मधुबनी। मधुबनी जिला क्रिकेट संघ का चुनाव किसी कारणवश नहीं संपन्न हो पाया। इस चुनाव को लेकर एक पक्ष (ज्यादात्तर क्लबों के अध्यक्ष व सचिव ने) जो बातें खेलढाबा को बताई है वह आपके सामने है।
-स्क्रूटनी के बाद हम लोगों ने एक पत्र लिखा था और उन्होंने रिसीव किया था पर उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
-26 अगस्त को चुनाव के दौरान 16 मत गिर चुके थे। चार मतदान बाकी था वह हमारी ओर से प्रेसिडेंट व सेक्रेटरी समर्थक एवं प्रस्तावक चार मतदान बाकी थे।
-16 में भी हमारी स्थिति 11 और 5 या 12 और 4 की थी। यह देखते हुए क्या इनका ही 4 वोट बचा है उन लोगों ने 17वें में मत पर ढाई घंटा चुनाव को रोके रखा।
-बिहार क्रिकेट संघ द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षक आनंद कुमार जो नालंदा से आए थे बिना कुछ लिखे पढ़े वापस चले गए।
-पर्यवेक्षक के जाने के बाद चुनाव पदाधिकारी जो दोनों वकील थे, मतदान खत्म करने की घोषणा की।
-बार-बार आग्रह करने पर कि जितना ही मतदान हुआ है उसी में गिनती का रिजल्ट दे दिया जाए उन्होंने एक न सुनी
मतदान को बिना दोनों पक्षों की सहमति पत्र लिए बिना रद्द कर दिया।
-चुनाव स्थगित /रद्द करने के बाद उन्होंने मतदान किए गए 16 मतपत्रों को मत पेटी खोलकर जलाया जबकि हमारे पक्ष ने आग्रह किया था कि चुनाव के सभी रिकॉर्ड आप अपने पास रखें।
-फिर भी उन्होंने यानी चुनाव पदाधिकारी ने अपने हाथों मत पत्र को जलाया और बाद में उनके सहयोग में तदर्थ समिति के लोग जो चुनाव लड़ रहे थे ने भी एक दो जलाया, वीडियो नीचे संलग्न किया जा रहा है।
-तदर्थ समिति ने हम सबों को आश्वस्त किया था की जिला प्रशासन, जिला पुलिस प्रशासन थाना और सदर अनुमंडल पदाधिकारी को उन्होंने खबर कर रखा है, पर पूरे दौरान किसी भी प्रशासनिक उपस्थिति नहीं रही।
-कई जिलों में उन तदर्थ समिति ने बिना किसी प्रोसेस के निर्विरोध चुनाव करा लिया पर मधुबनी के लिए बनाए गए तदर्थ समिति जो अल्पमत में थी, नहीं करा सकी। 4 दिन के संपूर्ण प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मतदान रद्द कर बैलट जला दिया गया जो घोर दंडनीय अपराध है।
-वह बार-बार धमकी दे रहे थे कि हमारे पैनल को मान लीजिए और निर्विरोध सूची जाने दीजिए, नहीं तो बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी आप जीत भी जाएंगे तो एडहॉक लगाए रखेगा।
-यह हास्यास्पद यह है कि बिहार क्रिकेट संघ ने जो मनमानी पूर्ण तरीके से अपने पसंद के व्यक्तियों को तदर्थ समिति बनाया था और उनका काम चुनाव कराना था, खुद भी चुनाव लड़ा, खुद ही चुनाव पदाधिकारी नियुक्त किए दो कनिष्ठ अनुभवहीन वकील को, जबकि उनको चुनाव पदाधिकारी के रूप में लोकपाल के आदेशानुसार रिटायर्ड जुडिशल मजिस्ट्रेट या रिटायर्ड प्रशासनिक सेवा पदाधिकारी को नियुक्त करना था।