पटना। बिहार सरकार के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सं0-BS’3-10970/2001-687, पटना, दिनांक-25.07.22 के आदेश जो कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के संविधान में किये गए संशोधन के अभिलेखन से संबंधित है इसमें बिहार सरकार द्वारा ऐसा क्या कर दिया गया कि बीसीए में एकाएक भूचाल आ गया है। एक ओर बीसीए के पदाधिकारी सोशल मीडिया पर बीसीए के संविधान में संशोधन होने जाने पर जश्न मनाते दिख रहे हैं और बीसीए से जुड़े कई वर्तमान और पूर्व पदाधिकारी बगले झांकते हुए विरोध के स्वर प्रकट करते दिख रहे हैं।
विभागीय आदेश के बाद बीसीए के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारी में मानो पूरी तरह ठन गई है। बिहार क्रिकेट जगत में यह चर्चा आम हो गई है कि आखिर निबंधन विभाग ने बीसीए के किस संविधान को अभिलेखित कर दिया है।
बीसीए के पूर्व कमेटी वाले तत्कालीन अध्यक्ष गोपाल बोहरा, सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह तथा कोषाध्यक्ष आनंद कुमार द्वारा संयुक्त हस्ताक्षर से निबंधन विभाग के समक्ष वर्ष 2018 में बीसीए के संविधान को माननीय सु्प्रीम कोर्ट तथा बीसीसीआई तत्कालीन सीओए विनोद राय के आदेश के बाद अभिलेखन हेतू समर्पित किया गया था।
वहीं दूसरी ओर बीसीए के वर्तमान कमेटी के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के नेतृत्व वाली कमेटी ने नये सिरे से बीसीए के संविधान में संशोधन करने हेतू अभिलेख निबंधन विभाग के समक्ष समर्पित कराया गया। उनकी ओर से तत्कालीन संयुक्त सचिव सह कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद द्वारा बीसीए के नये संविधान के संशोधन हेतू अभिलेख जमा कराया
इसके बाद कुमार अरविंद ने राज्य स्तर के माननीय विद्वान अधिवक्ताओं की राय के बाद निबंधन विभाग में संशोधन के लिए उनके (कुमार अरविंद) द्वारा जमा कराये गए बीसीए के संविधान का अभिलेखन नहीं करने का आग्रह पत्र भेजकर किया गया था जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना से बचने की सलाह निबंधन विभाग को दी गई थी। कुमार अरविंद द्वारा निबंधन विभाग को अपने पत्र में कहा गया था कि बीसीए के पूर्व कार्यकारिणी के अध्यक्ष गोपाल बोहरा द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जो संविधान समर्पित है, जिसको सीओए द्वारा अप्रूवड किया गया, जिसके अनुसार विभिन्न स्तर के न्यायालयों में बीसीए से जुड़े फैसले सुनाए जाते हैं। श्री कुमार अरविंद द्वारा सीधे तौर पर बीसीए के तत्कालीन अध्यक्ष गोपाल बोहरा, सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह तथा कोषाध्यक्ष आनंद कुमार के संयुक्त हस्ताक्षर से निबंधन विभाग को समर्पित बीसीए के संविधान में संशोधन के लिए अभिलेखित करने का आग्रह किया गया था।
इस संबंध में कुछ दिन पूर्व निबंधन विभाग द्वारा बीसीए के संविधान में संशोधन के अभिलेखन के लिए एक सुनवाई बैठक बुलाई गई थी जिसमें संबंधित लोगों ने हिस्सा लिया था और अपने-अपने पक्ष रखे थे। इस सुनवाई बैठक में पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र निबंधन विभाग द्वारा अपना पक्ष रखने के लिए पत्र भेजकर आमंत्रित किया गया था। श्री मिश्र द्वारा भी गोपाल बोहरा के नेतृत्व वाली पूर्व कमेटी द्वारा प्रस्तुत बीसीए के संविधान में संशोधन के अभिलेखन के समर्थन में सैंकड़ो पेज से ऊपर के साक्ष्य प्रस्तुत कर विभाग से इनके (गोपाल बोहरा के नेतृत्ववाली तत्कालीन बीसीए) वाले ही बीसीए के संविधान में संशोधन का अभिलेखन पर अपनी मुहर लगाई थी, लेकिन निबंधन विभाग के संबंधित आदेश के निकलने के बाद से बिहार क्रिकेट जगत में यह संस्पेस है कि निबंधन विभाग ने दोनों में से बीसीए के किस संविधान पर विभागीय मुहर लगाई है।
बिहार क्रिकेट का पारा दिनों दिन चढ़ते जा रहा है और मोबाइल की घंटियां तेजी से बजते जा रही है लेकिन कोई जमीनी हकीकत बताने में अभी तक कामयाब नहीं हो पाया है। अब देखना है कि कब इस संस्पेस से पर्दा हटता है।