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एक प्रोफेसर जिसने क्लास रूम से ओलिंपिक तक पढ़ाया पाठ

by Khel Dhaba
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शैलेंद्र कुमार
पटना।
प्रोफेसर, प्रॉक्टर, रजिस्टार, खेल महाकुंभ ओलंपिक में टीम इंडिया का मैनेजर, साथ ही बैंकिंग लोकपाल भी। इन पदनामों की जानकारी आपको नहीं गिनाई या बतायी जा रही हैं बल्कि इन सारे पदों पर एक ही शख्स ने सुशोभित किया है। बचपन से ही खेलो में रूचि थी तो वहीं पढाई लिखाई में हमेशा अव्वल रहे। स्कूल से लेकर कॉलेज लाइफ तक एथलेटिक्स, टेनिस, बैडमिंटन और वॉलीबॉल में खूब हाथ आजमाया पर टेनिस से ज्यादा प्यार हो गया। खिलाड़ी के रूप में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया। अपने कैरियर की शुरुआत कालेज में अध्यापन कार्य से किया। टेनिस से गहरे लगाव के कारण ही बाद के दिनों में इस संघ के एडमिनिस्ट्रेटर भी बने और अभी तक इस पद पर कायम हैं। एक अध्यापक होने से ज्यादा प्रसिद्धि इन्हें खेलकूद व अन्य गतिविधियों में शामिल होने के कारण मिली। यह हस्ती हैं डॉ अखौरी भुवनेश्वर प्रसाद। तो आइए जानते हैं इनके बारे में-


बिहार के भागलपुर जिला के सुल्तानगंज के जमींदार घराने में जन्मे प्रो अखौरी भुवनेश्वर प्रसाद के पिता स्व. अखौरी परमेश्वर प्रसाद बिहार सरकार के सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता थे। यह उस समय की बात थी, जब पूरे बिहार में मात्र एक मुख्य अभियंता हुआ करता था।
इनकी आरंभ की स्कूली शिक्षा नवादा के आंती स्कूल में हुई। सातवीं तक पढ़ने के बाद राजधानी के प्रतिष्ठित पटना हाई स्कूल गर्दनीबाग में प्रवेश लिया। इसी स्कूल से 1953 में मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। आगे की पढ़ाई इन्होंने सायंस कॉलेज में की। वर्ष 1959 में पटना विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान (जूलॉजी) में एमएससी की परीक्षा उर्तीण होने के उपरान्त सायंस कॉलेज में व्याख्याता के पद पर नियुक्त हो गये थे। यहां वे कम ही समय रहे और उसके बाद बीएन कॉलेज चले आये।

उस समय में शिक्षाविद् खेलकूद व खिलाड़ी की इज्जत करते थे। पटना विश्वविद्यालय में शिक्षाविदों के कारण ही खेलकूद में अलग पहचान रखता था। स्व. मोइनुल हक साहब, स्व. महेन्द्र प्रताप, स्व. डॉ जी.पी. सिन्हा, स्व. डा. ए. के. गांगुली, स्व. प्रो. पी.एन. शर्मा के अलावे स्व. डा. प्रेम कुमार प्रमुख रहे जिन्होंने पटना विश्वविद्यालय को खेलकूद में काफी आगे तक बढ़ाया।


सायंस कॉलेज में खेल का माहौल था। डॉ अखौरी भुवनेश्वर प्रसाद ने एथलेटिक्स, बैंडमिंटन, वॉलीबॉल और टेनिस स्पर्धाओं में सायंस कॉलेज का प्रतिनिधित्व किया।

सायंस कॉलेज में व्याख्याता बनते ही उनके खेल तकनीक के पारखी अंग्रेजी के विद्वान प्रो. देवी दास चटर्जी ने युवा अखौरी बाबू को टेनिस का अभ्यास कराना शुरू कर दिया। चटर्जी के साथ-साथ स्व. प्रो. एस.एन. दास, स्व. तिलक राज भाटिया, स्व. जे.एन. चटर्जी, स्व. आर.के. शरण, स्व. जैकब कुरियन के साथ-साथ युवा अखौरी बाबू के खेल में निखार आ गया। अच्छी सर्विस के साथ-साथ बैंक हैंड, फोर हैंड शॉटस के अखौरी बाबू उस्ताद बन गये। इनके ही कारण सायंस कॉलेज के मेन ग्राउंड के उत्तरी छोर पर ग्रास कोर्ट का निर्माण हुआ था। नियमित अभ्यास और टेनिस के प्रति समर्पण भावना होने के कारण अखौरी बाबू की शोहरत बिहार में फैल गयी।


इनका चयन राष्ट्रीय सीनियर टेनिस चैम्पिनशिप में भाग लेने वाली बिहार टीम में हो गया। 1972 से 1980 तक लगातार बिहार का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान ये बिहार टेनिस टीम का नेतृत्व भी किया। समर्पण, लगन और समय के पाबंद प्रो. अखौरी बाबू एक खेलप्रेमी शिक्षक के रूप में लोकप्रिय होते चले गये। ये पटना जिला क्रिकेट संघ के सचिव भी बने। लेकिन पीडीसीए की वोट राजनीति इन्हें रास नहीं आयी और वहां से इन्होंने नाता तोड़ लिया।

बिहार में टेनिस के विकास हेतु कार्य पूरी तन्मयता के साथ करने लगे। इसका परिणाम हुआ कि 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में भाग लेने वाली भारतीय टेनिस टीम को मैनेजर सह नॉन प्लेइंग कप्तान नियुक्त किया गया। स्मरण हो कि विश्व का एकमात्र खेल टेनिस ही है जहां नॉन प्लेइंग कप्तान का प्रावधान है। ओलंपिक में किसी भी हैसियत से भाग लेना गर्व की बात है। बिहार के कुछ ही खेल हस्तियां हुई हैं, जिन्हें ओलंपिक खेल गांव का दीदार करने का मौका मिला है।


अनुशासन प्रिय डा. अखौरी बी. प्रसाद ने नियमों एवं सिद्घांतों के नहीं तोडऩे वाले इंसान के रूप में छवि बनायी है। ये जिस पद पर रहे, उसके साथ न्याय किया। पटना विश्वविद्यालय के प्राक्टर, रजिस्ट्रार के पद को भी सुशोभित किया। 1998 में सेवानिवृत हो गये। अध्यापन कार्य से मुक्त जरूर हुए लेकिन अन्य गतिविधियों से जुड़े रहे। 1988 में ऑल इंडिया लॉन टेनिस एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य बने थे। टेनिस ने इन्हें विश्व के अधिकांश देशों का भ्रमण कराया।

इनको सभी खेलों से प्रेम है। इसलिए अखौरी बाबू को लोग काफी सम्मान की नजर से देखते हैं। अखौरी बाबू के कारण ही पाटलिपुत्र कॉलोनी में लॉन टेनिस कोर्ट का निर्माण हुआ है। इस कोर्ट पर हर साल ऑल इंडिया टेनिस टूर्नामेंट में प्रतिभावान खिलाडिय़ों का जमघट लगता है। डा. राजेन्द्र प्रसाद ऑल इंडिया लॉन टेनिस टूर्नामेंट समेत कई ऑल इंडिया रैंकिंग व टैलेंट सर्च टूर्नामेंट यहां आयोजित होते हैं। बिहार में टेनिस जहां और जैसी स्थिति में है, इसका श्रेय बिहार लॉन टेनिस संघ के सचिव प्रो. डा. अखौरी भुवनेश्वर प्रसाद को जाता है।


डा. अखौरी बी. प्रसाद की कर्मठता अनुभव और प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए भारत सरकार ने बिहार-झारखंड का बैंकिंग लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था।

85 वर्ष की उम्र में भी सामाजिक जवाबदेही नहीं भूले हैं। सोशल क्लब कदमकुआं के सचिव नलीन दयाल के अनुरोध पर यहां होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेते रहते हैं। उम्र ज्यादा होने के कारण अब थोड़ा झुके नजर आते हैं। उनके आगमन मात्र से ही आयोजन की रौनक बढ़ जाती है।


इन्हें देखने से नहीं लगता वे विंबलडन, अमरिकी ओपन, ओलंपिक खेल गांव, एशियाड का हिस्सा बन चुके हैं। रमेश कृष्णन, लिएंडर पेस जैसे धुरंधर टेनिस खिलाड़ी उनके अनुशासन के मुरीद थे। उनके चेहरे पर आज भी वही चमक कायम है। उन्हें जवानी से लेकर आज इस उम्र के पड़ाव पर देखने वाले लोग यही कहते हैं डा. अखौरी बिहार के देवानंद हैं।

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