Friday, April 18, 2025
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Asian Games के लिए इस महिला हॉकी खिलाड़ी ने अपना हनीमून छोड़ा

by Khel Dhaba
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नई दिल्ली, 15 सितंबर। पेरिस ओलंपिक को लक्ष्य बनाने वाली भारतीय महिला हॉकी कप्तान सविता पूनिया अप्रैल में शादी के बाद पांचवें दिन ही शिविर में लौट आई थी, हनीमून पर नहीं गई और अलग टाइम जोन होने के कारण विदेश में बसे अपने पति से फोन पर भी अब कम बात हो पाती है।

टोक्यो ओलंपिक 2020 में चौथे स्थान पर रहकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की अनुभवी गोलकीपर सविता का लक्ष्य पेरिस में अगले साल पदक की कमी को पूरा करने का है और इसके लिए वह कोई कुर्बानी देने से पीछे नहीं हट रहीं।

सविता ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा कि मैं टोक्यो की कमी को पेरिस में पूरा करना चाहती हूं। इस साल पांच अप्रैल को मेरी शादी हुई थी लेकिन उसके बाद से सात दिन ही पति के साथ रही हूं। हम हनीमून तक नहीं गए हैं और अब ओलंपिक के बाद ही सोच सकते हैं।

उन्होंने कहा कि शादी के पांच दिन बाद ही मैं कैंप में आ गई थी। दिसंबर में जाने की सोच रही हूं लेकिन प्रो लीग या कोई और टूर्नामेंट हुआ तो नहीं जा सकूंगी। सविता के पति अंकित बलहारा सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के साथ संगीतकार भी हैं और बॉलीवुड की कई फिल्मों में बैकग्राउड स्कोर दे चुके हैं। मूल रूप से रोहतक के रहने वाले अंकित का परिवार कनाडा के वेंकूवर में बसा है।

भारतीय कप्तान ने कहा कि मैं सुबह जल्दी उठती हूं। मेरे पति वेंकूवर में हैं और हमारे टाइम जोन अलग है लेकिन मैं साढे दस बजे फोन बंद कर देती हूं। मैने उनसे कहा है कि मैं बात करने की जिद भी करूं तो आप याद दिलाओगे कि फोन बंद करना है क्योंकि अगले दिन सुबह प्रैक्टिस है। कई बार बहुत बातें करने का मन करता है लेकिन खुद से वादा किया है कि खेलों तक स्क्रीन टाइम बिल्कुल कम रखना है।

सविता ने कहा कि हमारी अरेंज मैरिज हुई थी और मेरी सास (मुक्ता चौधरी) ने ही मुझे पसंद किया था जो खुद तीन बार हरियाणा में प्रदेश स्तर पर चैम्पियन एथलीट रह चुकी हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में हमारे सारे मैच देखें और वहीं मुझे पसंद करके बात आगे बढ़ाई थी। अपनी सास को अपनी प्रेरणास्रोत बताते हुए सविता ने कहा कि उनका मानना है कि जिस मुकाम तक पहुंचने के लिये अब तक इतनी मेहनत की, शादी की वजह से उस पर असर नहीं पड़ना चाहिये। ससुराल का पूरा सहयोग है वरना मेरे लिये मुश्किल हो जाती।

भारत के लिये करीब 200 मैच खेल चुकी इस अनुभवी गोलकीपर ने कहा कि बतौर खिलाड़ी मेरी सास के सपने अधूरे रह गए और वह नहीं चाहती कि मेरे साथ ऐसा कुछ हो। मुझसे ज्यादा उत्साहित वहीं हैं एशियाई खेलों को लेकर। हरियाणा के सिरसा में जन्मी सविता ने 2011 में सीनियर टीम के लिये अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया। इंचियोन (2014) में कांस्य और जकार्ता (2018) एशियाई खेलों में रजत जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं।

सविता ने 36 साल बाद भारतीय टीम के रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने में भी अहम भूमिका निभाई। एशिया कप 2018 में चीन के खिलाफ पेनाल्टी शूटआउट में निर्णायक पेनाल्टी बचाकर भारत को उन्होंने विश्व कप में जगह दिलाई थी।

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