Monday, October 20, 2025
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तो क्या ! समर्थन के बहाने बीसीए अध्यक्ष की कब्र खोद रहें है आदित्या वर्मा: ज्ञानेश्वर

by Khel Dhaba
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पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के साथ आदित्या वर्मा की नूरा कुश्ती जग जाहिर है। यह व्यक्ति कब किस डाल को पकड़कर कर उसे तोड़ देगा, उसकी मजबूती को हिला देगा, इसकी भविष्यवाणी करना किसी भी पंडित के वश में नहीं है।

सामान्य तौर पर नितांत मजबूर और अपने बेटे के भविष्य के लिए चिंतित दिखने वाला आदित्य वर्मा की हकीकत यह नहीं है। यह मिशन मोड में काम करने वाला एक जूनूनी व्यक्ति है, जिसे केवल अपना मूल लक्ष्य दिखता है, और वह लक्ष्य है बीसीए की बर्बादी, बदनामी, और बीसीए के जगह खुद के क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार को बिहार में क्रिकेट संचालन के लिए बीसीसीआई से मान्यता दिलवाना। यही अंतिम सत्य है इस व्यक्ति के जीवन का, चाहे इसके लिए खुद इसे बेईज्जत होना पड़े, बेटे के नाम का सहारा लेना पड़े या फिर बीसीए से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप जुड़े लोगों का इमोशनल उपयोग करना पड़े।

अपने इस मिशन को पूरा करने के लिए यह व्यक्ति किसी हद तक जा सकता है। वर्तमान में यह व्यक्ति बीसीए अध्यक्ष के पक्ष में विडियो जारी कर बीसीए से जुड़े जिला संघों से अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी को मदद करने कि अपील करता है। जबकि यह व्यक्ति खुद जानता है की मेरे कहने से जो भी लोग अध्यक्ष के साथ हैं उनमे एक ज्वार पैदा होगा और वो अध्यक्ष का विरोध करने लगेंगे। क्योकि यह एक स्थापित सत्य है कि भारत में होने वाले चुनाव में पाकिस्तान के हुक्मरान समर्थन करने के लिए अपील नहीं कर सकते हैं, और अगर करेंगे तो उस दल का क्या होगा, यह सर्वविदित है।

इस पूरे खेल को समझने के लिए इस व्यक्ति के द्वारा किए गए अब तक के कारनामों पर गंभीरता से नज़र डालने की जरूरत है।

ललित मोदी, एन श्रीनिवाशन, सुबोध कान्त सहाय आदि अनेक हस्तियों का समयानुकुल उपयोग कर इस व्यक्ति ने बीसीसीआई के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस में खुद को पिटीशनर के रूप में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की और चल पड़ा अपने मिशन की ओर। यह सच है कि लखन राजा एक स्थापित क्रिकेटर बन सकता था, और यह भी सच है कि लखन राजा एक क्रिकेटर है, लेकिन इस व्यक्ति ने उसके क्रिकेट को अपनी राजनीति का हथियार बनाया और समय समय पर उस उस हथियार का प्रयोग करता रहा। वर्ष 2018 चार जनवरी, इस तिथि को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के इस काल खंड के लिए स्वर्णिम तिथि मानी जाती है, इसी तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार समेत देश के सभी राज्यों को बीसीसीआई के द्वारा आयोजित सभी घरेलू टूर्नामेंट में भागीदारी का अधिकार दिया था।

इसके बाद बिहार के तत्कालीन सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह से इस व्यक्ति ने मुलाक़ात कि और अपने क्रिकेटर बेटे को टीम में चयन करवाने का दवाब बनाया। U-23 में इसके पुत्र को जगह भी मिली लेकिन खराब प्रदर्शन के कारण टीम प्रबंधन के द्वारा टीम के 11 में नहीं रखे जाने के कारण इसने मैच के दौरान हिन होटल से अपने पुत्र को वापस ले आया और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कि टीम में खेल के दौरान अनुशासनहीनता करने की नीव रख दी, बाद में इसने कभी चयन कर्ता पर तो कभी टीम के कप्तान पर तो कभी खिलाड़ियों पर विला वजह अपने बेटे वाले हथियार का इस्तेमाल कर टिप्पणी कर टीम प्रबंधन के अनुशासन को कमजोर करने का काम किया जो आज एक दैत्याकार रूप ले चुका है।

देश के इतिहास की विरले घटनाओं में एक होगा या पहली घटना होगी जब इस व्यक्ति ने अपने पुत्र को बीसीसीआई के अंपायर के द्वारा आउट देने पर बीसीसीआई के रेफरी के साथ अभद्रता कर बिहार की छवि को धूमिल करने का काम किया। इतना हीं नहीं इस व्यक्ति ने एक विवादित स्टीङ्ग आपरेशन करवाकर, खुद टेलीविज़न चैनल पर बैठ कर बिहार की छवि को खराब करने का काम किया है।

29 सितंबर 2019 को बीसीए का चुनाव हुआ, नई कमेटी जीत कर आई, फिर इस व्यक्ति ने अपने पुत्र रूपी हथियार का इस्तेमाल किया और बीसीसीआई के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों पर दवाब डालकर खुद के बेटे के चयन की साजिश की। यहाँ मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि लखन राजा जो इस व्यक्ति का पुत्र है, वह एक क्रिकेटर है, और उसे अपने प्रतिभा और प्रदर्शन के आधार पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के द्वारा बननेवाली टीम में चयन होने का हक है।

आदित्य वर्मा की राजनीति का मुख्य भाग होता है कि किस हद तक कानून, बीसीसीआई और देश तथा राज्य के क्रिकेटिंग समाज में बीसीए की छवि को अस्थिर दिखाया जाय। इसके लिए यह घात लगाकर हमला करने और करवाने के फिराक में लगा रहता है। अभी हाल में हीं सम्पन्न हुए रणजी ट्रॉफी के ट्रायल में इस व्यक्ति ने एक सीधे साढ़े क्रिकेट से जुड़े हुए विनीत भार्गव का इस्तेमाल किया। विनीत के द्वारा सार्वजनिक फोरम पर दी गई जानकारी के अनुसार इस व्यक्ति ने बीसीए के प्रति विनीत को भड़काकर इसके पैसे से घूमने और बीसीए की कब्र खोदने का काम किया है। लेकिन जब लखन राजा का नाम टीम में आया यह 180 डिग्री पर घूम गया और विनीत को खलनायक साबित करने पर तूल गया।

एक अरसे से सीतामढ़ी जिला क्रिकेट संघ में चल रहे तानाशाही के खिलाफ जब वहाँ के क्लब खड़े हुए तो विनीत ने जाकर वहाँ के सभी क्रिकेटरों और क्लबों को एक सूत्र में बांधने का काम किया, इस कार्य में मैं व्यक्तिगत रूप से विनीत के साथ खड़ा रहा, और नजीतन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की 25 मई 2019 की वार्षिक आम सभा में विनीत की अध्यक्षता वाली कमेटी को सीतामढ़ी जिला में क्रिकेट की गतिविधि संचालित करने का अधिकार मिला।


कुछ दिनों पूर्व इस व्यक्ति ने सारण जिला क्रिकेट संघ में एक अवैध कमेटी का गठन करने का सगूफ़ा छोड़ा, हम सभी जिला संघ को उसी समय इसके इस कृत्य का विरोध करना चाहिए था, जबकि ऐसा नहीं हुआ। हालांकि मैंने व्यक्तिगत तौर पर इसका पुरजोड़ विरोध किया था,अभी भी हम सबों को इस व्यक्ति के अवैध कार्यों का पुरजोड़ विरोध करना होगा, वरना यह दीमक बीसीए को पहले तो धीरे धीरे खोखला करेगा, और बाद में अपने ब्लेकमेलर वाले अंदाज से बीसीए की बीसीसीआई से मान्यता समाप्त करवाने का काम करेगा, जो इसका मूल मिशन है। यहाँ हम आप सभी जिला के सम्मानित पदाधिकारियों से अपील करना चाहते है, निवेदन करना चाहते है, कि बेशक हम आपस में लड़े, चाहे वो जिला संघों के गुट कि लड़ाई हो, केस मुकदमा हो, लेकिन जब इस व्यक्ति का विरोध करने कि बात हो हम सब एक होकर इसका विरोध करें। क्योकि जिला संघ हो या राज्य संघ यहा कोई भी व्यक्ति अंतिम नहीं है, किसी का परमानेंट पद नहीं है, आज किसी व्यक्ति / गुट का शासन है, कल किसी भी व्यक्ति/गुट का शासन रहेगा, हम सब बीसीए के हैं, लेकिन इस दीमक का बीसीए में प्रवेश प्रतिबंधित रहे यह हम सबों का दायित्व है। क्योकि यह इसके योग्य नहीं है।


आज कल यह बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के पक्ष में बीसीए के सभी जिला संघों से अपील कर रहा है, इसके संदर्भ को भी समझना जरूरी है। इस व्यक्ति कि जहां तक मुझे समझ है, यह बीसीए अध्यक्ष के पक्ष में अपील कर खुद को बीसीए से जुड़ा हुआ दिखने कि कोशिश कर रहा है। जबकि सच यह है कि बीसीए अध्यक्ष के पक्ष में अपील करके यह बीसीए से संबद्ध जिला संघों में अपने विरोध को अध्यक्ष की ओर मोड़कर उनकी कब्र खोदने की साज़िश कर रहा है, क्योकि बीसीए से प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप से जुड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति इसको स्वीकार करेगा, यह हो नहीं सकता। मेरे ख्याल से इस बात को बीसीए के अध्यक्ष महोदय को भी समझना चाहिए। इसके कुछ और कारगुजारियों को बेनकाब करने पर काम चल रहा है, उसके लिए अगले भाग की प्रतीक्षा कीजिये।

(यह लेखक के अपने विचार हैं। लेखक पूर्वी चंपारण जिला क्रिकेट संघ के सचिव हैं। साथ ही वे वरीय पत्रकार भी हैं।)

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