पटना। बिहार क्रिकेट जगत में सबकुछ शांति से होता जाए यह संभव नहीं दिखता है। ताजा उदाहरण है बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के निर्वाचित संयुक्त सचिव कुमार अरविंद का पदमुक्त किया जाना है।
बीसीए के मीडिया प्रभारी द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी की अध्यक्षता में बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की आपातकालीन बैठक हुई जिसमें कुमार अरविंद को साइडलाइन करने का आदेश जारी किया गया।
इस बैठक में बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह, जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह, टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन संजय सिंह, गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन सोना सिंह, फिनाइनंस कमेटी के चेयरमैन प्रत्यक्ष रूप से जबकि कुछ अन्य सदस्य इस आपातकालीन बैठक में वेबीनार के माध्यम से जुड़े थें।
जिसमें कार्यकारी सचिव सह संयुक्त सचिव का पदभार संभाल रहे कुमार अरविंद द्वारा लगातार किए जा रहे एंटी एसोसिएशन एक्टिविटी और बीसीए सीईओ मनीष राज के साथ किए गए दुर्व्यवहार पर गहन विचार-विमर्श करने के पश्चात बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों की सर्वसम्मति से कुमार अरविंद से कार्यकारी सचिव का प्रभार वापस लेते हुए संयुक्त सचिव के कार्य प्रभार पर भी रोक लगा दी और सभी पदों से पदमुक्त कर दिया।
अब कुमार अरविंद वर्तमान बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट का हिस्सा नहीं रहेंगे। बैठक की अध्यक्षता कर रहे बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने कहा कि कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों ने क्रिकेट को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सभी क्रिकेट गतिविधियों का संचालन का दायित्व जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह को अधिकृत किया है।
वहीं बैंक अकाउंट संबंधित कार्यों में कोषाध्यक्ष के साथ अध्यक्ष/उपाध्यक्ष हस्ताक्षरकर्ता के रूप में शामिल होंगे। जबकि सचिव का सारा प्रभार अध्यक्ष पद में समाहित रहेगा।
इस आपातकालीन बैठक में कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए सभी निर्णयों को बीसीए लोकपाल को सूचित कर दिया गया है कि इस संबंध में संविधान के अनुसार अग्रेतर कार्यवाही करें।
इस बीच क्रिकेट जानकारों का कहना है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में अपनी बात रखने वालों और सही बात कहने वालों को साइडलाइन करने की परंपरा हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। यह घटना चक्र उसी कड़ी का हिस्सा है। पहले जीएम ऑपरेशन को साइड किया और अब संयुक्त सचिव को। क्रिकेट जानकारों का कहना है कि बिहार क्रिकेट में बीसीसीआई का रुल यानी शासन लागू होना चाहिए तभी कुछ बेहतर हो सकता है।
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