नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से संबंधित मामले में सहायता के लिये न्यायमित्र नियुक्त किया और पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान में संशोधन की क्रिकेट संस्था की याचिका की सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय की। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि पहले जो न्यायमित्र थे, उन्हें अब उच्चतम न्यायालय का जज बना दिया गया है। पीठ ने बीसीसीआई की याचिका की सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय करते हुए कहा, ‘‘हम वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह को पी एस नरसिम्हा (अब न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा) की जगह न्यायमित्र नियुक्त करेंगे। ’’
बीसीसीआई अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान को संशोधित करने की स्वीकृति मांग रहा है जिसमें उसके अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह भी शामिल हैं।
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में पदाधिकारियों के लिए अनिवार्य ब्रेक के समय को खत्म करने की स्वीकृति देने की मांग की है जिससे गांगुली और शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अपने पदों पर बने रह पाएंगे।
इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अगुआई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधारवादी कदम उठाने की सिफारिश की थी जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था।
सिफारिशों के अनुसार राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई के स्तर पर छह साल के कार्यकाल के बाद पदाधिकारियों को तीन साल के ब्रेक से गुजरना होगा।
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में अपने पदाधिकारियों के लिए ब्रेक के समय को खत्म करने की स्वीकृति देने की मांग की है जिससे कि बीसीसीआई अध्यक्ष गांगुली और सचिव शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अपने पदों पर बने रह पाएंगे।
उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत बीसीसीआई के संविधान के अनुसार अगर कोई पदाधिकारी राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई में तीन साल के लगातार दो कार्यकाल पूरे करता है तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक लेना होगा। गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ जबकि शाह गुजरात क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे।