पटना। पटना जिला क्रिकेट संघ के चुनाव को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के लोकपाल का फैसला आया है कि दोनों पार्टियों में से कोई चुनाव नहीं करा सकता है। गौरतलब है कि पटना जिला क्रिकेट एसोसिएशन में अध्यक्ष और सचिव ने अपना-अपना खेमा बना रखा है। अध्यक्ष के आदेश और सदस्यों की मांग पर चुनाव की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और रविवार को चुनावी प्रक्रिया का अंतिम दिन है। सारे पद पर निर्विरोध चुनाव संपन्न हो चुका है।
क्रिकेट जानकारों समेत बिहार क्रिकेट जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि पटना जिला क्रिकेट एसोसिएशन के हर मामले में जिस तरह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन और उसके साथ जुड़े व्यक्तियों ने तत्परता दिखाई है वह उसके क्रियाकलाप पर सवाल जरूर खड़ा करता है। कहीं न कहीं यह जरूर दिखता है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन एकपक्षीय निर्णय ले रहा है चाहे वह बिना हस्ताक्षर के नोटिफिकेशन जारी करने का ही मामला क्यों न हो। साथ ही जिस तरह से इस मामले में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने तत्परता दिखाई है उस पर भी सवाल खड़ा होता है।

कानून जानकारों का कहना कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान के नियम 48 (बी) में स्पष्ट रूप से लिखा है कि बीसीए अपने सदस्यों यानी जिला संघों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। साथ ही चुनाव की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और आज केवल औपचारिकता बाकी है। चूंकि सारे पद निर्विरोध भरे जा चुके हैं इसीलिए वोटिंग नहीं होगी। ऐसे में क्या लोकपाल को चुनाव विवाद को तय करने का अधिकार है। इसका उत्तर है नहीं, लोकपाल नहीं कर सकते हैं।
साथ ही लोकपाल और नैतिकता अधिकारी की नियुक्ति 2020 के सीडब्ल्यूजेसी संख्या 4868 में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, जिसमें राघवेंद्र कुमार सिंह, नैतिकता अधिकारी-सह-प्रभारी लोकपाल 29.10.2021 को पेश हुए हैं और अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। मामले की सुनवाई अब 22.11.2021 को होनी है।



