नई दिल्ली, 19 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान के मसौदे को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी। अदालत ने फुटबॉल संस्था को निर्देश दिया कि वह इस मसौदे को चार सप्ताह के भीतर आम सभा में अपनाए। यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव द्वारा तैयार किया गया है।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एआईएफएफ की मौजूदा कार्यकारी समिति को मान्यता देते हुए कहा कि अध्यक्ष कल्याण चौबे की अध्यक्षता में बनी समिति को फिर से चुनाव कराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इनका कार्यकाल केवल एक वर्ष बचा है।
संविधान मसौदे की मुख्य बातें
►किसी व्यक्ति को अपने जीवनकाल में अधिकतम 12 वर्ष तक पद पर बने रहने की अनुमति होगी।
►एक पदाधिकारी अधिकतम दो बार चार-चार साल का कार्यकाल पूरा कर सकेगा।
►लगातार आठ वर्ष तक पद पर रहने के बाद चार साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड लागू होगा।
►70 वर्ष से अधिक आयु प्राप्त करने वाला व्यक्ति संगठन का सदस्य नहीं रह सकेगा।
►कार्यकारी समिति में कुल 14 सदस्य होंगे— जिनमें एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष (एक पुरुष और एक महिला), एक कोषाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य शामिल होंगे।
►10 सदस्यों में से 5 पूर्व खिलाड़ी होंगे, जिनमें कम से कम दो महिला खिलाड़ी होंगी।
►संविधान में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए अध्यक्ष और पदाधिकारियों को हटाने का प्रावधान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
अदालत ने 30 अप्रैल को न्यायमूर्ति राव के मसौदे पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार, राहुल मेहरा और न्यायमित्र गोपाल शंकरनारायणन सहित कई पक्षकारों की आपत्तियाँ और सुझाव सुने गए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि मसौदा संविधान में किए गए बदलाव राज्य फुटबॉल संघों और पूर्व खिलाड़ियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं।