पटना। मैं अबतक बिहार क्रिकेट की भलाई की ही बात की है। अगर किसी से अलग हुआ तो बिहार क्रिकेट के हित के लिए और साथ भी दिया तो बिहार क्रिकेट के अच्छे के लिए। कोई कुछ कहता रहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं अपने मूल उद्देश्य की ओर बढ़ता रहूंगा और मेरा मूल उद्देश्य है बिहार के क्रिकेट को ऊचाईयों पर ले जाना। ये बातें आदित्य वर्मा ने खेलढाबा से विशेष बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि माना बोलनी की आजादी सब को है पर बिना सोचे समझे ऐसी बात नहीं बोल दी जाए जो दूसरे को कड़वी लगे। जरा पीछे मुड़ कर देखें। उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं भारत में क्रिकेट संघ में सुधार दिख रहा वह आदित्य वर्मा की देन है। यह बात मैं घमंड के साथ नहीं कह रहा हूं बल्कि स्वाभिमान के साथ कह रहा हूं। चाहे आईपीएल का मामला हो या बिहार और झारखंड संघ के विवाद का। बिहार में मृत क्रिकेट को मैंने चार जनवरी, 2018 को जान फूंकी। बिहार समेत नौ अन्य राज्यों को पहली बार बीसीसीआई के द्वारा आयोजित प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ लेकिन राज्य विभाजन के पश्चात दूसरी बार नए जीवन मिले हुए बिहार क्रिकेट संघ के आपसी विवाद में एक बार फिर से बिहार क्रिकेट को शर्मसार कर दिया मैं तो केवल लड़ा।
उन्होंने कहा कि मैं गलत कार्यों के लिए हमेशा विरोध किया है। हाल के दिनों में मैंने किसी का साथ देने का वादा क्या किया हंगामा खड़ा हो गया। मैंने साथ ही बिहार के क्रिकेट के विकास के लिए। जब बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए आगे कदम बढ़ाया तो उसमें मैं हामी भरी। उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट के रहनुमा अगर इसी तरह लड़ाई करते रहे तो एक ना एक दिन 2000 वाली स्थिति बिहार क्रिकेट संघ की निश्चित ही हो जाएगी।
आदित्य वर्मा ने कहा कि बीसीसीआई के इतिहास में यह पहला मौका था जब मेरे कंटेंट के डर से 6 महीना के अंदर दो बार विजय हजारे कराया था मामला ऐसा था 4 जनवरी 2018 को मुख्य न्यायधीश ने बीसीसीआई को आदेश दिया था कि बिहार को बीसीसीआई अपने सारे फॉर्मेट में खिलाएगा लेकिन उनका अहंकार देखते 2 दिन बाद ही विजय हजारे का 2018 का शेड्यूल जारी हुआ बिहार का नाम नहीं था मैं अकेला आर्मी तुरंत कंटेंप्ट डाला और देख लीजिए 1 मई 2018 को बीसीसीआई माफी मांगते हुए सितंबर में मात्र 6 महीना के अंदर दोबारा विजय हजारे से बिहार को इंट्री दे दिया। इसीलिए दोस्तों बिहार क्रिकेट की भलाई चाहते तो एकला चलने की नीति को त्याग कर इकट्ठा चलने की नीति अपनाओ। जब राज्य रहेगा तभी कोई राजा बन पायेगा।
साथ ही साथ मैं बीसीसीआई के सचिव जय शाह जी से निवेदन करूंगा बीसीसीआई ऊंचे दर्जे का कोच ट्रेनर बिहार क्रिकेट संघ को आगामी सीजन के लिए मुहैया करा दें क्योंकि बिहार क्रिकेट के खिलाड़ियों के लिए या अत्यंत आवश्यक है।