नई दिल्ली, 6 अगस्त। खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के आरटीआई संबंधी प्रावधान में संशोधन किया है जिसके तहत केवल उन्हीं संस्थाओं को इसके दायरे में रखा गया है जो सरकारी अनुदान और सहायता पर निर्भर हैं और इससे बीसीसीआई को काफी राहत मिली होगी।
मुख्य बिंदु:
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक में RTI अधिनियम से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। अब केवल वही खेल महासंघ सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के अंतर्गत आएंगे जो सरकारी सहायता प्राप्त करते हैं। इससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि वह सरकारी अनुदान पर निर्भर नहीं है।
क्या है नया संशोधन?
23 जुलाई को खेल मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक के अनुच्छेद 15(2) में बदलाव किया गया है। नए संशोधन के अनुसार, केवल वही संस्थाएं RTI के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” मानी जाएंगी जो सरकारी धन, सहायता या संरचना का लाभ लेती हैं। इसके तहत BCCI अब RTI अधिनियम के दायरे में नहीं आएगा, जब तक वह कोई सरकारी सहायता प्राप्त नहीं करता।
राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण और बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव
विधेयक में राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) और राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) का भी प्रस्ताव है:
NSB सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) की निगरानी करेगा।
NST को दीवानी न्यायालय जैसी शक्तियाँ मिलेंगी जो खेल संघों और खिलाड़ियों के बीच विवादों का निपटारा करेगा।
न्यायाधिकरण के निर्णयों को केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी।
BCCI को क्यों मिली राहत?
BCCI स्वयं वित्तपोषित संस्था है और सरकारी अनुदान नहीं लेता।
बोर्ड ने पहले RTI के अंतर्गत आने का विरोध किया था।
नए विधेयक में RTI को लेकर स्पष्ट परिभाषा से कानूनी विवाद की संभावना समाप्त हो गई है।
अन्य प्रावधान:
अब 70 से 75 वर्ष के प्रशासकों को चुनाव लड़ने की अनुमति, यदि अंतरराष्ट्रीय निकाय की स्वीकृति हो।
सभी NSFs को सरकार से अनुदान लेने के लिए राष्ट्रीय खेल बोर्ड की मान्यता जरूरी होगी।