 में आयोजित नवम एशियाई गेम्स में तैराकी स्पर्धा में तकनीकी पदाधिकारी के रूप में भाग लिया। डाक विभाग में खेल निरीक्षक के पद से सेवानिवृत हो वे वर्ष 2004 से बिहार तैराकी संघ के सचिव हैं।


वर्ष 2002 में बिहार तैराकी संघ के 25वें रजत जयंती के अवसर पर इनके नेतृत्व में राष्ट्रीय लंबी दूरी गंगा नदी प्रतियोगिता शुरू हुई जो अभी तक जारी है। साल में एक बार होने वाली यह तैराकी प्रतियोगिता को भारतीय तैराकी महासंघ से मान्यता प्राप्त है। बिहार तैराकी संघ के गौरव का पल तब आया जब उनका भारतीय तैराकी महासंघ के संयुक्त सचिव के पद पर चयनित हुए।

वे भारतीय टीम के साथ मैनेजर व तकनीकी पदाधिकारी के रूप में विदेश जा चुके हैं। वर्ष 2004 में सैफ गेम्स (पाकिस्तान) में मैनेजर के रूप में , वर्ष 2010 में सैफ गेम्स (बांग्लादेश) में मैनेजर के रूप में, वर्ष 2011 में एशियन गेम्स में मैनेजर के रूप में हिस्सा लिया। बेंगलुरु में वर्ष 2018 में हुए एशियन चैंपियनशिप में तकनीकी पदाधिकारी के रूप में हिस्सा लिया।


इसके अलावा कई राष्ष्ट्रीय खेलों तथा खेलो इंडिया में तकनीकी पदाधिकारी के रूप में सफलता पूर्वक खेलों का संचालन किया है एवं बिहार तैराकी को एक नई उचाई दिए हैं और धीरे-धीरे इसे आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। राज्य में तैराकी के बढ़ावे के लिए वे हमेशा आवाज उठाते रहते हैं।
(लेखक बिहार तैराकी संघ के उपाध्यक्ष हैं)