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Sunday, November 24, 2024

Hangzhou 2022 Asian Games एथलेटिक्स पारुल और अनु को स्वर्ण, भारत को मिले छह पदक

हांगझोउ, 3 अक्टूबर। पारुल चौधरी ने शानदार दमखम का परिचय देते हुए महिला 5000 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता जबकि अनु रानी सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ महिला भाला फेंक स्पर्धा में शीर्ष पर रही जिससे भारत मंगलवार को यहां एशियाई खेलों की ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में छह पदक जीतने में सफल रहा।

मंगलवार को दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक के साथ भारत मौजूदा खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में अब तक 22 पदक (चार स्वर्ण, 10 रजत और आठ कांस्य) जीत चुका है और इस तरह 2018 में 20 पदक के आंकड़े को पार कर चुका है। 1951 में पहले एशियाई खेलों में एथलेटिक्स में 34 पदक के बाद यह ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

भारत की 28 वर्षीय पारुल अंतिम लैप में जापान की रिरिका हिरोनाका से पीछे चल रही थी लेकिन अंतिम 40 मीटर में उन्हें पछाड़कर 15 मिनट 14.75 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

पारुल स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला

पारुल इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इससे पहले सुनीता रानी (1998 में रजत और 2002 में कांस्य), ओपी जैशा (2006 में कांस्य), प्रीजा श्रीधरन (2010 में रजत) और कविता (2010 में कांस्य) एशियाई खेलों की महिला 5000 मीटर स्पर्धा में पदक जीत चुके हैं।

पारुल ने कहा कि मैंने कल (3000 मीटर स्टीपलचेज में) रजत पदक जीता और मैं थकी हुई थी इसलिए मैं केवल तीन घंटे सोई। मैं 3000 मीटर स्टीपलचेज में स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी इसलिए मैंने सोचा कि मैं आज अंत तक टक्कर दूंगी। उन्होंने कहा कि मैं 2016 से राष्ट्रीय शिविर में कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग कर रही हूं।

पारुल का मौजूदा एशियाई खेलों में यह दूसरा पदक है। उन्होंने सोमवार को महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज में भी रजत पदक जीता था। स्वर्ण जीतने के बद पारुल को उम्मीद है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस उपाधीक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमारे राज्य उत्तर प्रदेश की नीति है कि अगर कोई स्वर्ण पदक जीतता है तो उसे पुलिस उपाधीक्षक बनाया जाएगा। यह मेरे मन में था।

स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला

इसके बाद पूरे सत्र में खराब फॉर्म से जूझने वाली मेरठ की 31 साल की अनु अपने चौथे प्रयास में 62.92 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। अनु का एशियाई खेलों का यह दूसरा पदक है। उन्होंने 2014 में कांस्य पदक जीता था।

श्रीलंका की नदीशा दिल्हान और चीन की हुइहुइ ल्यु ने क्रमश: 61.57 मीटर और 61.29 मीटर के प्रयास के साथ रजत और कांस्य पदक जीते।

अनु ने कहा कि मैं पूरे साल कोशिश कर रही थी लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। मैं उदास और दबाव महसूस कर रही थी क्योंकि सरकार ने मुझे ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने में बहुत पैसा खर्च किया।

उन्होंने कहा कि यह सत्र की मेरी आखिरी प्रतियोगिता थी और मैंने हार नहीं मानी। इसलिए मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की ठान ली थी। उन्होंने खुलासा किया कि कई प्रतियोगिताओं में खराब प्रदर्शन के बाद वह खेल छोड़ने की कगार पर थीं लेकिन उन्होंने खुद को एक मौका देने के लिए ऐसा नहीं करने का फैसला किया।

अनु ने कहा कि परिवार और देश की अपेक्षाएं थीं। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। पूरा सत्र अच्छा नहीं रहा। बीच में मैं 54 मीटर का थ्रो भी कर रही थी और मैंने सोचा कि अगर मैं इतना बुरा कर रही हूं, तो मैं खेल छोड़ दूंगी। लेकिन मैंने खुद से कहा कि मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी और अंत तक लड़ूंगी।

मोहम्मद अफजल ने पुरुषों की 800 मीटर दौड़ में एक मिनट 48.43 सेकेंड के साथ रजत पदक जीता। इसी स्पर्धा में कृष्ण कुमार डिस्क्वालीफाई हो गए।

तेजस्विन शंकर ने पुरुष डेकाथलन स्पर्धा में 7666 अंक के राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ रजत पदक हासिल किया। इससे पहले वह 1500 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे।

1974 के बाद डेकाथलन में पदक

भारत का एशियाई खेलों की पुरुष डेकाथलन स्पर्धा में 1974 के बाद यह पहला पदक है। विजय सिंह चौहान एशियाई खेलों की इस स्पर्धा में 1974 में पदक जीतने वाले पिछले भारतीय थे। पिछला राष्ट्रीय रिकॉर्ड भरतिंदर सिंह के नाम था जो 7658 अंक का था।

तेजस्विन ने कहा कि मैं इससे बेहतर की उम्मीद कर रहा था लेकिन यह सोचकर संतुष्ट हूं कि गोला फेंक स्पर्धा के ठीक बाद मुझे ऐंठन हुई थी। उसके बाद कुल अंकों के बारे में चिंता करने के बजाय पदक जीतने के लिए खुद को प्रबंधित करना था। फिर भी मैं खुश हूं कि मैंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

प्रवीण चित्रावेल ने पुरुषों की त्रिकूद स्पर्धा में 16.68 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता। इसी स्पर्धा में एन अब्दुल्ला अबुबाकर 16.62 मीटर के प्रयास के साथ चौथे स्थान पर रहे। चीन के झू येमिंग (17.13 मीटर) और फेंग याओकिंग (16.93 मीटर) ने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक जीता।

इससे पहले विथ्या रामराज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाने के बावजूद महिला 400 मीटर बाधा दौड़ स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने में सफल रही।

पच्चीस साल की विथ्या ने 55.68 सेकेंड के समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। बहरीन की ओलुवाकेमी मुजिदात आदेकोया ने 54.45 सेकेंड के खेलों के रिकॉर्ड समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। चीन की जेदी मो ने 55.01 सेकेंड का सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।

विथ्या ने सोमवार को 55.52 सेकेंड के निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 1984 में बनाए पीटी ऊषा के 400 मीटर बाधा दौड़ के राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी करके अपनी हीट में शीर्ष पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।

विथ्या ने कहा कि मुझे पदक मिला और इसलिए मैं खुश हूं। लेकिन मैं अपने समय को लेकर निराश हूं। वार्म-अप के दौरान बारिश के कारण मुझे ठंड लग रही थी। मैंने खुद को ढक लिया। मैं कोई बहाना नहीं बना रही हूं। उन्होंने कहा कि मैं थोड़ा दबाव में थी क्योंकि यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। मानसिक दबाव था। मैंने गलतियां कीं।

विथ्या ने कहा कि शुरुआती 200 मीटर में मैं अच्छा प्रदर्शन करता थी लेकिन आज मेरे से गलती हो गई। मैंने 54 सेकेंड में दौड़ने का अभ्यास किया और हीट में राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की। मैं अगले साल राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दूंगी।

विथ्या भारत की चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टीम का भी हिस्सा थी जिसने सोमवार को श्रीलंका के ‘लेन के उल्लंघन’ के कारण डिस्क्वालीफाई होने के बाद रजत पदक जीता। टीम के अन्य सदस्य मोहम्मद अजमल वरियाथोडी, राजेश रमेश और सुभा वेंकटेशन थे।

पुरुष 400 मीटर बाधा दौड़ फाइनल में यशास पी (49.39 सेकेंड) और संतोष कुमार (49.41 सेकेंड) क्रमश: पांचवें और छठे स्थान पर रहे।

महिला ऊंची कूद फाइनल में पूजा और रूबिना यादव ने अपने अभियान का अंत क्रमश: छठे और नौवें स्थान के साथ किया।

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