पटना, 22 नवंबर। बिहार क्रिकेट में ही यह संभव है कि खिलाड़ियों को बिना मैच खिलाए ही उन्हें घर चलता कर दिया जाए। यह कोई कहानी नहीं। यह बिहार की सच्ची घटना है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) ने सत्र 2023-24 के लिए कूच बिहार ट्रॉफी अंडर-19 क्रिकेट के लिए बिहार की 16 सदस्यीय टीम की घोषणा की थी और पटना में आयोजित मैच के एक दिन पूर्व आनन-फानन में पांच खिलाड़ियों का नाम जोड़ा था। यानी कुल 21 सदस्यीय टीम हो गई। पर पहले ही मैच में घर चलता किये गए प्लेयरों को खेलने की बारी आई तो कहा गया कि आप सबों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ और रजिस्ट्रेशन को कारण बता इन कुल छह क्रिकेटरों को दूसरे मैच की टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और कहा गया कि आप सभी अभी घर जाइए। पोर्टल जब खुलेगा, रजिस्ट्रेशन होगा तो आप खेलने के योग्य होंगे। यह छह क्रिकेटर हैं मो आलम, हजरत अली, पृथ्वी राज, शुभम दूबे, सूर्यम राज और आदर्श कुमार।
अब पूरे मामले को विस्तार से समझें। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने 17 नवंबर से शुरू होने वाले कूच बिहार ट्रॉफी के लिए 15 नवंबर को 16 सदस्यीय बिहार टीम की घोषणा की। इस 16 सदस्यीय टीम में बाहर का रास्ता देखेने वाले छह खिलाड़ी शामिल थे। इसके अगले दिन एक लिस्ट जारी हुई जिसमें पांच खिलाड़ियों का नाम था। जब 17 नवंबर से मैच शुरू हुआ तो बाद में जुटे पांच खिलाड़ियों में दो प्लेइंग इलेवन में बाकी तीन रेस्ट ऑफ टीम शामिल थे। लोगों का लगा यह क्या हुआ। बीसीए की ओर से कहा जाने लगा कि कुछ प्लेयरों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया था इसीलिए ऐसा करना पड़ा। लोगों ने सोचा अगले मैच में उन खिलाड़ियों को मौका मिलेगा जो पहली बार घोषित टीम में हैं पर उनका सोचना गलत था।
दूसरे मैच के लिए जो टीम गई उसमें से छह खिलाड़ियों मो आलम, हजरत अली, पृथ्वी राज, शुभम दूबे, सूर्यम राज और आदर्श कुमार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने इन खिलाड़ियों को कहा कि आप सबों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है इसीलिए आप टीम के साथ नहीं रह सकते हैं।
क्रिकेट जानकार कहते हैं कि शायद ही कभी किसी ने यह सुना होगा कि किसी प्रतिभागी या परीक्षार्थी को परीक्षा हॉल में बैठाया गया। प्रश्न पत्र दिया गया। कॉपी भी दी गई और जब परीक्षा देने के लिए वह अपने कलम को चालू करने को सोचा तो कहा गया कि आप परीक्षा देने के काबिल नहीं है और उसे परीक्षा हॉल से यह कह कर निकाल दिया गया कि आपका फॉर्म ही नहीं भरा गया है। पर बिहार में क्रिकेट को चलाने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का यूनिट बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है। बीसीए की ओर से बाहर का रास्ता दिखाने वाले क्रिकेटरों को पहले टीम में शामिल किया गया। बाकी खिलाड़ियों की तरह किट की सुविधा प्रदान की गई है पर खेलने की बारी आई तो कह दिया कि आपका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है। गजब है भाई। बीसीए के इस क्रिया कलाप से कई सवाल उठने लगे हैं।
क्रिकेट जानकारों का कहना है कि अगर इन खिलाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो गलती किसकी है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने का दायित्व किसकी है। अगर रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो इन खिलाड़ियों को टीम में कैसे शामिल किया गया। रजिस्ट्रेशन तो लगभग 30 से 40 खिलाड़ियों का होता है तो फिर रजिस्ट्रेशन का बहाना क्यों।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के इस क्रिया कलाप के कारण खिलाड़ियों के कैरियर से खिलवाड़ किया गया है। इन छह खिलाड़ियों में जो केवल इसी वर्ष तक अंडर-19 खेलने की अर्हता रखता होगा उसका क्या होगा। उसका एक साल तो बर्बाद हो गया। दूसरी बात यह है कि अगर इन खिलाड़ियों का अगले वर्ष घरेलू क्रिकेट में बदकिस्मती से परफॉरमेंस खराब हो गया और बीसीए के टीम चयन की अर्हता को पूरा नहीं कर पायेंगे तो उनका क्या होगा।
क्रिकेट के जानकारों का सीधा कहना है कि बीसीए के लिए यह तो एक छोटी घटना होगी लेकिन छह खिलाड़ियों के भविष्य तो बर्बाद हो गए। ऐसा करने वाले बीसीए के पदाधिकारी और कर्मचारी पर आखिरी कब कार्रवाई होगी। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के इस क्रिया कलाप से यही लग रहा है कि वह खिलाड़ियों की जिंदगी से गुल्ली डंडा का खेल खेलने में लगा है।


