पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में क्रिकेट के मैदान पर जो गतिविधियां चलती हैं तो ठीक है पर मैदान के बाहर भी काफी कुछ होता है। यहां सबकुछ ठीक-ठाक चल जाए यह संभव नहीं दिखता है। ताजा मामला पटना उच्च न्यायालय के आदेश के अवमानना का है। कटिहार जिला क्रिकेट संघ के सचिव रितेश कुमार ने पटना हाई कोर्ट में दायर CWJC 4868/2020 में आई ए दाखिल कर बीसीए के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, लोकपाल श्रीमती नीलू अग्रवाल और ईथिक ऑफिसर पर 6 मार्च 2020 को दिए गए आदेश के अवमानना का मामला दायर किया है।
6 मार्च को दिए आदेश में बीसीए के लोकपाल और ईथिक आफिसर के कार्य पर रोक लगा दी गई थी, मगर इस आदेश का अवमानना करते हुए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने विशेष आदेश जारी कर लोकपाल को नौ लाख रुपये का भुगतान करवाया। पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश और लोकपाल मिसेज नीलू अग्रवाल ने पटना उच्च न्यायालय के कार्य पर रोक के आदेश के बावजूद 16 मई को राघवेंद्र प्रसाद सिंह को ईथिक आफिसर का चार्ज दे दिया। ईथिक आफिसर के रूप में चार्ज लेने वाले अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेंद्र प्रसाद सिंह को भी बीसीए सचिव संजय कुमार ने एक मामले में जवाब देते हुए पटना उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत कराया।
इन्हीं मामलों को लेकर रितेश कुमार सचिव कटिहार जिला क्रिकेट संघ के द्वारा अध्यक्ष, लोकपाल और ईथिक आफिसर पर पटना उच्च न्यायालय के अवमानना का मामला दायर किया है।
बीसीए अध्यक्ष के द्वारा किए जा रहे हैं असंवैधानिक कार्यों से बीसीए की स्थिति दिनानुदिन खराब होती जा रही है, सभी जिलों के योग्य प्रतिनिधियों को दवाब में रखा जा रहा है। अध्यक्ष के उपर गलत कागजात के आधार पर बीसीए का चुनाव लड़ने, मिनट्स में बदलाव कर लोकपाल की नियुक्ति करने तथा बीसीए संविधान का उल्लंघन करने के कई मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित है। बिहार विधान परिषद् से भी अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के द्वारा गलत कागजात के आधार पर बीसीए का चुनाव लड़ने को लेकर निगरानी विभाग से जांच कराने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है।
