एथलीटों का महासमर यानी ओलंपिक खेल शुरू होने में अभी 69 दिन बचे हैं। ओलंपिक खेलों का आयोजन टोक्यो में हो रहा है। ऐसे तो यह आयोजन पिछले साल यानी 2020 में होना था पर कोरोना महामारी के कारण उस समय इसे स्थगित कर दिया गया। वर्ष 2021 में यह आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त तक होगा। इस आयोजन को लेकर कई तरह की अटकलें अभी जारी हैं। इन अटकलों के बीच आपका अपना खेलढाबा.कॉम आज से ओलंपिक खेलों को लेकर एक सीरीज की शुरुआत कर रहा है जिसमें आपको इसके इतिहास से लेकर वर्तमान की जानकारी दी जायेगी। तो आइए चलिए जानते हैं कि ओलंपिक की शुरुआत कैसे हुई-
ओलंपिक शब्द का जन्म ‘ओलंपिया’ से हुआ है। यूनान के सलोनिया घाटी के पास स्थित है एक खूबसूरत पर्वत माउंट ओलंपस। साल में अक्टूबर से जून तक इसकी चोटी बर्फ से ढकी रहती है। लेकिन बसंत के आगमन के साथ ही इसका ढलान गुलजार हो उठता है। कुदरत का सौंदर्य और शांति का ऐसा नजारा दुनिया में बहुत कम स्थानों पर देखने को मिलता है। प्रकृति की इसी अप्रतिम स्थली ओलंपिका की घाटी में 776 ईसा पूर्व ओलंपिक खेलों के आयोजन का सिलसिला शुरू हुआ।

महादेवी के प्रकोप के डर से राजा इफिटस ने की थी शुरुआत
उस समय के एक भविष्यवक्ता ने महादेवी प्रकोप की आशंका जताई थी। इससे भयभीत होकर स्पार्टा के राजा इफिटस ने एक संधि की। इसी संधि के अनुसार ईस्ट देवता ज्यू को प्रसन्न करने और उनके सम्मान में जुलाई 776 ईसा पूर्व को पूर्णिमा के दिन ओलंपिक खेल की शुरुआत धूमधाम से की गई। तब से 1102 वर्षों तक हर चार साल पर गर्मियों में ओलंपिक का आयोजन किया गया जो 426 ईसवी तक चला।

जैतून की मालाएं या टहनियां इनाम में दी जाती थीं, महिलाओं के प्रवेश पर थी बंदिश
उस समय सोने, चांदी, कांसे के बजाए स्पर्धा जीतने वाले को जैतून की मालाएं या टहनियां इनाम में दी जाती थीं। खेलों में महिलाएं प्रतिभागी नहीं होती थीं। यहां तक की उन्हें खेल स्थलों पर नहीं जाने दिया जाता था। अगर कोई महिला उस आयोजन स्थल की ओर रुख करती थी तो उसे मृत्युंदड दिया जाता था।
शुरुआत में केवल दौड़ फिर बढ़ीं स्पर्धाएं
शुरुआती कुछ खेलों में मात्र दौड़ प्रतियोगिताओं का ही आयोजन किया जाता था। धीरे-धीरे दौड़ौं के अलावा कुश्ती, मुक्केबाजी, रथों की दौड़, पांच खेलों की संयुक्त शारीरिक प्रतियोगिता (पेंटाथलान), कूदना, चक्का फेंक, भाला फेंक, ढ़िढ़ोरा और नरसिंहा बजाने आदि की प्रतियोगिताएं ओलंपिक खेलों में खेलों में शामिल की गईं।
कई दिग्गज लेते थे इसमें हिस्सा
ओलंपिक विजेता का बड़ा सम्मान था। यही कारण था कि सिंकदर महान के पिता फिलिप द्वितीय, प्लेटो और रोम के सम्राट टाइबेरियस एवं नीरो ने भाग लेकर विजय हासिल की थी। ओलंपिक खेलों के दौरान सभी युद्धों को रोक दिया जाता था। 426 ईसवी के लगभग तत्कालीन सम्राट थियोडोसिस ने मिलान से ओलंपिक खेलों की समाप्ति का आदेश दिया था। तब से इन खेलों का आयोजन बंद हो गया परंतु इन खेलों की कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण इन्हें मान्यता नहीं दी जाती है।

आधुनिक ओलंपिक के जनक हैं पियरे द कुबर्टिन
फ्रांस के शिक्षाशास्त्री पियरे द कुबर्टिन ओलंपिक के इन पुरानी कथानों से काफी प्रभावित थे। ग्रीस (यूनान) के एथेंस में वर्ष 1896 में हुए पहले ओलंपिक को शुरू करने का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है। 1863 में जन्मे कुबर्टिन को ही आधुनिक ओलंपिक का जनक माना जाता है। उनका मानना था कि खेल एक ऐसा माध्यम है जिससे विश्व के देशों के बीच शांति सौहार्द बढ़ता है। जीवन की महत्वपूर्ण चीज जीत नहीं बल्कि संघर्ष है और अत्यावश्वयक बात विजय नहीं, अच्छी तरह द्वंद्व करना है। इनके ये वाक्य ओलंपिक खेलों के सार बन गए हैं। ओलंपिक खेलों के आयोजन का अधिकार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति किसी शहर को देती है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के लीरोन शहर में है।
कल पढ़ें पहले आधुनिक ओलंपिक खेल-1896 की कहानी…