पटना। बिहार सरकार के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान में किये गए संशोधन के अभिलेखन से संबंधित प्रस्तुत दस्तावेज पर अपनी मुहर लगा दी है। इस खबर के फैलते ही बिहार क्रिकेट जगत में खुशी की लहर है। सभी बीसीए के वर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी समेत वर्तमान कमेटी के पदाधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर या दूरभाष पर या अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फोटो लगा कर बधाईयां दे रहे हैं। सब एक सुर में कह रहे हैं कि अब बिहार में क्रिकेट के विकास बना रोड़ा खत्म हो गया है।
हालांकि यह संस्पेस कायम है कि निबंधन विभाग ने पुरानी कमेटी (गोपाल बोहरा के नेतृत्व वाली) या नई कमेटी (राकेश कुमार तिवारी के नेतृत्व वाली) द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज पर मुहर लगाई है। खेलढाबा को निबंधन विभाग और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसमें कहा जा रहा है कि नई कमेटी (राकेश कुमार तिवारी के नेतृत्व वाली) द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज पर मुहर लगी है। जानकार कहते हैं कि अगर नई कमेटी के दस्तावेज पर निबंधन विभाग ने मुहर लगाई है तो जिला संघों को संशोधन पर जश्न मनाने की बजाए अपने अधिकार व स्वायता के हो रहे हनन के लिए सोचना होगा। अगर वे सच्चाई जान जायेंगे तो उनके होश ठिकाने पर आ जायेंगे।
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खेलढाबा को मिली जानकारी के अनुसार लोढ़ा कमेटी के नियम ‘one state-one Vote’ की तर्ज पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के भी संविधान one District-one Vote की बात कही गई है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान के कंडिका संख्या 3(a)ii के अनुसार NO District shall have more than full member (किसी भी जिले में पूर्ण सदस्य से अधिक नहीं होंगे) की बात का जिक्र है।
इससे इतर नई कमेटी ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान में किये गए संशोधन के अभिलेखन से संबंधित जो दस्तावेज निबंधन विभाग में प्रस्तुत की है जिसकी मंजूर की बात कही जारी है उसमें कहा गया कि NO District shall have more than full member ‘‘omitted”। omitted का अर्थ होता है विलोपित या लुप्त करना। यानी अब जिला पूर्ण सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। यानी जिला संघों की स्वायतता पर प्रहार किया गया है। जिला संघों के पॉवर पर पूर्ण अंकुश लगाने की योजना के तहत बीसीए के नये संविधान के संशोधन में अभिलेखन निबंधन विभाग से कराया गया है।
जानकारों का कहना है कि जश्न मनाने वाले और बधाई देने वाले वैसे जिला संघ सोचें कि अब उनकी बीसीए के समक्ष क्या हस्ती रह जायेगी। जानकार कहते हैं कि चुनावी साल है यह कुर्सी पर कायम रहने का बहुत ही सरल उपाय किया गया है। अगर इस पर पूरी तरह अमल हो गया तो बल्ले ही बल्ले। बल्ले ही बल्ले किसकी होगी यह तो सब जानते हैं। उस पर कुछ लिखने की जरुरत नहीं है। पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर किस दस्तावेज पर मुहर लगी है। हालांकि यह तय है कि आने वाले दिनों में निबंधन विभाग से लेकर हर कानूनी दरवाजे को खटखटाया जायेगा। लोग तो यहां तक कहते हैं कि दरवाजा खटाने का कार्य शुरू हो चुका है।