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बेतिया के श्रवण व प्रमिला की पांच बेटियां, पांचों फुटबॉलर

by Khel Dhaba
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शबा परवीन
बेतिया।
स्टार फिल्म स्टार आमिर खान की हिट फिल्म दंगल आपने देखी होगी या उसके बारे में सुना होगा। इस फिल्म में दिखाया गया है हरियाणा के महावीर सिंह फोगाट न्ने बेटे के ना होने पर अपनी बेटियों को पहलवान बनाया।

ठीक उसी तरह से मिलती-जुलती कहानी है। पश्चिम चंपारण जिला के जिला मुख्यालय बेतिया शहर के श्रवण कुमार सिंह और प्रमिला देवी के बारे में इनके बेटे हैं पर उनका फुटबॉल से कोई नाता नहीं पर उनकी पांच बेटियां और पांचों फुटबॉलर। कोई राज्य स्तर तक खेला तो कोई राष्ट्रीय स्तर तक। किसी ने अंतरराष्ट्रीय क्षितीज पर नाम रौशन किया।

इन पांच बहनों का नाम है-रेखा कुमारी, रजनी अलंकार, अंशा कुमारी, रश्मि कुमारी और लकी कुमारी। हालांकि इनके दो भाई भी हैं पंकज और सचिन पर इन्हें फुटबॉल का ककहरा भी नहीं आता है। बेटों में बड़े पंकज आर्डिनेंस फैक्ट्री कोलकाता में इंजीनियर हैं वहीं सचिन अभी बीए की पढ़ाई कर रहा है। सचिन स्कॉउट एंड गाइड में राष्ट्रपति पुरस्कार जीत चुके हैं।

बात वर्ष 1998-99 की है। सबसे पहले बड़ी बेटी रेखा कुमारी और उससे छोटी रजनी अलंकार ने फुटबॉल खेलना शुरू किया। शुरुआती दिनों में शहर में उन्हें लोगों के ताने सुनने पड़े। बेतिया में खेल का उतना माहौल नहीं था। इसीलिए बड़ी बेटी रेखा ने ज्यादा दूर तक सफर तय नहीं किया। वह राज्यस्तरीय टूर्नामेंट तक ही खेल पाई पर उन्हें आगे बढ़ने के लिए अपने बहनों के लिए रास्ता खोल दिया।

इन लड़कियों की प्रतिभा को पहचाना सुनील कुमार वर्मा ने। सुनील कुमार वर्मा इसी जिले के नरकटियागंज में फुटबॉल की ट्रेनिंग देते थे। वे रजनी अलंकार और अंशा को नरकटियागंज ले आये। उसके बाद इस घर की बेटियों के जैसे भाग्य ही बदल गए। पहले जिला, फिर राज्य और उसके बाद देश की टीम में इन बहनों ने अपने खेल का प्रदर्शन किया।

चार बहनों में सबसे बड़ी रजनी अलंकार नेशनल फुटबॉलर है। सबसे दूर का सफर किया अंशा ने। उन्होंने 2004 से 2013 तक इंटरनेशनल स्तर पर फुटबॉल खेल चुकी हैं। आठवीं कक्षा से फुटबॉलर को अपनी कैरियर बनाने वाली अंशा ने वर्ष 2004 में चीन में आयोजित एएफसी अंडर-19 वीमेंस चैंपियनशिप, 2005 में वियतनाम में आयोजित एएफसी वीमेंस चैंपियनशिप क्वालिफाइंग राउंड, वर्ष 2007 में ईरान में आयोजित एएफसी वीमेंस एशियन कप क्वालिफाइंग राउंड, वर्ष 2011 में फीफा वीमेंस ओलंपिक फुटबॉल एएफसी क्वालिफाइंग राउंड, वर्ष 2013 में ढाका में आयोजित एएफसी वीमेंस चैंपियनशिप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।

वर्ष 2013 में असम में आयोजित पहली इंडियन रेलवे फुटबॉल चैंपियनशिप में पूर्व मध्य रेलवे का प्रतिनिधित्व किया। अंशा वर्ष 2010 में ढाका में आयोजित 11वीं साउथ एशियन गेम्स (सैफ गेम्स) में अपनी टीम को गोल्ड जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

श्रवण कुमार की चौथी और पांचवीं बेटी रश्मि एवं लक्की भी नेशनल खिलाड़ी हैं। चारों ही बहनें पूर्व मध्य रेल जोन मुख्यालय, हाजीपुर में कार्यरत हैं। साथ ही अंशा भारतीय रेल की पहली महिला फुटबॉल टीम कैप्टन है।

रजनी के पति राजेश कुमार सिंह और अंशा के पति राकेश कुमार सिंह भी फुटबॉलर हैं। राकेश कुमार सिंह पूर्व मध्य रेलवे फुटबॉल टीम के कोच हैं। अंशा की एक बेटी है नाम है अराध्या।

ऑफिस जाने से पहले ये सभी सुबह स्टेडियम में प्रैक्टिस करती हैं। अंशा कुमारी ने हाजीपुर में एक फुटबॉल एकेडमी भी खोल रखी है। यह एकेडमी बिहार फुटबॉल संघ से मान्यता प्राप्त है।

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