कुंदन श्रीवास्तव, प्रमुख संवाददाता

सुनी हो गईं राजगीर (नालंदा) इंटरनेशनल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की तरफ जाने वाली तमाम सड़कें। इन राहों पर एक बार फ़िर से, उन्हीं सन्नाटों का बसेरा हो चुका है, जो अब से चंद हफ्तों पहले हुआ करता था। जगमगाते शहर, झिलमिलाती दूधिया रोशनी में जगमग करते हॉकी एरिना को,अंधियारे अब तक अपने आग़ोश में ले भी चुके होंगे।
इस इलाक़े के आसपास रहने वाले लोगों को भी अब सबकुछ उदास, सूना-सूना लगने लगा होगा। कल तक कितना बदला-बदला सा लग रहा था राजगीर का मंज़र। हर एक शख़्स हॉकी की खुमारी में मदहोश! जैसे इस खेल से उनका बरसों का, पुराना, गहरा रिश्ता रहा हो, हॉकी के जश्न में डूबा इसकी क़सीदे पढ़ रहा था।
क्रिकेट खेल के दीवानों के शहर राजगीर में आकर बस कुछ ही दिनों में इन भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों ने सेंधमारी कर कैसे इस शहर में हॉकी की अलख जगा दी थी। क्रिकेट खेल की इबादत करने वालों के दिलों में हॉकी की दीप प्रज्वलित कर डाली थी।
ये इलाक़ा क्रिकेट से मोहब्बत करने वालों का है। है तो ये रुरल एरिया मगर क्रिकेट के शौक़ीनों और इस खेल से इबादत करने वाले अधिकतर लोग ही रहते हैं यहां पर। 1983 प्रूडेंशियल वर्ल्डकप के बाद भारत में क्रिकेट को लोगों ने किस तरह अपने सर आंखों पर बिठाया, ये किसी से छुपा नहीं। राजगीर (नालंदा) और उसके इर्द-गिर्द के इलाक़े भला इससे अछूता रहते भी तो कैसे ? ऐसे क्षेत्रों में क्रिकेट खेल के लिए लोगों की भरपूर दीवानगी रही है लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं रहने वाला है यहां पर।
कल एशियन वीमेंस हॉकी चैम्पियनशिप में भारतीय टीम के ऐतिहासिक ख़िताब जीतने के बाद, सबकुछ बदल जाएगा यहां पर। कल को यहां के बच्चे अपने मां-बाप से क्रिकेट बैट की जगह हॉकी स्टिक की फरमाइशें शुरू कर दें तो किसी को अचरज नहीं होनी चाहिए। अगर सचमुच ऐसा हो गया तो समझ लीजिए।
इस सूबे के मौज़ूदा मुखिया नीतीश कुमार का राजगीर ड्रीम प्रोजेक्ट क़ामयाब हो गया। इस इलाक़े में बने इंटरनेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के कारण राजगीर और इसके आसपास के क्षेत्रों के लोगों में अब हॉकी की ललक के साथ -साथ दीगर खेलों की तरफ़ रूझान बढ़ जाएगा।
ख़ासतौर पर इस खेल के प्रति उनका प्रेम भी बढ़ जाएगा। अभी कल रात ही यहां पर एशियन वीमेंस हॉकी चैम्पियनशिप अपने अंज़ाम तक पहुंचा है और इस खेल के प्रति लोगों के जुनून को देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगा कि इस इलाक़े के रहने वालों के लिए यह खेल बिल्कुल ही नया है।
पूरा का पूरा खचाखच भरा हुआ स्टेडियम। तिल रखने के लिए ज़रा सी भी जगह नहीं। स्टेडियम के बाहर खड़े लोगों बड़ा हुजूम, स्टेडियम में एंट्री के लिए बेचैन लोग,सच हॉकी के लिए ऐसी दीवानग़ी। वो भी इन रुरल एरिया के लोगों में, अकल्पनीय तो था ही। साथ- साथ एक शुभ संकेत भी। इस एशियन वीमेंस हॉकी चैम्पियनशिप के पहले शायद ही किसी के सपने में हॉकी के प्रति ऐसे क्रांतिकारी परिवर्तन के ख़्याल आए भी होंगे।
पूरे टूर्नामेंट के दौरान तीन-तीन पीढ़ियां, इतने बड़े टूर्नामेंट का भरपूर लुत्फ़ उठाती रहीं। कोई अपने दोनों हाथों में खिलाड़ियों के हौसला अफज़ाई करने वाले दिलचस्प स्लोगन लिखे पोस्टर दिखाता तो कोई के शान से अपनी हथेलियों में ट्राई कलर लहराता, सचमुच कितना अद्भुत मंजर था वो।
भारत सहित इस चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने आईं पांच एशियाई मुल्क़ो की टीमों के खिलाड़ियों को भी यह नया वेन्यू और यहां के लोग बहुत भाने भी लगे थे। मेहमान खिलाड़ी और ऑफिसियल्स उनके ख़ुलूस और आत्मीयता के पूरी तरह से क़ायल हो भी गए थे।
ख़ासतौर पर भारतीय खिलाड़ियों ने प्राइज प्रजेंटेशन के दौरान यहां के हॉकी प्रेमियों के आचरण, व्यवहार, उनकी हौसला अफज़ाई और मेहमाननवाज़ी की दिल खोलकर तारीफ़ें भी कीं थीं जो कि हम बिहारियों के लिए बड़े गौरव की बात है।
राजगीर वासियों ने जिस तरह से इतने बड़े इंटरनेशनल हॉकी कार्निवाल को सक्सैस बनाया। उसका इनाम भी उन्हें मिल चुका है। अब अगले साल 27 अगस्त से 7 सितंबर तक इसी राजगीर में एशियन मेंस हॉकी चैंपियनशिप का आयोजन किया जाएगा। अब जबकि राजगीर (नालंदा) वासियों को मेंस एशियन हॉकी चैंपियनशिप का नज़राना मिल चुका है। ऐसे में यहां के लोग उस यादग़ार दिन के लिए अभी से ही अपनी नज़रें बिछा दिए होंगे।