पटना। अगर ये सारे कागजात सही हैं तो वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-19 वनडे क्रिकेट टूर्नामेंट में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे इस खिलाड़ी की यह गलती उन पर भारी पड़ सकती है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन उनकी इसकी गलती की सजा तय सकता है। इस खिलाड़ी का नाम है शशांक उपाध्याय।
यह विकेटकीपर बल्लेबाज शशांक उपाध्याय गुवाहाटी में चल वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और उन्होंने बिहार टीम को जीत भी दिलाई है।
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बिहार क्रिकेट जगत और सोशल मीडिया पर वायरल वे कागजात जो खेलढाबा.कॉम के पास भी के अनुसार शशांक उपाध्याय ने आनंद शुक्ला इलेवन टीम की ओर इलाहाबाद क्रिकेट लीग में खेला है। इसके अलावा वे लोकल लेवल पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। इलाहाबाद क्रिकेट लीग के स्कोर बोर्ड क्रिकहिरोज.इन बेवसाइट पर उपलब्ध हैं।
शशांक उपाध्याय गोरखपुर में इसी साल आयोजित उत्तरप्रदेश राज्य क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित अंतर मंडलीय क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रयाग मंडल टीम के हिस्सा थे।
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यह तो यूपी की बात। इसी सत्र में उन्होंने कैमूर जिला का प्रतिनिधित्व करते हुए रणधीर वर्मा अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में औरंगाबाद और गया के खिलाफ खेला। पिछले साल भी उन्होंने बिहार में खेला है। खेलढाबा.कॉम इन कागजाताओं की सत्यता की बात नहीं करता है अब तो यह जांच का विषय है कि जो कागजात हैं वह कितने सही हैं या गलत। साथ ही खेलढाबा.कॉम खिलाड़ी के टैलेंट पर भी सवाल नहीं खड़ा कर है।
बिहार क्रिकेट जगत में यह भी अफवाह था कि वह खिलाड़ी यूपी का है पर दैनिक जागरण. कॉम में छपी रिपोर्ट के अनुसार शशांक उपाध्याय बिहार के रहने वाले हैं। उनका घर कैमूर जिला के रामगढ़ थाना क्षेत्र के डरवन गांव के हैं। उनके पिता डॉ. संजय उपाध्याय यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर व चाचा एमके उपाध्याय बड़े डॉक्टर है। इसकी पुष्टि जिला क्रिकेट से ताल्लुक रखने वाले लोग भी कर रहे हैं।
उनके चयन के बाद दैनिक जागरण.कॉम में छपी खबर के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई कर रहे शशांक का इलाहाबाद से नाता रहा है। इस रिपोर्ट से ऊपर के कागजातों को बल मिलता है। दैनिक जागरण.कॉम में छपी रिपोर्ट के अनुसार किसी कोच व प्रशिक्षक के इस खिलाड़ी ने यूपी के प्रयाग से इस क्रिकेट खेल में पसीना बहाता रहा और आखिरकार मेहनत रंग लाई और 26 सितंबर को राष्ट्रीय चयनकर्ता राकेश पारिख और ज्ञानेंद्र पांडेय ने शशांक के नाम पर जब मुहर लगाया।