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Friday, November 22, 2024

BCA के पदाधिकारियों के बीच सियासी दांव-पेंच का दौर जारी, 2 & 3 जनवरी को सीओएम की बैठक

पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ मैदान पर बिहार के क्रिकेटर जीत का स्वाद चखने के लिए बेचैन हैं वहीं मैदान के बाहर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के पदाधिकारी शह-मात खेलने में व्यस्त हैं। यह शह-मात का खेल वर्ष 2020 की याद ताजा नये साल में हो गई है। वर्ष 2020 के पहले महीने में निर्वाचित सचिव संजय सिंह के साथ हुआ था जबकि उन्हें हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी और एक बार निर्वाचित सचिव अमित कुमार को बाहर करने की शुरुआत हो गई है। बीसीए ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उससे यही लगता है कि सचिव का कार्य संयुक्त सचिव को सौंपा जायेगा।

नया मामला है बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सीओएम की बैठक का। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अमित कुमार 30 दिसंबर की बैठक को रद्द करते हुए बीसीए की कमेटी ऑफ मैनेजमैंट की बैठक बुलाई थी।

सचिव के इस निर्णय का जवाब देते हुए बीसीए के अध्यक्ष गुट ने उसके एक दिन पहले दो जनवरी को सीओएम की बैठक रख दी। दो जनवरी को होने वाली बैठक की अधिसूचना बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की वेबसाइट पर डाल दी गई है।

बीसीए की संयुक्त सचिव के हस्ताक्षर से जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि 30 दिसंबर को हुए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की आकस्मिक बैठक में तनाव के माहौल के कारण कुछ विंदुओं पर निर्णय नहीं लिया जा सका। अत: निम्नांकित मुद्दों के ऊपर निर्णय लेने के लिए 2 जनवरी 2023 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शाम के सात बजे से सीओएम की बैठक आहुत की जाती है। इस बैठक में नियुक्ति के संबंध में चर्चा और निर्णय लिया जायेगा। घरेलू मैंचों पर विस्तृत चर्चा और निर्णय होगी। 30 दिसंबर 2022 को सीओएम की बैठक में हुई घटनाओं की समीक्षा की जायेगी और निर्णय लिये जायेंगे। आसन के आदेश से अन्याय विषयों पर चर्चा और निर्णय होंगे।

बिहार क्रिकेट जगत में यह चर्चा है कि चुनाव के समय तो सारे एक थे। सचिव और जिला प्रतिनिधि अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के ही पैनल से निर्विरोध जीत कर आये थे। आखिर ऐसी क्या बात हुई जो अध्यक्ष को सचिव नहीं पसंद और सचिव को अध्यक्ष। क्या इन दोनों की अपनी प्रतिष्ठा बिहार क्रिकेट के हित ज्यादा ऊपर हो गई है। बिहार क्रिकेट जगत में यह सवाल खड़ा किया जा रहा है कि अध्यक्ष और सचिव की लड़ाई में पिछला तीन साल भी बिहार क्रिकेट की गर्त में ले जा चुका है। अकाउंट बंद होने के कारण पैसा नहीं होने का बहाना बना कर क्रिकेट के विकास को ठप कर दिया गया है। कहीं फिर से वही नौबत आने वाली है। बिहार क्रिकेट जगत के जानकारों ने सबों से अपील की है कि आपसी प्रतिष्ठा को छोड़ बिहार क्रिकेट हित की बात सोचें।

 

 

 

 

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