रांची, 16 अक्टूबर। रांची एक बार फिर एथलेटिक्स जगत का केंद्र बनने जा रहा है। शहर पूरी तैयारी के साथ चौथी साउथ एशियन सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 की मेजबानी करेगा, जो 24 से 26 अक्टूबर तक अत्याधुनिक बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम, रांची में आयोजित होगी।
इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और मालदीव के लगभग 300 शीर्ष एथलीट भाग लेंगे। तीन दिनों तक चलने वाले इस एथलेटिक्स महोत्सव में खिलाड़ी 12 ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं में 37 स्वर्ण पदकों के लिए दमखम दिखाएंगे।
भारत तीसरी बार इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले यह चैंपियनशिप 1997 और 2008 में भारत में सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी है। इस आयोजन की वापसी देश की एथलेटिक्स में बढ़ती नेतृत्व क्षमता और क्षेत्रीय खेल सहयोग को और सशक्त बनाती है।
झारखंड के लिए यह आयोजन गर्व का क्षण है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य ने खेल संस्कृति को प्रोत्साहन देने, जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने और विश्वस्तरीय खेल अधोसंरचना विकसित करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह आयोजन राज्य सरकार के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जिसके तहत झारखंड को खेल उत्कृष्टता का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
झारखंड सरकार और एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में इस आयोजन के लिए उच्च स्तरीय प्रबंध किए जा रहे हैं। अत्याधुनिक सुविधाएँ, उत्कृष्ट व्यवस्था और खिलाड़ियों व दर्शकों को यादगार अनुभव देने के लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।
हाल के वर्षों में रांची भारत के प्रमुख एथलेटिक्स स्थलों में उभरा है। यहाँ हाल ही में आयोजित प्रमुख राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल हैं-इंडियन ओपन रेस वॉकिंग प्रतियोगिता (2023), नेशनल इंटर-स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप (2023), ईस्ट जोन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप, और 64वीं नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप। इन आयोजनों ने रांची को एक विश्वसनीय और पसंदीदा एथलेटिक्स गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।
अब जब साउथ एशियन सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, पूरे दक्षिण एशिया की निगाहें रांची पर टिकी हैं। यहाँ क्षेत्र के श्रेष्ठ एथलीट एक मंच पर उतरेंगे-एकता, उत्कृष्टता और खेल भावना के प्रतीक बनकर।
बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम में आयोजित यह चैंपियनशिप न केवल खेल का उत्सव होगी, बल्कि यह दक्षिण एशियाई देशों के बीच मजबूत संबंधों, सांस्कृतिक एकता और युवा ऊर्जा के उत्साह का भी प्रतीक बनेगी।