पटना। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने प्रेस रिलीज जारी कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (गोपाल बोहरा गुट) की कार्यशैली पर तगडा़ हमला करते हुए कहा है कि किस संवैधानिक अधिकार के तहत बीसीए (गोपाल बोहरा गुट) के सीईओ रोजाना मीडिया को बीसीए का कार्य का विवरण दे रहे हैं। चाहे वह चयन समिति का गठन हो या बिहार के अंडर-16 से लेकर सीनियर तक का महिला व पुरुष क्रिकेटरों की सूची नाडा के तहत जांच से संबंधित जानकारी के लिए घोषित हो।
श्री वर्मा ने कहा कि एक ओर बीसीसीआई ने गत 21 अगस्त को क्रिकेट सेंटर, मुंबई के अपने कार्यालय में बीसीए के वर्तमान स्वरूप की कार्यशैली पर 5 अलग-अलग ग्रुप के पदाधिकारी को बुलाकर 5 घंटे तक मैराथन बैठक कर सुना। एक दिन के पश्चात बीसीसीआई के जीएम (ऑपरेशन) सबा करीम पटना पहुॅच कर मैदान, विभिन्न होटलों में घुम-घुम कर देखा और निरीक्षण किया। जो संकेत दे रहा था कि राजस्थान की तर्ज पर बिहार में भी बीसीसीआई जल्द ही कुछ वैकल्पिक व्यवस्था कर बिहार के क्रिकेट को संचालित करने वाली है।
दूसरी ओर बीसीए के सीईओ महोदय के रोजाना के इस कार्य से बिहार क्रिकेट का संचालन किसके हाथों में होगा, उस पर एक रहस्य बना हुआ है। 2 अगस्त एवं 13 अगस्त के सीओए बीसीसीआई के मेल से इतना तो तय हो गया है कि वर्तमान बिहार क्रिकेट संघ दो भागों में विभाजित हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में बीसीसीआई के पास एडहॉक कमेटी के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मान्य बीसीसीआई के संविधान के क्लाउज 3 (a) (II) H के धारा के अंतर्गत कहा गया है कि जिस राज्य में क्रिकेट संघ में डिसप्यूट है वहां पर बीसीसीआई को पूरा अधिकार है कि कोई भी निर्णय ले सकती है। इस स्थिति में बिहार में एडहॉक कमेटी को छोड़ कर कोई दूसरा चारा नहीं है।
विशेष सूत्रों से पता चला है कि सितंबर महीना के दूसरे सप्ताह में बिहार क्रिकेट से संबंधित बीसीसीआई के सीओए की ओर से कोई अहम फैसला आ सकता है।