पटना। पश्चिमी चंपारण की एक लड़की आजकल बिहार खेल जगत में छाई हुई हैं। हर ओर इस लड़की की खूब चर्चा हो रही है। चर्चा हो क्यों नहीं इसने ऐसा काम ही कर दिया है। जी हां पश्चिम चंपारण की इस लाडली बिटिया का नाम है लक्की कुमारी जो बिहार अंडर-17 फुटबॉल टीम की सदस्य हैं और अपने खेल के दम पर बिहार टीम को जूनियर राष्ट्रीय अंडर-17 फुटबॉल चैंपियनशिप में फाइनल का टिकट दिला दिया। इस सफर में उनकी साथी खिलाड़ियों का भी पूरा सार मिला।

बात आज से कुछ साल पहले के ही जब लक्की कुमारी सामान्य वेषभूषा में टीपी वर्मा कॉलेज में दौड़ रही थी। इस दौरान वहां अभ्यास करने वाली लड़कियों ने इस कॉलेज पर फुटबॉल ट्रेनिंग देने वाली सुनील वर्मा का ध्यान उसकी ओर आकृष्ट कराया। सुनील वर्मा ने उससे बातचीत की और फिर उसे अपने पास ट्रेनिंग देने के लिए रख लिया। इसमें लक्की कुमारी के माता-पिता ने पूरा साथ दिया। धीरे-धीरे लक्की का सफर आगे बढ़ता चला गया।
लक्की कुमारी ने इससे पहले दो बार अंडर-14 नेशनल चैंपियनिशप में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया है। साथ स्कूली नेशनल चैंपियनशिप में बिहार की ओर से खेला है।
लक्की के पिता कपूर चंद और माता लता देवी नरकटियागंज में भूंजा व पकौड़ी बेचते हैं। लक्की कुमारी पांच बहनों में सबसे छोटी हैं। बाकी बहन कोई फुटबॉल नहीं खेलती हैं।
लक्की की मां और पिता ने कहा कि आज लक्की कुमारी जो कुछ भी है वह सुनील वर्मा की देन है। मैं उनको किस तरह से धन्यवाद दूं बता नहीं सकती हूं। सब भैया की बदौलत है। भैया का मतलब सुनील वर्मा।
लक्की कुमारी ने जूनियर नेशनल अंडर-17 बालिका फुटबॉल चैंपियनशिप में अबतक कुल 13 गोल दागे हैं। एक मैच में उसकी हैट्रिक भी है। फॉरवर्ड पॉजिशन से खेलने वाले लक्की कुमारी ने क्वार्टरफाइनल मैच में फिनिशिंग गोल दागा था और बिहार को सेमीफाइनल का टिकट दिलाया था। कई मैचों में वह प्लेयर ऑफ द मैच बनी हैं।
कोच सुनील वर्मा के बारे में बताने की ज्यादा जरुरत नहीं है। उनसे ट्रेनिंग लेकर कई खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर अपना नाम रौशन कर चुकी हैं। वर्ष 1986 में वाजदा तबस्सुम को इंटरनेशनल फुटबॉलर बनाने से जो सफर शुरू हुआ वह अभी जारी हैं। अंशा कुमारी की पांचों बहनें यहीं से फुटबॉल खेल कर आगे बढ़ी और न केवल नरकटियागंज बल्कि बिहार और देश का नाम रोशन किया।