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Monday, December 23, 2024

शान-ए-बिहार : लंबी दूरी से गोल करने में माहिर है यह स्टार फुटबॉलर

नवीन चंद्र
पटना। खेल समाचारों का वेबपोर्टल आपका अपना खेलढाबा.कॉम ने शान-ए-बिहार के नाम से एक वीडियो शृंखला चला रहा है। इस वीडियो शृंखला में आपको बिहार की वैसी खेल हस्ती के बारे में हम बताते हैं जिन्होंने राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल जगत की क्षितिज पर अपने गांव, जिला, राज्य और देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के स्टार फुटबॉलर दीपक कुमार सिन्हा की। तो आइए जानते हैं दीपक कुमार सिन्हा के बारे में ढेर सारी बातें इस वीडियो के माध्यम से-

दीपक कुमार सिन्हा को फुटबॉल विरासत में मिली। उनके पिता स्व. रामकृष्ण प्रसाद नामी फुटबॉलर थे। वे होमगार्ड की ओर से खेलते खेलते थे। बाद के दिनों में वे रेफरी भी बने। पिता की राह पर ही चलते हुए दीपक कुमार सिन्हा ने भी फुटबॉल खेलना शुरू किया। दीपक कुमार सिन्हा के दो भाई पप्पू कुमार सिन्हा और बब्लू कुमार सिन्हा भी संतोष ट्रॉफी प्लेयर हैं।

दीपक कुमार ने अपना सबसे पहले द्वारिका स्कूल की ओर से स्कूली टूर्नामेंट खेला। नेशनल लेवल पर स्कूली टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया। इसके बाद पटना लीग खेलना शुरू किया। ताज क्लब की ओर सबसे पहले जूनियर डिवीजन फुटबॉल लीग खेला। इसके बाद एमसीसी क्लब की ओर सीनियर डिवीजन लीग खेलना स्टार्ट किया। चार साल होमगार्ड की ओर से खेला। वर्ष 1989 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खेल कोटे से नौकरी हो गई और एसबीआई के प्लेयर हो गए।  

दीपक कुमार सिन्हा ने राज्य टीम का प्रतिनिधित्व जूनियर से लेकर सीनियर प्रतियोगिताओं में किया। वर्ष 1988 से लेकर 2000 तक संतोष ट्रॉफी में बिहार का प्रतिनिधित्व और नेतृत्व किया। वर्ष 1990 में पूर्व क्षेत्र संतोष ट्रॉफी फुटबॉल टूर्नामेंट में बिहार टीम का नेतृत्व किया और टीम को फाइनल तक पहुंचाया। फाइनल में टीम बंगाल से हार गई।

स्टेट बैंक की ओर पटना लीग के अलावा कई टूर्नामेंट खेले और खूब गोल दागे। नेपाल में आयोजित टूर्नामेंट में ऑल इंडिया स्टेट बैंक टीम का प्रतिनिधित्व किया।

दीपक कुमार सिन्हा कहते हैं कि मैं दूर से गोल करने में माहिर हूं। 20 यार्ड की दूरी से गोल दागना हमारे लेने आसान है। वे कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए आपको ईमानदारी से मेहनत करनी होगी। वे कहते हैं कि बिहार फुटबॉल के विकास की गति को काफी तेज करनी होगी तभी जाकर हम दूसरे राज्यों के बराबर खड़े होंगे।

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