पटना। जब बिहार में क्रिकेट के संघर्ष का दौर चल रहा था तो पटना में क्रिकेट आयोजनों की भरमार रहती थी और पटना जिला क्रिकेट एसोसिएशन भी अपने कार्यक्रमों को बखूबी करता था पर जब बिहार क्रिकेट का संघर्ष का दौर खत्म हुआ तो पटना जिला क्रिकेट के संघर्ष का दौर शुरू हो गया। आखिर कब तक यह चलेगा। क्या इस सवाल का जवाब पटना जिला क्रिकेट संघ के रहनुमा दे सकते हैं। ये बातें पटना जिला के कई क्रिकेटर कर रहे हैं। वे सीधा सवाल पूछते हैं कि क्या इस साल पटना जिला का क्रिकेट लीग शुरू होगा या नहीं।
क्रिकेटरों का कहना है कि सभी रहनुमाओं की मंशा तो पटना में क्रिकेट बढ़ाने का ही है फिर पटना के क्रिकेट विकास के लिए वे एक होकर क्यों नहीं सोचते हैं। पटना के क्रिकेटरों का कहना है कि अगर इस मुद्दे पर पटना जिला क्रिकेट संघ के कर्ता-धर्ता आपस में मिल बैठकर इस समस्या का समाधान नहीं खोज सकते हैं तो बिहार क्रिकेट संघ से हम सबों का आग्रह है कि वह इस ओर अपना कदम बढ़ाए और यहां का क्रिकेट को सुचारू रूप से कराये और बिहार क्रिकेट में पटना लीग की जो पहचान उसे लौटाए।
क्रिकेटरों का कहना कि एक छोटे से विवाद के कारण पटना के खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर लगा दिया गया। इस विवाद से कई क्रिकेटरों का भविष्य बर्बाद होता दिख रहा है। उनका कहना है कि एक समय जब बिहार की टीम बनती थी तो सभी वर्गों में पटना जिला के क्रिकेटरों की संख्या अधिक होती थी लेकिन जब से पटना में घरेलू आयोजन (सीनियर व जूनियर डिवीजन लीग) बंद हुआ है यहां के क्रिकेटर पलायन कर दूसरे जिले में जा रहे हैं। यहां से वही क्रिकेटर बिहार टीम में हैं जो पहले से अच्छा खेलते आये हैं या दूसरे राज्यों से एनओसी लेकर आये हैं।
इन क्रिकेटरों का कहना है कि क्रिकेट के वनवास के दौर में हमलोग यहीं जमे रहे और पटना जिला क्रिकेट संघ के साथ-साथ कदम से कदम चले हैं पर जब हमारी बारी आयी तो दूसरे मिठाई खा गए। उन सबों का कहना है कि अगर क्रिकेट लीग होता तो प्रदर्शन के आधार पर टीम बनती और हमलोग भी बेहतर प्रदर्शन कर टीम में जगह बनाने का प्रयास करते।
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