पटना, 24 मई। कम उम्र में बिहार के लाल वैभव सूर्यवंशी ने धमाल क्या मचाया, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के जिला यूनिटों में ऐसे खिलाड़ियों को निकालने की होड़ मच गई पर तरीका गलत है जो न जिला यूनिटों के सेहत के लिए ठीक है और न ही खिलाड़ियों के लिए। जिला यूनिट तरीके को लेकर आपस में भिड़ चुके हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। मामला है श्यामल सिन्हा मेंस अंडर-16 वनडे ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का।
क्या है आरोप-प्रत्यारोप
बहुत सारे जिला यूनिट का कहना है कि कुछ जिला संघ अधिक उम्र के खिलाड़ियों की उम्र सीमा को कम कर अपने जिला से प्रतिनिधित्व करा रहे हैं। इन जिला संघों का एक मात्र उद्देश्य है चैंपियन बनना पर आगे चल कर जब बीसीसीआई का मेडिकल टेस्ट होता है तो इनके खिलाड़ी फिसड्डी नजर आते हैं। पटना और नालंदा जिला द्वारा अरवल जिला के कुछ खिलाड़ियों को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में शिकायत की गई है जिसमें कहा गया है कि अरवल जिला के ये खिलाड़ी दिखने में कहीं से अंडर-16 प्लेयर नहीं लगते हैं। इस पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को सोचना चाहिए। जिन जिलों पर अधिक उम्र के खिलाड़ियों को खिलाने का आरोप लग रहा है उनका कहना है कि हम तो बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के नियमानुसार ही चल रहे हैं। अगर उसमें कोई गलती है तो बताएं।
मामला केवल अरवल जिला का ही नहीं है। सोशल मीडिया पर कई अन्य जिला की टीमों का फोटो वायरल है जिसमें दिख रहे खिलाड़ियों में से कई अंडर-16 से ओवर दिखने में लगते हैं पर कुछ नहीं किया जा सकता है। खबर तो यह भी है कि जो खिलाड़ी पिछले वर्ष बीसीसीआई के मेडिकल टेस्ट में इस वर्ष अंडर-16 खेलने की योग्यता नहीं रखते हैं वो भी आधार कार्ड की उम्र सीमा के अनुसार इस वर्ष खेल रहे हैं।
बीसीए भी है वेबस
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन इस मामले को लेकर कई बार निर्देश जारी कर चुका है पर वह भी वेबस है क्योंकि खिलाड़ी बीसीए के नियमों पर खरे उतर रहे हैं। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन उनसे आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र मांगता है जिसके अनुसार खिलाड़ी सही रहते हैं। जब आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार खिलाड़ी अंडर-16 हैं तो बीसीए भी क्या कर सकता है।

यह बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा पिछले सत्र में अंडर-16 को लेकर जारी रिपोर्ट है जिसमें साफ लिखा हुआ है कि इस वर्ष के कौन योग्य और अगले वर्ष अयोग्य हो जायेंगे। इस रिपोर्ट की अनदेखी कर कोई खिलाड़ी अगर इस सत्र में खेल रहे हैं तो गलत हो रहा है। अगर जिला यूनिट भी उसमें अगर उसकी मदद कर रहे हैं तो उनसे बड़ी गलती कर रहे हैं। जो वर्तमान सत्र के लिए अयोग्य घोषित हो चुके हैं वो कितना भी बेहतर प्रदर्शन कर लें पर बिहार टीम में उनको जगह मिलनी मुश्किल हो जायेगी।
बीसीए का आगे का क्या है प्लान
जिला यूनिटों से मिल रही शिकायतों को लेकर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन भी चिंतित है। खबर है कि आने वाले दिनों में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट कराने के पहले सभी जिला यूनिट के खिलाड़ियों को मेडिकल टेस्ट कराने को कहेगा। इस मेडिकल टेस्ट का खर्चा कौन वहन करेगा यह पता नहीं।
क्या कहना है क्रिकेट जानकारों का
क्रिकेट जानकारों का कहना है कि अगर सही से जांच हो तो हर जिला में कुछ न कुछ गड़बड़ मिल जायेगा। उनका कहना है कि मेडिकल टेस्ट तो बाद की चीज है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन अंडर-16 आयु वर्ग में खेलने वाले खिलाड़ियों के आधार कार्ड की हिस्ट्री जांच करने की अगर कोई व्यवस्था कर ले तो इसका हल निकल सकता है। साथ ही इस दौरान उम्र सीमा से छेड़छाड़ करने वाले खिलाड़ियों पर कड़ा प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था हो तो आगे जिला यूनिट से लेकर खिलाड़ी भी गलत करने से पहले सोचेंगे।

