देहरादून। आखिरकार 19 साल के इंतजार के बाद उत्तराखंड का सपना पूरा हो ही गया। उत्तराखंड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) की पूर्ण मान्यता मिल गई है। इसी के साथ ’13 अगस्त 2019′ उत्तराखंड क्रिकेट के सुनहरे पन्नों में भी दर्ज हो गया।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से चयनित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने मंगलवार को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) को बीसीसीआइ से पूर्ण मान्यता दे दी। अब खिलाड़ियों के साथ-साथ राज्य का नाम भी अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकता नजर आएगा। बीसीसीआई के इस निर्णय से राज्य का हर क्रिकेट खिलाड़ी गदगद है।
उत्तराखंड के हर एक क्रिकेट प्रेमी के लिए भी यह क्षण किसी सपने के पूरा होने जैसा है। जो कार्य बीसीसीआई पिछले 19 सालों में नहीं कर पाई, सीओए ने उसे महज एक साल के अंतराल में कर दिखाया। इसमें सूबे के खेल मंत्री अरविंद पांडे का भी अहम योगदान रहा। उनकी विशेष सक्रियता और सूझबूझ के चलते उत्तराखंड की मान्यता की राह आसान हो गई। राज्य की चारों एसोसिएशन के बीच चल रहे आपसी खींचतान के चलते राज्य के खिलाडिय़ों को इस दिन को देखने के लिए 19 साल का इंतजार करना पड़ा। हालांकि, अब मान्यता मिलने से राज्य के खिलाड़ियों के पलायन पर पूर्ण विराम लगेगा। क्योंकि पिछले 19 सालों में उत्तराखंड ने महेंद्र सिंह धौनी, मनीष पांडे, ऋषभ पंत, उनमुक्त चंद समेत अन्य उदीयमान प्रतिभाएं मान्यता न होने के चलते खोई हैं।
खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि ये दिन उत्तराखंड क्रिकेट के लिए बेहद खुशी का दिन है। मैंने बीसीसीआई में किसी एसोसिएशन की पैरवी नहीं की। मैंने सिर्फ राज्य के खिलाड़ियों की पैरवी की है। मैं इसके लिए राज्य के हर एक खिलाड़ी को बधाई देता हूं। मैं बीसीसीआई को धन्यवाद देता हूं और खुद दिल्ली जाकर सीओए अध्यक्ष विनोद राय का आभार प्रकट करूंगा।
क्रिकेट एसो. ऑफ उत्तराखंड के सचिव पीसी वर्मा का कहना है कि मैंने अपना पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित किया है। अपने जीवन में क्रिकेट के अलावा कुछ नहीं कमाया। आज मेरी दिली इच्छा पूरी हो गई। अब मेरे राज्य के किसी भी खिलाड़ी को क्रिकेट खेलने के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इसके लिए मैं बीसीसीआई, प्रशासकों की समिति को विशेष धन्यवाद करता हूं।